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दिवस 48: बाजरा को अक्सर सुपरफूड के रूप में संदर्भित किया जाता है और इसके उत्पादन को सतत् कृषि तथा स्वस्थ दुनिया के लिये आवश्यक प्रमुख उत्पाद के रूप में देखा जा सकता है। विचार-विमर्श कीजिये। (250 शब्द)

27 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

  • वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया गया, परिचय दीजिये।
  • चर्चा कीजिये कि बाजरा सतत् कृषि और एक स्वस्थ दुनिया को कैसे सुनिश्चित करेगा।
  • बाजरा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

वर्ष 2018 को पहले ही राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया जा चुका है और भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYOM) घोषित करने का प्रस्ताव दिया था। भारत के प्रस्ताव को 72 देशों ने समर्थन दिया और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने मार्च 2021 में वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया।

बाजरे (Millets) को अक्सर एक सुपरफूड (पोषण तत्त्वों से भरपूर अनाज) के रूप में देखा जाता है तथा इसका उत्पादन टिकाऊ कृषि एवं विश्व स्वास्थ्य के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। बाजरे से जुड़े बहुआयामी लाभ तथा मुद्दे, पोषण सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा प्रणाली एवं किसानों के कल्याण से संबंधित मुद्दों को संदर्भित करते हैं।

इसके अलावा बाजरे से जुड़ी कई अनूठी विशेषताएँ हैं जो भारत की विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं और इसे एक प्रमुख फसल के रूप में संदर्भित करती हैं।

बाजरे की उपज को बढ़ावा देने की आवश्यकता:

  • जलवायु अनुकूल फसल: बाजरे की फसल प्रतिकूल जलवायु, कीटों एवं बीमारियों के लिये अधिक प्रतिरोधी है, अतः यह बदलते वैश्विक जलवायु परिवर्तनों में भुखमरी से निपटने हेतु एक स्थायी खाद्य स्रोत साबित हो सकती है। इसके अलावा इस फसल की सिंचाई के लिये अधिक जल की आवश्यकता नहीं होती है जिस कारण यह जलवायु परिवर्तन एवं लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियों के निर्माण के लिये एक स्थायी रणनीति बनाने में सहायक है।
  • पोषण सुरक्षा: बाजरे में आहार युक्त फाइबर (Dietary Fibre) भरपूर मात्रा में विद्यमान होता है, इस पोषक अनाज (बाजरे) में लोहा, फोलेट (Folate), कैल्शियम, ज़स्ता, मैग्नीशियम, फास्फोरस, तांबा, विटामिन एवं एंटीऑक्सिडेंट सहित अन्य कई पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये पोषक तत्त्व न केवल बच्चों के स्वस्थ विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि वयस्कों में हृदय रोग और मधुमेह के जोखिम को कम करने में भी सहायक होते हैं। ग्लूटेन फ्री (Gluten Free) एवं ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index) की कमी से युक्त बाजरा डायबिटिक/मधुमेह के पीड़ित व्यक्तियों के लिये एक उचित खाद्य पदार्थ है, साथ ही यह हृदय संबंधी बीमारियों और पोषण संबंधी दिमागी बीमारियों से निपटने में मदद कर सकता है।
  • आर्थिक सुरक्षा: बाजरे को सूखे, कम उपजाऊ, पहाड़ी, आदिवासी और वर्षा आश्रित क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। इसके अलावा बाजरा मिट्टी की पोषकता के लिये भी अच्छा होता है तथा इसकी फसल तैयार होने में लगने वाली समयावधि एवं फसल लागत दोनों ही कम हैं। इन विशेषताओं के साथ बाजरे के उत्पादन के लिये कम निवेश की आवश्यकता होती है और इस प्रकार यह किसानों के लिये एक स्थायी आय स्रोत साबित हो सकता है।

बाजरे का नियंत्रित उत्पादन:

  • हरित क्रांति: हरित क्रांति के समय खाद्य सुरक्षा के लिये गेहूँ और चावल जैसी अधिक उपज वाली किस्मों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस नीति का एक अनपेक्षित परिणाम यह सामने आया कि बाजरे के उत्पादन में धीरे-धीरे गिरावट आने लगी। इसके अलावा गेहूँ और चावल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से प्रदान की जाने वाली लागत प्रोत्साहन राशि ने भी बाजरे के उत्पादन को हतोत्साहित किया।
  • प्रसंस्कृत खाद्य की मांग में वृद्धि: इन सब के साथ-साथ भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड और रेडी-टू-ईट उत्पादों के लिये उपभोक्ता मांग में उछाल देखा गया जिनमें सोडियम, चीनी, ट्रांस-वसा और यहाँ तक कि कुछ कार्सिनोजन (Carcinogens- कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्त्व) की उच्च मात्रा विद्यमान होती हैं।प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के गहन विपणन के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे- प्रसंस्कृत चावल व गेहूँ की मांग में भी वृद्धि होती जा रही है।
  • दोहरा दवाब: माताओं एवं बच्चों में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी के साथ-साथ मधुमेह एवं मोटापे जैसी बीमारियाँ उत्पन्न होने के कारण एक प्रकार का दोहरा दवाब उत्पन्न हो गया है।

भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि: भारत सरकार द्वारा बाजरे के MSP में बढ़ोतरी की गई है, जिससे किसान बाजरा उत्पादन के लिये प्रोत्साहित होंगे। इसके अलावा बाजरे की उपज के लिये एक स्थिर बाज़ार प्रदान करने के लिये भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बाजरे को भी शामिल किया गया है।
  • इनपुट सहायता: बाजरे के उत्पादन के लिये भारत सरकार द्वारा किसानों को बीज किट (Seed Kits) और इनपुट सहायता के रूप में किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organisations) के माध्यम से मूल्य शृंखला का निर्माण और बाजरे के लिये बाज़ार क्षमता को विकसित करने में मदद की जा रही है।
  • एकीकृत दृष्टिकोण: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कृषि और पोषण के एकीकृत दृष्टिकोण पर कार्य किया जा रहा है जिसके तहत पोषक तत्त्व-उद्यानों (Nutri-gardens) की स्थापना करके फसल विविधता और आहार विविधता के बीच अंतर संबद्धता पर शोध को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अलावा पोषक तत्त्वों से युक्त अनाज के प्रति उपभोक्ता मांग में वृद्धि के लिये लोगों के दृष्टिकोण/व्यवहार को परिवर्तित करने से संबंधित एक अभियान का संचालन किया जा रहा है।

जैसा कि भारत सरकार कुपोषण मुक्त भारत और किसानों की आय दोगुना करने के लिये अपने एजेंडे को प्राप्त करने के लिये प्रयासरत है, वहीं पोषक तत्त्वों से युक्त अनाजों (बाजरे) के उत्पादन एवं खपत को बढ़ावा देना सही दिशा में एक नीतिगत बदलाव होगा।