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दिवस 16: देश की जलवायु प्राथमिकताओं पर कार्रवाई को आगे बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत प्रमुख घटनाक्रमों पर चर्चा कीजिये? (250 शब्द)

26 Jul 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | पर्यावरण

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

  • एनएपीसीसी और उसके उद्देश्य की व्याख्या कीजिये।
  • आठ मिशनों का उनके लक्ष्यों और उपलब्धियों के साथ उल्लेख कीजिये।
  • उत्तर को उपयुक्त निष्कर्ष के साथ समाप्त कीजिये।

जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) को औपचारिक रूप से 30 जून 2008 को लागू किया गया। यह उन साधनों की पहचान करता है जो विकास के लक्ष्य को प्रोत्साहित करते हैं, साथ ही, जलवायु परिवर्तन पर विमर्श के लाभों को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत करता है। यह एक राष्ट्रीय रणनीति की रूपरेखा तैयार करता है जिसका उद्देश्य देश को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने और भारत के विकास पथ की पारिस्थितिक स्थिरता को बढ़ाने में सक्षम बनाना है। यह जोर देता है कि भारत के विशाल बहुमत के जीवन स्तर को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति उनकी संवेदनशीलता को कम करने के लिये उच्च विकास दर बनाए रखना आवश्यक है।राष्ट्रीय कार्य योजना के कोर के रूप में आठ राष्ट्रीय मिशन हैं।

NAPCC के अंतर्गत प्रमुख मिशन:

  • राष्ट्रीय सौर मिशन (NSM): इसका उद्देश्य वर्ष 2014-15 से लेकर सात वर्षों में 100 GW सौर ऊर्जा प्राप्त करके भारत को सौर ऊर्जा में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है। देश में वर्ष 2021 तक 49.35 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा चुकी है।
  • विकसित ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन: इस पहल की शुरुआत वर्ष 2009 में की गई जिसका उद्देश्य अनुकूल नियामक और नीतिगत व्यवस्था द्वारा ऊर्जा दक्षता के लिये बाज़ार को मज़बूत करना और ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में नवीन और स्थायी व्यापार मॉडल को बढ़ावा देने की परिकल्पना करना है।
  • सुस्थिर निवास पर राष्ट्रीय मिशन: 2011 में अनुमोदित, इसका उद्देश्य इमारतों में ऊर्जा दक्षता में सुधार, ठोस कचरे के प्रबंधन और सार्वजनिक परिवहन में बदलाव के माध्यम से शहरों का विकास करना है।
  • राष्ट्रीय जल मिशन: राष्‍ट्रीय जल मिशन इस प्रकार आयोजित किया जाएगा ताकि जल संरक्षण, जल के अपव्यय को कम करने और राज्‍यों तथा राज्‍यों के बीच जल का अधिक समीकृत वितरण सुनिश्चित करने हेतु समेकित जल संसाधन प्रबंधन सुनिश्‍चित किया जा सके।
  • सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन: हिमालय की रक्षा करने के उद्देश्य से इसने सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय में आसानी के लिये हिमालयी पारिस्थितिकी पर काम करने वाले संस्थानों और नागरिक संगठनों को चिह्नित किया है।
  • हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन: 20 फरवरी, 2014 को केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन को एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में शामिल करने के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से सुरक्षा प्रदान करना अर्थात् अनुकूलन और शमन उपायों के संयोजन से भारत के कम होते वन आवरण को बहाल करना तथा जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिये तैयारी करना है।
  • सतत कृषि के लिये राष्ट्रीय मिशन: इसे 2010 में शुरू किया गया था। यह विशेष रूप से एकीकृत खेती, जल उपयोग दक्षता, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और संसाधन संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्षा आधारित क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिये तैयार किया गया है।
  • जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन: यह एक गतिशील और जीवंत ज्ञान प्रणाली का निर्माण करता है जो राष्ट्र के विकास लक्ष्यों पर समझौता न करते हुए जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिये राष्ट्रीय नीति और कार्रवाई को सूचित और समर्थित करता है।

यदि इन मिशनों को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया जाता है तो भारत जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हो सकता है और पारिस्थितिक स्थिरता को बढ़ा सकता है। भारत पर्यावरण को प्रभावित किये बिना उच्च विकास दर बनाए रख सकता है और वर्ष 2070 से पहले शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त कर सकता है।