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दिवस 47: महामारी के लिये मनुष्य उत्तरदायी है। बढ़ते संक्रामक रोगों के संदर्भ में इस कथन की व्याख्या कीजिये। (150 शब्द)

26 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • संक्रामक रोगों के लिये UNEP डेटा और हाल के प्रकोपों के उदाहरण बताते हुए परिचय दीजिये।
  • चर्चा कीजिये कि मनुष्य किस प्रकार रोगों की उत्पत्ति और प्रसार के लिये उत्तरदायी हैं।
  • रोगों की बढ़ती संख्या और तीव्रता का कारण बताइये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

मानव गतिविधियाँ चमगादड़, बंदर जैसे जानवरों से फैलने वाली महामारी और कोरोनावायरस जैसी महामारी पैदा करने के लिये ज़िम्मेदार हैं। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environmental Programme- UNEP) की रिपोर्ट के अनुसार, इंसानों को होने वाले 60% संक्रामक रोगों के मूल स्रोत जानवर होते हैं। इबोला (Ebola), एचआईवी (HIV), एवियन इन्फ्लूएंज़ा (Avian influenza-AI), फ्लू (Flu), ज़ीका (Zika), सार्स (SARS) जैसी बीमारियों की वज़ह से अब यह आँकड़ा 75% हो गया है। कोरोनावायरस के वर्तमान प्रकोप से परे IPBES का अनुमान है कि एक वर्ष में लगभग 700,000 लोग ज़ूनोज़ के कारण मर जाते हैं।

मानवीय योगदान

आधुनिक मनुष्य खतरनाक विषाणुओं के विकास में योगदान करते हैं। एक वायरस केवल तभी बनाता है जब एक जीवित प्राणी की कोशिका के अंदर होता है और दो व्यक्तियों के बीच संपर्क होने पर सबसे अधिक तेज़ी से फैलता है।

  • जनसंख्या वृद्धि: संयुक्त राष्ट्र वर्तमान विश्व जनसंख्या वृद्धि को प्रति वर्ष 1% से अधिक पर मापता है। वायरस के दृष्टिकोण से संभावित इनक्यूबेटर बढ़ रहे हैं। दुनिया की आबादी भी शहरीकरण को बढ़ावा दे रही है, जिसका अर्थ है निकट में रहने वाले लोग, जो एक वायरस के प्रसार के लिए अनुकूल है।
  • घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय जन परिवहन: उन्नत परिवहन प्रणालियाँ वायरस को क्षेत्रीय आबादी के बीच स्थानांतरित करने की अनुमति देती हैं। कई खतरनाक वायरस संक्रमण ज़ूनोज़ हैं, जो अन्य जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाले रोग हैं। चमगादड़ एक सामान्य अभियुक्त हैं, एक सिद्धांत यह भी है कि एक अद्वितीय निम्न-श्रेणी की प्रतिरक्षा प्रणाली रोग विकसित किये बिना अपेक्षाकृत अधिक संख्या में वायरस के प्रसार को अनुमति देती है। गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) कोरोनावायरस कोविड -19 के कारण होने वाली महामारी संभवतः चमगादड़-मानव संपर्क के माध्यम से शुरू हुई। कोविड -19 महामारी के कारण दुनिया में 6 मिलियन से अधिक मौतें हुई हैं।
  • जंगल क्षेत्रों में बसावट का विस्तार: बसावट के विस्तार से वायरस को लोगों से मिलने के अधिक अवसर मिलते हैं। पालतू पशुओं में ऐसे वायरस हो सकते हैं जो मनुष्यों को संक्रमित करते हैं और बढ़ती मानव आबादी बढ़ती और अधिक कॉम्पैक्ट पशुधन उत्पादन को निर्देशित करती है।
    • इन्फ्लुएंजा वायरस सुअरों, मवेशियों और मुर्गे के साथ-साथ मनुष्यों को भी संक्रमित करता है। H7N9 स्ट्रेन, जिसने चीन में 1,500 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2013 से एक तिहाई लोगों की मृत्यु हुई है, पहले रोगग्रस्त पोल्ट्री से मनुष्यों में स्थानांतरित हुआ था।
    • H7N9 वायरस सबसे पहले रोगग्रस्त मुर्गे से मनुष्यों में पहुँचा। हालाँकि जब संख्या की बात आती है, तो सबसे महत्त्वपूर्ण वायरल ट्रांसपोर्टर मच्छर है। उदाहरण के लिये कुछ एडीज मच्छरों के काटने से डेंगू, जीका और चिकनगुनिया वायरस का संक्रमण होता है। क्वींसलैंड इन मच्छरों का घर है, इसलिये डेंगू का प्रकोप सालाना आम तौर पर एक स्थानिक क्षेत्र से आने वाले संक्रमित यात्री के कारण होता है।

संक्रामक रोगों के बढ़ने के कारण:

  • पर्यावरण परिवर्तन या पारिस्थितिक गड़बड़ी: UNEP की रिपोर्ट के अनुसार, जूनोटिक रोगों का उद्भव अक्सर पर्यावरणीय परिवर्तन या पारिस्थितिक गड़बड़ी जैसे कृषि गहनता और मानव बस्ती या जंगलों तथा अन्य आवासों में अतिक्रमण से जुड़ा होता है।
  • प्रजातियों के बीच क्रॉसओवर के लिये मानव गतिविधि: मानव आबादी की वृद्धि और ग्रहीय संसाधनों के इसके लगातार अधिक गहन उपयोग को देखते हुए अधिक से अधिक पारिस्थितिक तंत्रों का विनाश होता है। वनों का कृषि भूमि और पशुधन फार्मों में रूपांतरण विश्व स्तर पर वनों की कटाई के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • एंटीबायोटिक दवाओं का व्यापक उपयोग: पालतू जानवर अक्सर जंगली और मनुष्यों के रोगजनकों के बीच एक "सेतु" होते हैं। पशुधन उद्योग में एंटीबायोटिक दवाओं के व्यापक उपयोग से जीवाणु रोगजनकों ने अग्रिम पंक्ति की दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण किया है। पालतू जानवरों में भी पहचाने गए लगभग 50% ज़ूनोज़ होते हैं।
  • शहरीकरण और आवास विखंडन: पर्यावास विखंडन भी प्रजातियों के बीच संतुलन के लिये अत्यधिक विघटनकारी है, जबकि ग्लोबल वार्मिंग रोग-वाहक जानवरों को नए क्षेत्र में धकेल सकती है। लोग अपने कार्यों के माध्यम से रोगाणुओं के लिये मानव आबादी के करीब आने के अवसर पैदा करते हैं।
  • भूमि उपयोग में परिवर्तन: पिछले 50 वर्षों के दौरान प्रकृति में वैश्विक परिवर्तन की दर मानव इतिहास में अभूतपूर्व है और प्रकृति में परिवर्तन का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रत्यक्ष चालक भूमि उपयोग में परिवर्तन है। कृंतक, प्राइमेट और चमगादड़ से तीन-चौथाई वायरस के मेजबान के रूप में मनुष्यों में प्रेषित होते हैं।

संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने के लिये एक ठोस जन-स्वास्थ्य संक्रामक रोग नियंत्रण कार्यक्रम की आवश्यकता है जिसमें निम्न शामिल होंगे:

  • संक्रामक रोग रुग्णता और मृत्यु दर को रोकने के लिये विज्ञान आधारित नीतियों, कार्यक्रमों और बुनियादी ढाँचे का होना।
  • प्रकोपों की तेज़ी से पहचान और नियंत्रण।
  • रोग उन्मूलन के लिये समर्थन।
  • पुन: उभरने और उभरते संक्रामक रोग खतरों के लिये रोकथाम और प्रतिक्रिया।
  • वैश्वीकरण, लोगों के विस्थापन और जलवायु परिवर्तन जैसे बाहरी कारकों से जुड़े जोखिम कारक मज़बूत और ठोस सार्वजनिक स्वास्थ्य संक्रामक रोग कार्यक्रमों की आवश्यकता को सुदृढ़ करते हैं।