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दिवस 24: कानून में एक आदमी दोषी होता है जब वह दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। नीति शास्त्र में वह दोषी है यदि वह केवल ऐसा करने के बारे में सोचता है। (150 शब्द)

03 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • कानून और नैतिकता का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • कानून और नैतिकता के संचालन का वर्णन कीजिये।
  • निष्पक्ष निष्कर्ष दीजिये।

कानून, जो लोगों के लिये बाध्यकारी है और जिसका पालन किया जाना चाहिये तथा यह समग्र रूप से नियमों और विनियमों से बना है। सामान्य तौर पर नैतिकता को उन विश्वासों या मानकों के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो सही कार्य करने या चुनने के लिये प्रेरित करते हैं। सामाजिक स्तर पर, नैतिकता का संबंध व्यक्ति के व्यक्तिपरक नैतिक विवेक से है।

शब्द "आपराधिक न्याय प्रणाली" कानून को लागू करने, इसे तोड़ने वालों को दंडित करने हेतु सरकारी संस्थाओं को संदर्भित करता है। एक कानून का प्राथमिक लक्ष्य अपराधों को होने से रोकना है। इसका लक्ष्य उल्लंघनकर्त्ताओं और अपराधियों को जवाबदेह ठहराना और व्यावहारिक हद तक पीड़ितों को न्याय दिलाना है। कानून का लक्ष्य भविष्य में अपराधियों को इस तरह के अपराध करने से रोकना है। इसके विपरीत नैतिकता लोगों को सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करती है, प्रत्येक व्यक्ति के विवेक का मार्गदर्शन करती है। इसके नैतिक मूल्य के आधार पर मानव चरित्र का मूल्यांकन किया जाता है। नैतिकता एक व्यक्ति की कार्रवाई और उसके संज्ञानात्मक अभ्यावेदन दोनों पर विचार करती है, जबकि कानून केवल उस कार्रवाई को ध्यान में रखता है। इस वजह से नैतिकता किसी व्यक्ति की सोच में पैदा होते ही कुछ भी बुरा मानती है, कानून के विपरीत जो किसी व्यक्ति की कार्रवाई के आधार पर घोषणा करता है। कर्म विचारों से उत्पन्न होते हैं। किसी कार्रवाई की वैधता का मूल्यांकन कानून में किया जाता है। नैतिकता अनुभूति में एक समान कार्य करती है।

  • उदाहरण के लिये यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की हत्या करने पर विचार करता है तो यह नहीं माना जाता है कि उसने कानून तोड़ा है क्योंकि इससे दूसरे व्यक्ति के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं होता है। हालाँकि केवल हिंसक इच्छाओं को पनाह देकर, वह नैतिक रूप से दोषी है।
  • इसी तरह जो पुरुष किसी महिला की गरिमा को नुकसान पहुँचाने पर विचार करते हैं, वे नैतिक दृष्टिकोण से अपने कार्यों में गलत हैं, भले ही वे कानूनी रूप से दोषी न हों, जब तक कि वे यह कृत्य नहीं करते।

हालंकि कांट का अवलोकन हमेशा सही नहीं हो सकता है, क्योंकि नैतिकता समाज की विश्वदृष्टि को दर्शाती है, जो समय के साथ विकसित होती है। उदाहरण के लिये भारत में व्यभिचार कानूनी और नैतिक दोनों रूप से एक अपराध था। इसे अब कानून (सर्वोच्च न्यायालय का फैसला) द्वारा अपराध से मुक्त कर दिया गया है, फिर भी भारतीय समाज का एक बड़ा वर्ग अभी भी इसे अनैतिक मानता है।

कानून और नैतिकता जब एक साथ होते हैं तो काम बहुत अच्छा होता है। अधिकांश कानून नैतिकता से विकसित होते हैं और दोनों एक स्थिर, शांतिपूर्ण समुदाय के निर्माण के लिये सद्भाव में काम करते हैं। दोनों एक ऐसा वातावरण प्रदान करना चाहते हैं जो निष्पक्ष, न्यायसंगत और नियमों द्वारा शासित हो ताकि लोग सुखमय जीवन जी सकें।