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दिवस 40: भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये नागरिक पहलों की उत्पत्ति एक सक्रिय सामाजिक चेतना से होती है। विवेचना कीजिये। (150 शब्द) 

19 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

  • भ्रष्टाचार के नैतिक आयाम का उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • उन उपायों का उल्लेख कीजिये जो भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों में जनभागीदारी को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

एक दृष्टिकोण के अनुसार, भ्रष्टाचार मानव की नैतिक दुर्बलता से इतना उत्पन्न नहीं होता जितना कि तंत्र में विद्यमान उन अंतर्निहित प्रणालीगत कमज़ोरियों से होता है। ये कमज़ोरियाँ भ्रष्टाचार के अवसर पैदा करती हैं।

इसलिये केवल प्रशासनिक सतर्कता से भ्रष्टाचार पर काबू पाना बहुत मुश्किल है। इसके लिये बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है जिसमें सार्वजनिक भागीदारी और प्रणालीगत आर्थिक एवं प्रशासनिक सुधार शामिल भी हों।

भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों में सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देने के उपाय:

  • सेवा मानकों की स्थापना और प्रसार।
  • शिकायतों के निवारण हेतु विश्वसनीय तंत्र की स्थापना।
  • विश्वास के स्तर में सुधार के लिये भ्रष्टाचार विरोधी संस्थानों, न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन में जनता के विश्वास का आकलन करना।
  • सूचना तक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • भ्रष्टाचार की घटनाओं के बारे में समाज को शिक्षित करना और सत्यनिष्ठा के प्रति नैतिक प्रतिबद्धता उत्पन्न करना।
  • जन सुनवाई का उपयोग करना जिसमें दर्शक अपने स्थानीय क्षेत्र की सार्वजनिक कार्य योजनाओं के बारे में सीखते हैं और सरकार के प्रति अपनी धारणाएँ बनाते हैं।
  • सार्वजनिक शिक्षा और भ्रष्टाचार से लड़ने के बारे में जागरूकता हेतु मीडिया अभियान शुरू करना।
  • भ्रष्टाचार की समस्याओं पर चर्चा करने और समाधान पर विचार करने के लिये सत्यनिष्ठा कार्यशालाओं तथा जनसुनवाई का आयोजन करना।
  • सार्वजनिक सेवा वितरण का समय-समय पर सर्वेक्षण और आकलन करना।
  • आम तौर पर सरकार तथा इसके विशिष्ट क्षेत्रों के बारे में भ्रष्टाचार की धारणाओं का सर्वेक्षण करना।
  • सरकारी कार्यक्रमों की निगरानी के लिये नागरिक समाज समूहों को आमंत्रित करने से जवाबदेही तंत्र का विस्तार करने में मदद मिल सकती है।
  • उन सभी योजनाओं में सामाजिक अंकेक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिये जिनमें कई हितधारक हों।

भ्रष्टाचार से लड़ने की नागरिक पहल एक सक्रिय सामाजिक चेतना से आती है। इसलिये सरकारें ऐसे वातावरण को भी बढ़ावा दे सकती हैं जो नागरिक समूहों को भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों में शामिल होने में सक्षम बनाता है।