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दिवस 55: भारत में मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

03 Sep 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण :

  • NHRC का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • NHRC के जनादेश और उद्देश्यों पर चर्चा कीजिये।
  • संगठन द्वारा अपने उत्तरदायित्वों को पूरा करने में सामना की गई कुछ कमियों की चर्चा कीजिये।
  • संगठन को अधिक मज़बूत और कुशल बनाने के लिये कुछ सुझाव देकर निष्कर्ष लिखिये।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, एक सांविधिक निकाय है। इसका गठन वर्ष 1993 संसद में पारित मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत किया गया। यह आयोग मानवाधिकारों का प्रहरी है। जिसका उद्देश्य उन संस्थागत व्यवस्थाओं को मज़बूत करना, जिसके द्वारा मानवाधिकार के मुद्दों का पूर्ण रूप में समाधान किया जा सके, अधिकारों के अतिक्रमण को सरकार से स्वतंत्र रूप में इस तरह से देखना ताकि सरकार का ध्यान उसके द्वारा मानवाधिकारों की रक्षा की प्रतिबद्धता पर केंद्रित किया जा सके तथा इस दिशा में किये गए प्रयासों को पूर्ण व सशक्त बनाना है।

यह आयोग वर्ष 1991 के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय वर्कशॉप ऑन नेशनल इंस्टीट्यूशनस फॉर द परमोशन एंड प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स (पेरिस प्रिंसपल्स) के सिद्धांतों के अनुरूप है।

मानवाधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने में NHRC की भूमिका

NHRC निम्नलिखित तरीकों से भारत में मानवाधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है:

  • यह मानवाधिकारों के उल्लंघन की जाँच करता है तथा न्यायालय में लंबित किसी मानवाधिकार से संबंधित कार्यवाही में हस्तक्षेप करता है।
  • यह राज्य की जेलों या राज्य की किसी अन्य संस्था को सूचित करके जेल कैदियों की स्थितियों की जाँच करता है, जहाँ व्यक्तियों को उपचार, सुधार या सुरक्षा के उद्देश्यों के लिये हिरासत में लिया जाता है या बंद कर दिया जाता है, और उस संबंध में सिफारिशें करता है।
  • यह मानवाधिकारों की रक्षा हेतु बनाए गए संवैधानिक विधिक उपबंधों की समीक्षा तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन हेतु उपायों की सिफारिश करता है।
  • मानवाधिकारों से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संधियों व दस्तावेजों का अध्ययन व उनको प्रभावशाली तरीके से लागू करने हेतु सिफारिशें करने के साथ मानवाधिकारों के क्षेत्र में शोध करता है।
  • यह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकार साक्षरता का प्रसार करता है और प्रकाशनों, मीडिया, संगोष्ठियों और अन्य उपलब्ध माध्यमों के माध्यम से इन अधिकारों की सुरक्षा के लिये उपलब्ध सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है।

NHRC के सामने आई कमियाँ

  • पीड़ित व्यक्ति को सीमित व्यावहारिक राहत देने की असमर्थता के कारण सोली सोराबजी ने एन.एच.आर.सी. को ‘‘भातर का चिढ़ा भ्रम’’ कहा।
  • NHRC के पास जाँच हेतु एक समर्पित निकाय व क्रियाविधि का अभाव है। अधिकांश मामलों में यह केंद्र एवं संबंधित राज्य सरकारों पर निर्भर रहता है।
  • NHRC के पास केवल अनुशंसनकारी भूमिका है इसे अपने निर्णयों को लागू करने की शक्ति नहीं है।
  • यह एक वर्ष से पहले की घटना की जाँच नहीं कर सकती। प्राय: सरकार इसकी अनुशंसाओं को नहीं मानती।
  • सरकार अक्सर NHRC की सिफारिशों को सिरे से खारिज कर देती है या इन सिफारिशों का आंशिक अनुपालन करती है।

NHRC को मज़बूत करने के उपाय:

  • यदि आयोग के निर्णयों को लागू करने योग्य बनाया जाए तो सरकार द्वारा NHRC की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है।
  • NHRC को उपयुक्त अनुभव और विशेषज्ञता के साथ कर्मचारियों का एक स्वतंत्र संवर्ग विकसित करने की आवश्यकता है।
  • इसे अधिकारियों को अपनी सिफारिशों को लागू करने के लिये अवमानना शक्तियाँ भी दी जा सकती हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इस प्रकार नीति निर्माण और नीति की पहल को प्रभावित करने तथा मानवाधिकारों की रक्षा के लिये सही वातावरण हासिल करने में महत्त्चवूर्ण भूमिका निभा सकता है।