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दिवस 39: "लोक सेवा एक सार्वजनिक न्यास है," इस कथन के आलोक में सार्वजनिक सेवाओं के मूल सिद्धांतों के महत्त्व की व्याख्या कीजिये। (150 शब्द)

18 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

  • लोक सेवा के सार पर संक्षेप में चर्चा करके उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • लोक सेवा के प्रमुख सिद्धांतों की विवेचना कीजिये।
  • उपयुक्त रूप से निष्कर्ष निकालिये।

सार्वजनिक सेवा के आमतौर पर बताए गए सिद्धांतों में निजी लाभ (अखंडता) के लिये सार्वजनिक कार्यालय के उपयोग से बचना, कर्तव्यों (निष्पक्षता) के प्रदर्शन में निष्पक्षता प्रदर्शित करना और सार्वजनिक सेवा की अवधारणा (सच्चाई और प्रभावशीलता) शामिल है।

इसलिये लोक सेवा का सार लोक शक्ति और अधिकार के प्रयोग के संबंध में लोक सेवकों पर विशेष दायित्व और प्रतिबंध लगाता है।

आचार संहिता के एक प्रसिद्ध उदाहरण में लोक जीवन के सात सिद्धांत शामिल हैं, जिसे ग्रेट ब्रिटेन में सार्वजनिक जीवन में मानकों पर समिति ने तैयार किया था।

  • निःस्वार्थता- सार्वजनिक अधिकारियों/नौकरशाहों को लोकहित के संदर्भ में निर्णय लेना चाहिये। उन्हें अपने व अपने परिवार या अपने दोस्तों के लिये वित्तीय या अन्य भौतिक लाभ हेतु निर्णय नहीं लेना चाहिये।
  • सत्यनिष्ठा: नौकरशाहों को ऐसे किसी वित्तीय या अन्य दायित्व के अधीन बाहरी व्यक्तियों या संगठनों के तहत नहीं होना चाहिये जिससे उनके आधिकारिक कर्त्तव्य प्रभावित हों।
  • वस्तुनिष्ठता: सार्वजनिक कामकाज, नियुक्तियाँ करने, अनुबंध या पुरस्कार और लाभ के लिये लोगों की सिफारिश करने में नौकरशाहों को योग्यता को आधार बनाना चाहिये।
  • जवाबदेही: नौकरशाह अपने निर्णयों और कार्यों के लिये जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं और उन्हें अपने कार्यालय को भी जाँच/समीक्षा के अधीन रखना चाहिये।
  • खुलापन: नौकरशाहों के सभी निर्णयों और कार्यों में खुलापन होना चाहिये।
    • उन्हें अपने निर्णयों का स्पष्ट कारण देना चाहिये तथा सूचना तभी प्रतिबंधित करनी चाहिये जब व्यापक जन-हित की मांग हो।
  • ईमानदारी: नौकरशाह का यह कर्त्तव्य है कि वह अपने सार्वजनिक कर्त्तव्यों से संबंधित निजी हितों की घोषणा करे और ऐसे किसी विरोध के समाधान के लिये आवश्यक कदम उठाए जो सार्वजनिक हितों की रक्षा करने में आड़े आता हो।
  • नेतृत्त्व: नौकरशाहों को अपने नेतृत्त्व और उदाहरण द्वारा एक मिसाल पेश करते हुए इन सिद्धांतों को विकसित और इनका समर्थन करना चाहिये।

"लोक सेवा एक सार्वजनिक न्यास है" यह मानता है कि आम नागरिकों की तुलना में लोक सेवकों को कई शक्तियाँ और विशेषाधिकार प्राप्त हैं। इस प्रकार अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए और अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए अधिकारियों को अपने सर्वोत्तम निर्णय में कार्य करना होता है।