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दिवस 34: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ त्रि-सैन्य दृष्टिकोण और सटीक लक्ष्य भेदन (precision targeting) की विशेषता वाला अभियान था। संघर्ष को पूर्ण युद्ध में परिवर्तित किये बिना इस मिशन की सफलता सुनिश्चित करने में थल सेना (Army), वायुसेना (Air Force) तथा नौसेना (Navy) की भूमिकाओं का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)

24 Jul 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आंतरिक सुरक्षा

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • ऑपरेशन सिंदूर के उद्देश्यों की संक्षेप में व्याख्या कीजिये।
  • इस मिशन में थलसेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा निभाई गई सुनियोजित भूमिकाओं का मूल्यांकन कीजिये।
  • रक्षा प्रतिक्रिया में त्रि-सेवा दृष्टिकोण के महत्त्व के साथ उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

7 मई, 2025 को शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे) के प्रति भारत की सुनियोजित और खुफिया जानकारी पर आधारित सैन्य प्रतिक्रिया थी। यह सैन्य अभियान भारतीय सैन्य इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि इसलिये मानी जाती है क्योंकि इसमें 'त्रि-सेना दृष्टिकोण' (Tri-Services Approach) अर्थात् भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बीच सुनियोजित एवं समन्वित प्रयास अपनाया गया था। इस संयुक्त अभियान का उद्देश्य था आतंकवादी कार्यढाँचों को सटीक लक्ष्य बनाकर ध्वस्त करना। साथ ही, विशेष रूप से यह भी सुनिश्चित किया गया कि यह कार्रवाई किसी पूर्ण युद्ध की स्थिति में न बदल जाये।

मुख्य भाग:

भारतीय सेना की भूमिका:

  • एकीकृत भू-आधारित वायु रक्षा प्रदान की, जिसमें एक स्तरित वायु रक्षा नेटवर्क शामिल है:
    • MANPADS (मानव-पोर्टेबल वायु-रक्षा प्रणालियाँ)।
    • निम्न-स्तरीय वायु रक्षा (LLAD) तोपें
    • लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणालियाँ।
  • भारतीय ठिकानों पर पाकिस्तानी जवाबी ड्रोन और UCAV हमलों को बेअसर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • सीमा पर सतर्कता और सैनिकों की त्वरित तैनाती बनाए रखी।
  • ज़मीनी स्तर पर तनाव बढ़ने से रोकने के लिये अर्द्धसैनिक बलों के साथ समन्वय किया।

भारतीय वायु सेना की भूमिका:

  • सटीक हवाई हमलों के माध्यम से प्राथमिक रणनीतिक प्रहार किया, जिनका लक्ष्य था:
    • नौ प्रमुख आतंकवादी शिविर
    • नूर खान एयर बेस और रहीमयार खान एयर बेस सहित सैन्य अवसंरचना।
  • एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) का उपयोग किया गया:
    • वास्तविक काल में लक्ष्य प्राप्ति।
    • स्ट्राइक को-ऑर्डिनेशन।
  • उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग किया गया, जैसे:
    • आकाश मिसाइल प्रणाली (स्वदेशी)।
    • बहुस्तरीय हवाई रक्षा के लिये पिकोरा और OSA-AK जैसी पारंपरिक प्रणालियाँ।

भारतीय नौसेना की भूमिका:

  • समुद्री क्षेत्र में निगरानी और निरोध सुनिश्चित किया।
  • एक कॅरियर बैटल ग्रुप (CBG) तैनात किया गया, जो निम्नलिखित से सुसज्जित था:
    • MiG-29K लड़ाकू विमान।
    • हवाई पूर्व चेतावनी हेलीकॉप्टर।
  • हिंद महासागर में समुद्री मार्गों की निरंतर निगरानी की गई।
  • भारत ने समुद्री क्षेत्र में उकसावे वाली गतिविधियों को रोकने में सफलता पायी, जिससे ज़मीन और हवाई क्षेत्रों से परे भारत की शक्ति का प्रदर्शन स्पष्ट हुआ।

पूर्ण युद्ध के बिना मिशन की सफलता सुनिश्चित करना:

  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (IDS) के नेतृत्व में तीनों सेनाओं की संयुक्तता ने निर्बाध समन्वय सुनिश्चित किया।
  • वास्तविक काल में खुफिया जानकारी साझा करने से न्यूनतम संपार्श्विक क्षति के साथ सटीक लक्ष्य भेदन संभव हुआ, जिससे परिचालन नैतिकता कायम रही।
  • लचीले, अंतिम क्षण में लक्ष्य निर्धारण ने सुनियोजित वृद्धि नियंत्रण को प्रतिबिंबित किया, जिससे व्यापक संघर्ष को भड़काए बिना एक दृढ़ निवारक संदेश दिया गया।

निष्कर्ष:

ऑपरेशन सिंदूर ने तीनों सेनाओं के एकीकरण पर आधारित भारत के आधुनिक सुनियोजित प्रतिक्रिया सिद्धांत का उदाहरण प्रस्तुत किया। यह भारत के परिपक्व होते रक्षा सिद्धांत का उदाहरण है, जहाँ संयुक्तता, तकनीक और सटीकता सफलता को परिभाषित करते हैं। यह इस सिद्धांत को दर्शाता है कि आधुनिक संघर्षों में बड़े पैमाने के युद्ध की तुलना में रणनीतिक विचारों की आवश्यकता होती है। जैसा कि सुन त्ज़ु ने कहा था, 

"युद्ध की सर्वोच्च कला बिना लड़े ही दुश्मन को परास्त करना है।"