Mains Marathon

दिवस 29: 5G की चुनौतियों से लेकर 6G नेतृत्व के महत्त्वाकांक्षी प्रयासों तक भारत के स्वदेशी दूरसंचार विकास हेतु भारत की रणनीति का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)

18 Jul 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकी

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भारत के दूरसंचार विकास और भारत 6G विज़न का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • वर्तमान 6G रणनीति पर प्रकाश डालते हुए 5G से संबंधित चुनौतियों और उनके समाधान हेतु उठाए गए कदमों का आकलन कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष लिखिये। 

परिचय:

भारत की दूरसंचार यात्रा 5G से संबंधित चुनौतियों को पार करते हुए अब 6G के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की आकांक्षा की दिशा में बढ़ रही है। "भारत 6G विज़न 2030" इस दिशा में तकनीकी संप्रभुता, नवाचार-संचालित विकास तथा वैश्विक प्रभाव प्राप्त करने के क्रम में एक रणनीतिक रोडमैप प्रस्तुत करता है।

मुख्य भाग:

  • स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण संबंधी मुद्दों, घरेलू विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र की कमज़ोरी और निजी अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश की सीमितता के कारण भारत को 5G के प्रारंभिक परिनियोजन में देरी का सामना करना पड़ा।
  • भारत ने वर्ष 2022 में 5G सेवाएँ शुरू कीं, परंतु यह मुख्य रूप से विदेशी दूरसंचार उपकरणों पर आधारित थीं, जिससे तकनीकी आत्मनिर्भरता और स्वदेशी नवाचार बाधित हुआ।
  • इस स्थिति से निपटने हेतु सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना आरंभ की तथा स्थानीय विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देते हुए स्वदेशी 5जी टेस्टबेड विकसित किया।
  • भारत 6G विज़न दस्तावेज (मार्च 2023) में दो मुख्य लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं- सर्वव्यापी, विश्वसनीय और सुरक्षित 6G कनेक्टिविटी प्राप्त करना और वर्ष 2030 तक भारत को 6G प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्वकर्त्ता के रूप में स्थापित करना।
  • दो 6G अनुसंधान एवं विकास टेस्ट बेड (THz टेस्टबेड और एडवांस्ड ऑप्टिकल कम्युनिकेशन टेस्टबेड) को अगली पीढ़ी के स्वदेशी संचार हार्डवेयर और प्रणालियों को विकसित करने हेतु वित्तपोषित किया गया है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने 6G प्रशिक्षित प्रतिभा पूल और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये शैक्षणिक संस्थानों में 100 5G प्रयोगशालाओं को मंज़ूरी दी।
  • टेराहर्ट्ज संचार, AI-एकीकृत नेटवर्क और लो लेटेंसी प्रौद्योगिकियों में नवाचार को गति देने के लिये 6G पर 111 शोध प्रस्तावों को मंज़ूरी दी गई है।
  • भारत द्वारा 6G एलायंस उद्योग, शिक्षा जगत और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है जिससे समग्र और मानक-संरेखित विकास सुनिश्चित होता है।
  • भारत द्वारा वैश्विक 6G गठबंधनों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करना तथा ITU अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार-2030 ढाँचे में भागीदारी, सक्रिय अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता और नेतृत्व को दर्शाता है।
  • भारत ने 6G उपयोग परिदृश्यों में 'सर्वव्यापी कनेक्टिविटी' और 'स्थायित्व' को शामिल करने के साथ तकनीकी विकास को वैश्विक समानता एवं अनुकूलन लक्ष्यों के साथ संरेखित करने का समर्थन किया। 
  • अंतर्राष्ट्रीय 6G संगोष्ठी (2024) की मेजबानी और वैश्विक मानकीकरण प्लेटफाॅर्मों में भागीदारी, भारत की सॉफ्ट पाॅवर और रणनीतिक प्रभाव को दर्शाती है।
  • यह दृष्टिकोण दूरसंचार में विदेशी प्रौद्योगिकी को प्रतिक्रियात्मक रूप से अपनाने से लेकर सक्रिय नवाचार और नेतृत्व की ओर बदलाव का परिचायक है।

निष्कर्ष:

5G पर निर्भरता से लेकर 6G की ओर भारत का परिवर्तन एक दूरदर्शी, सहयोगात्मक और क्षमता-संचालित रणनीति का परिचायक है। स्थानीय अनुसंधान एवं विकास तथा वैश्विक गठबंधनों और समावेशी मानकों पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने के साथ भारत वर्ष 2030 तक वैश्विक दूरसंचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है।