दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- कुंभ मेले का संक्षिप्त में विवरण से उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- सामाजिक सामंजस्य और आध्यात्मिक बहुलवाद को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका की व्याख्या कीजिये।
- समकालीन प्रासंगिकता के साथ निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में चक्रीय रूप से मनाया जाने वाला कुंभ मेला मानव इतिहास में सबसे बड़े शांतिपूर्ण समारोहों में से एक है। यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त यह मेला आस्था, दर्शन और सांस्कृतिक परंपरा के गतिशील संगम का प्रतिनिधित्व करता है। मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भारत की आध्यात्मिक और सामाजिक समावेशिता की सभ्यतागत अभिव्यक्ति है।
मुख्य भाग:
कुंभ मेला सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है:
- विविधता में एकता: विभिन्न जातियों, क्षेत्रों, भाषाओं और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से लाखों लोग एकत्रित होते हैं, जो अखिल भारतीय एकता का प्रतीक है।
- वर्ष 2025 प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में भारत और विश्व भर से 660 मिलियन से अधिक श्रद्धालु भाग लेंगे।
- समतावादी स्थान: अनुष्ठानिक स्नान और साझा धार्मिक प्रथाएँ जाति और वर्ग की बाधाओं को खत्म कर देती हैं।
- सामूहिक पहचान: सामुदायिक रसोई (लंगर), स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन सामूहिक रूप से किया जाता है, जिससे सहयोग और सामूहिक पहचान मज़बूत होती है।
- राष्ट्रीय एकता: यह मेला साझा सांस्कृतिक और धार्मिक अनुभव के लिये एक मंच बन जाता है, जिससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है।
कुंभ मेला आध्यात्मिक बहुलवाद को बढ़ावा देता है:
- अंतर-संप्रदाय सद्भाव: विविध हिंदू संप्रदाय- शैव, वैष्णव, शाक्त, नागा साधु- शांतिपूर्वक भाग लेते हैं, जो पारस्परिक सहिष्णुता को दर्शाता है।
- गैर-सांप्रदायिक लोकाचार: इस आयोजन की असंप्रदायिक भावना भक्ति, कर्म और ज्ञान जैसे भिन्न-भिन्न साधना मार्गों को सह-अस्तित्व की अनुमति देती है।
- दार्शनिक आदान-प्रदान: विभिन्न अखाड़ों के साधु, संत और ऋषि शास्त्रार्थ जैसे आध्यात्मिक विमर्शों के माध्यम से प्राचीन बौद्धिक परंपराओं का पुनरुद्धार करते हैं।
- वैश्विक आध्यात्मिक सहभागिता: श्रीलंका के बौद्ध भिक्षुओं, पश्चिमी योग साधकों और अन्य धर्मों के पर्यवेक्षकों की भागीदारी से यह आयोजन अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देता है।
निष्कर्ष:
कुंभ मेला सांस्कृतिक कूटनीति और आध्यात्मिक पर्यटन के लिये एक अवसर प्रदान करता है, जो अर्थव्यवस्था और भारतीय परंपरा की वैश्विक समझ में योगदान देता है। उपमहाद्वीप भर के लोगों, विचारों और विश्वासों को एक साथ लाने में, यह सामाजिक सामंजस्य और आध्यात्मिक बहुलवाद के एक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करना जारी रखता है, जो भारतीय सभ्यता के मूलभूत मूल्यों को प्रतिध्वनित करता है।