दिवस-2: "18वीं शताब्दी के भारत में राजनीतिक विघटन और शाही सत्ता के पतन के बीच, अहिल्याबाई होल्कर एक ऐसी शासक के रूप में उभरीं, जिन्होंने धार्मिक आदर्शों, प्रशासनिक दक्षता और सांस्कृतिक प्रबंधन को एकीकृत किया।" चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
17 Jun 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण :
- 18वीं शताब्दी के भारत में अहिल्याबाई होल्कर के शासन का संक्षिप्त संदर्भ दीजिये।
- उनकी भूमिका और उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये।
- उसकी वर्तमान प्रासंगिकता और विरासत के साथ निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
भारत में 18वीं सदी मुगल साम्राज्य के विघटन के कारण चिह्नित की गई , जिसके कारण राजनीतिक अस्थिरता और क्षेत्रीय शक्तियों का उदय हुआ। इस विघटन के बीच, मालवा की अहिल्याबाई होल्कर (शासनकाल 1767-1795) नैतिक अधिकार, कुशल शासन और सांस्कृतिक संरक्षण को मिलाकर प्रबुद्ध शासन का एक दुर्लभ उदाहरण बनकर उभरीं।
मुख्य भाग:
- धार्मिक आदर्श
- अहिल्याबाई का शासन धार्मिक सिद्धांतों पर गहराई से आधारित था ,जिसमें न्याय, करुणा और कर्त्तव्य पर जोर दिया गया था।
- वह अपनी प्रजा के लिये सुलभ थीं, प्रतिदिन सार्वजनिक सुनवाई करती थीं और शीघ्र, निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करती थीं।
- उन्होंने सती जैसी दमनकारी प्रथाओं को अस्वीकार कर दिया और विधवाओं और वंचित लोगों के कल्याण को बढ़ावा दिया, जो एक दयालु, नैतिक शासक के आदर्श को मूर्त रूप देता है।
- उनके शासनकाल को एक ऐसे “काल के रूप में देखा गया, जिसमें उत्तम व्यवस्था और बेहतर सरकार कायम रही और लोग समृद्ध हुए”, जो धार्मिक शासन के धार्मिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- प्रशासनिक दक्षता
- अहिल्याबाई ने नागरिक और सैन्य प्रशासन दोनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंदौर को एक प्रगतिशील और समृद्ध क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया।
- उन्होंने न्याय और मध्यस्थता के लिये कुशल प्रणालियाँ स्थापित कीं , विदेशी विशेषज्ञों की मदद से अपनी सेना का आधुनिकीकरण किया और उचित कराधान तथा कृषि और कारीगरों को समर्थन देकर आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया।
- उनकी नवोन्मेषी नीतियों में गरीब किसानों को भूमि वितरित करना, उनसे व्यक्तिगत और राज्य दोनों के लाभ के लिये फलदार वृक्ष लगाने की अपेक्षा करना ( 'नाइन-इलेवन एक्ट ') और जल संरक्षण के लिये एक अलग विभाग की स्थापना करना शामिल था।
- उनके शासन में क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और उन्होंने कारीगरों को बुनियादी ढाँचा और ऋण उपलब्ध कराया तथा पारंपरिक शिल्प और उद्योगों को समर्थन दिया।
- सांस्कृतिक प्रबंधन
- उनकी सबसे स्थायी विरासत अखिल भारतीय मंदिर जीर्णोद्धार और निर्माण में निहित है ।
- उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया तथा सोमनाथ, द्वारका, गया, रामेश्वरम आदि स्थानों पर धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार कराया।
- वैदिक विद्यालयों, संस्कृत विद्वानों और धार्मिक उत्सवों को प्रायोजित किया, जिससे सांस्कृतिक पुनर्जागरण को बढ़ावा मिला।
निष्कर्ष:
अहिल्याबाई होल्कर महिलाओं के नेतृत्त्व वाले विकास और शासन दोनों का एक शक्तिशाली प्रतीक हैं। भारत की संसद में उनकी प्रतिमा उन्हें सबसे महान भारतीय शासकों में से एक के रूप में सम्मानित करती है। उन्हें मरणोपरांत “पुण्यश्लोक” की उपाधि से सम्मानित किया गया, जिसका अर्थ है धर्मी, जो उनके महान कार्यों के लिये एक उचित श्रद्धांजलि है।