इन डेप्थ : वाटर – लीविंग नो वन बिहाइंड | 09 Apr 2019

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण एवं विकास एजेंसी द्वारा हर साल 22 मार्च को विश्व विश्व जल दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2019 के लिये इस दिवस की थीम “किसी को पीछे नहीं छोड़ना” (Leaving no one behind) है। इस आदर्श वाक्य के ज़रिये यह बताया गया है 'चाहे आप कोई भी हों, कहीं भी हों, पानी आपका मानवाधिकार है'।

जल (Water)

  • संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षित जल (Safe Water) की परिभाषा के मुताबिक सुरक्षित जल वह है जो संदूषण (Contamination) से मुक्त हो, परिसर (Premises) में सुलभ हो और ज़रूरत पड़ने पर उपलब्ध हो।
  • जल मानव अस्तित्व, स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र, सामाजिक-आर्थिक विकास और खाद्य तथा ऊर्जा उत्पादन के लिये भी महत्त्वपूर्ण है।
  • हालाँकि दुनिया का लगभग 70% हिस्सा पानी से ढका है, लेकिन इसमें से केवल 2.5% जल ही ताज़ा है।
  • झीलों और नदियों में 1% से भी कम मीठा जल सुलभ है।
  • शेष ताज़े जल में से एक-तिहाई की भूमिगत जल से आपूर्ति होती है यानी यह अच्छी तरह से संचित है, जबकि अन्य दो-तिहाई सुदूर बर्फ से ढका हुआ या ग्लेशियरों में आबद्ध है।

जल के साथ भेदभाव

  • स्वच्छ जल तक पहुँच बनाने के लिये उम्र और लैंगिक भेदभाव सबसे महत्त्वपूर्ण कारण हैं। इसकी वज़ह से महिलाएँ और बच्चे इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। वास्तव में बच्चे गंदे जल के कारण बीमारियों की चपेट में आते हैं।
  • पानी को लेकर भेदभाव के अन्य कारणों में नस्ल, जातीयता, धर्म, जन्म, जाति, भाषा और राष्ट्रीयता शामिल हैं।
  • विकलांगता, आयु, स्वास्थ्य तथा आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति के कारण कुछ लोग विशेष रूप से जल तक पहुँच प्राप्त करने से वंचित हैं।
  • पर्यावरणीय क्षरण, जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि, संघर्ष, ज़बरन विस्थापन और पलायन भी कुछ ऐसे कारण हैं जिनकी वज़ह से समाज के हाशिये पर खड़े समूह पीड़ित हैं।

वैश्विक जल संकट

  • 844 मिलियन लोगों की स्वच्छ पानी तक कम पहुँच है। इसमें से 159 मिलियन लोग अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये सतही जल पर निर्भर हैं।
  • 2 बिलियन से अधिक लोग बेहतर स्वच्छता स्थिति के बिना जीवन यापन करते हैं।
  • स्वच्छ पानी की कमी भी स्वास्थ्य के लिये एक संकट है क्योंकि आँकड़े बताते हैं कि पानी से संबंधित बीमारियों से हर दो मिनट में एक बच्चे की मृत्यु होती है।
  • हर साल कम-से-कम दस लाख लोग स्वच्छ पानी, साफ-सफाई और शारीरिक स्वच्छता संबंधी कारणों से मारे जाते हैं।
  • 2017 में पानी ने कम-से-कम 45 देशों में संघर्ष के कारणों में प्रमुख भूमिका निभाई, विशेष रूप से मध्य-पूर्व और उत्तरी-अफ्रीका में।
  • यमन में कम-से-कम 28 घटनाओं में सबसे अधिक पानी से संबंधित संघर्ष हुए।
  • ऐसी संभावना व्यक्त की गई है कि 2040 तक 33 देश जिनमें से मध्य-पूर्व में 15, अधिकांश उत्तरी अफ्रीकी देश, पाकिस्तान, तुर्की और अफगानिस्तान उच्च जल तनाव का सामना करेंगे।
  • भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, U.S.A और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देश भी उच्च जल तनाव (High Water Stress) का सामना करेंगे।

‘डे ज़ीरो’ घटनाएँ

  • ‘डे ज़ीरो’ एक ऐसी स्थिति है जब किसी क्षेत्र में नल सूखने लगते हैं।
  • दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन में पिछले वर्ष जल का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया था। इसके चलते यहाँ ‘डे-ज़ीरो’ के तहत सारे नलों से पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई।
  • हालात ऐसे हो गए कि लोगों को सप्ताह में सिर्फ दो बार नहाने और शौचालय में फ्लश के लिये टंकी के पानी के उपयोग पर रोक लगा दी गई।
  • ब्राज़ील के साओ पाउलो शहर में 2015 में ‘डे ज़ीरो’ की स्थिति बन गई थी। शहर में कई व्यवसायों और उद्योगों को बंद करने के लिये दिन में 12 घंटे जल की आपूर्ति बंद कर दी गई थी।
  • 2008 में स्पेन के बार्सिलोना में फ्राँस से स्वच्छ पेयजल से भरे टैंकरों का आयात करना पड़ा था।

भारत में जल संकट

  • पानी की कमी के साथ रहने वाले लोगों की सूची में भारत सबसे ऊपर है।
  • भारत में एक अरब लोग पानी की कमी वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें से 600 मिलियन लोग पानी के उच्च (High) से चरम (Extreme) तनाव वाले क्षेत्रों में रहते हैं।
  • 2016 में 302 ज़िलों के लगभग 330 मिलियन लोग सूखे से प्रभावित थे।
  • देश की 21% से अधिक बीमारियाँ पानी से संबंधित हैं। 2015 में भारत में पाँच साल से कम उम्र के 1 लाख बच्चों की मृत्यु दस्त के कारण हुई।
  • नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बंगलुरू जल्द ही भूजल की समाप्ति वाले दुनिया के 11 शहरों में से एक होगा।
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2020 तक ‘डे ज़ीरो’ भारत के बंगलुरू और 20 अन्य प्रमुख शहरों (दिल्ली सहित) को नुकसान पहुँचाएगा जिससे अनुमानतः 100 मिलियन लोग प्रभावित होंगे।

भारत-विशिष्ट कारण

  • हालाँकि भारत में हर साल लगभग 1.3 मी. वर्षा होती है लेकिन स्थान और समय पर समान वितरण एक समस्या है।

♦ भारत में मानसून के दौरान लगभग 95% वर्षा होती है। नॉर्थ-ईस्ट इंडिया में हर साल लगभग 30 मी. बारिश होती है जो दुनिया में सबसे ज़्यादा है।
♦ लेकिन राजस्थान के कुछ हिस्सों और भारत के कुछ अन्य हिस्सों में 200MM से कम वर्षा होती है, जिससे ये क्षेत्र दुनिया की सबसे सूखा वाले क्षेत्रों में से हैं।

  • भूजल का अतिदोहन और संदूषण।
  • झीलें, नदियाँ और झरनों का सूखना।
  • सतही जल का प्रदूषण।
  • जल प्रबंधन में दक्षता की कमी।

प्रभाव

  • आसानी से सुलभ पानी के बिना परिवार और समुदाय पीढ़ियों से गरीबी में जीवन यापन करते हैं।

♦ बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं और माता-पिता जीवन यापन करने के लिये संघर्ष करते हैं।
♦ महिलाएँ प्रायः प्रत्येक दिन अनुमानित 200 मिलियन घंटे अपने परिवार के लिये पानी ढोने का भार उठाती हैं।

  • मोरक्को, भारत, इराक और स्पेन में जलाशयों के सिकुड़ने से आने वाले समय में ‘डे ज़ीरो’ जल संकट उत्पन्न हो सकता है।
  • पानी और स्वच्छता संबंधी बीमारियों के कारण मौतें।

पानी बचाने के लिये यू.एन. की पहलें

  • संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन (1977), अंतर्राष्ट्रीय पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता दशक (1981-1990), जल और पर्यावरण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (1992) और पृथ्वी शिखर सम्मेलन (1992) का फोकस महत्त्वपूर्ण संसाधन जल पर केंद्रित है।
  • ‘जीवन के लिये जल’ (2005-2015 के लिये अंतर्राष्ट्रीय दशक) द्वारा विकासशील देशों में लगभग 1.3 बिलियन लोगों को सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बनाने में मदद मिली तथा सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयास के तहत स्वच्छता को गति प्रदान कर आगे बढ़ाया।
  • सबसे हालिया पहल 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट है जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक सभी के लिये पानी की उपलब्धता और जल का स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित करना है।

जल संरक्षण – समाधान
पानी का पुन: उपयोग

  • सब्जियों को धोने के बाद बचे हुए पानी का इस्तेमाल बागवानी के लिये किया जा सकता है।
  • फर्श की सफाई के लिये आरओ के बेकार पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

अपव्यय को रोकना

  • ब्रश करते समय नल को खुला न छोड़ें।
  • सामान्य नल की तुलना में एरियेटर (Aerator) एक मिनट में लगभग 35-40% पानी बचाते हैं।
  • शॉवर लेने के बजाय एक बाल्टी पानी से नहाने की कोशिश करें।
  • कम्पोस्टिंग शौचालयों की स्थापना।
  • घर में जल के लीकेज की जाँच करना।
  • कृत्रिम रिचार्ज तकनीकों का उपयोग करके भूजल स्तर बढ़ाया जा सकता है।
  • घरों और घरों के आस-पास वर्षा जल संचयन प्रणाली पानी की कमी को दूर कर सकती है।
  • कम पानी वाली सघन फसलों की खेती करना एक अन्य उपाय है। साथ ही, सिंचाई के लिये ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम के उपयोग से पानी के संरक्षण में मदद मिलेगी।
  • उन सिंथेटिक अवयवों के उपयोग से बचना, जो जल निकायों को दूषित करते हैं। जल शोधन पानी के संरक्षण का एक अन्य उपाय है।

निष्कर्ष

अगले 50 वर्षों के भीतर दुनिया की आबादी 40-50% बढ़ जाएगी। औद्योगीकरण और शहरीकरण के साथ युग्मित इस वृद्धि के परिणामस्वरूप पानी की मांग बढ़ेगी। इस मांग को पूरा करने के लिये लोगों को यह समझने की ज़रूरत है कि जल ही जीवन है और ऐसे कदम उठाए जाने की ज़रूरत है जिससे जल के संरक्षण में मदद मिले। विभिन्न देशों की सरकारों को अपने क्षेत्रों में वृक्षों के आवरण को बढ़ाने के अलावा पानी के कुशल प्रबंधन और भंडारण को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।