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दिवस 47: "सत्यनिष्ठा" क्या है और यह भारत की सिविल सेवाओं से कैसे संबंधित है। (150 शब्द)

26 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • सत्यनिष्ठा की अवधारणा को परिभाषित करके उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा की प्रासंगिकता की विवेचना कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

सत्यनिष्ठा से तात्पर्य किसी चीज के संपूर्ण रूप से जुड़े होने और आंतरिक सुसंगति से है। सत्यनिष्ठा के अंतर्गत नैतिक सिद्धांतों के बीच में आंतरिक सुसंगति और नैतिक सिद्धांतों तथा व्यवहार में सुसंगति दोनों आते हैं। सत्यनिष्ठा संपन्न व्यक्ति का आचरण लगभग हर स्थिति में उसके नैतिक सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिये।

सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा की प्रासंगिकता:

  • कल्याणकारी राज्य में सत्यनिष्ठा रखने वाले लोकसेवकों की उपस्थिति से इस बात की गारंटी होती है कि राज्य जिन वर्गों को लाभान्वित करना चाहता है वे लाभ सचमुच उन्हें प्राप्त होते हैं।
  • प्रशासक को अपने कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों का विश्वास प्राप्त हो जाता है।
  • प्रशासक को जनता का विश्वास भी प्राप्त हो जाता है। अगर जनता को अधिकारियों पर विश्वास हो तो सामाजिक परिवर्तन तथा अन्य मामलों में उनका सक्रिय सहयोग मिलता है।
  • यह कदाचार, धोखाधड़ी, पक्षपात, शासन के अपराधीकरण, स्व-केंद्रित पदाधिकारियों और शासन में भ्रष्टाचार जैसी अनैतिक प्रथाओं को रोकता है।
  • यह सहभागी शासन के लिये जनहित और शासन में सहयोग सुनिश्चित करता है। यह जनता का खोया हुआ विश्वास वापस लाएगा और समावेशी विकास हासिल करने में मदद करेगा।

शासन की एक कुशल और प्रभावी प्रणाली तथा सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये शासन में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ हैं। इस प्रकार यह समय की तत्काल आवश्यकता है कि न केवल लोक सेवक को बल्कि संपूर्ण समाज अपने दैनिक जीवन में ऐसे मूल्यों को अपनाना चाहिये।