संसद टीवी संवाद

द बिग पिक्चर/विशेष : मिशन स्मार्ट सिटी | 22 Jan 2018 | राज्यसभा

संदर्भ व पृष्ठभूमि 

हाल ही में स्मार्ट सिटी परियोजना में शहरों की चयन प्रक्रिया के चौथे और अंतिम चरण में 9 और शहरों को शामिल किया गया। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 15 शहरों के बीच प्रतियोगिता कराई थी, जिनमें से इन शहरों का चयन किया गया। विदित हो कि स्मार्ट सिटी परियोजना में 90 शहरों का चयन पहले ही हो चुका है।  

स्मार्ट सिटी की परिभाषा

  • स्मार्ट सिटी की ऐसी कोई परिभाषा नहीं है जिसे सर्वत्र स्वीकार किया जाता है। 
  • अलग-अलग लोगों के लिये इसका आशय अलग-अलग होता है। 
  • स्मार्ट सिटी की संकल्पना, शहर-दर-शहर और देश-दर-देश भिन्न होती है।
  • स्मार्ट सिटी का भारत में अलग अर्थ होगा हेतु कुछ पारिभाषिक सीमाएँ अपेक्षित हैं।
  • भारत में किसी भी शहर निवासी की कल्पना में, स्मार्ट शहर तस्वीर में ऐसी अवसंरचना एवं सेवाओं की अभीष्ट सूची होती है जो उसकी आकांक्षा के स्तर को वर्णित करती है। 
  • नागरिकों की आकांक्षाओं और ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, शहरी योजनाकार को लक्ष्य आदर्श तौर पर पूरे शहरी पारिस्थितिकी तंत्र का इस प्रकार विकास करना होता है।
  • यह व्यापक विकास के चार स्तंभों--संस्थागत, भौतिक, सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना में दिखाई देता है। 
  • यह दीर्घावधिक लक्ष्य हो सकता है और चुने हुए शहर ‘स्मार्टनेस’ की परतें जोड़ते हुए संवर्धित रूप से ऐसी व्यापक अवसंरचना तैयार करने की दिशा में कार्य कर सकते हैं।

(टीम दृष्टि इनपुट)

स्मार्ट सिटी चयन का आधार

इस चरण में उत्तर प्रदेश के तीन शहरों-बरेली, मुरादाबाद और सहारनपुर के अलावा तमिलनाडु में इरोड, दादरा नगर हवेली में सिलवासा, लक्षद्वीप में कावारती, अरुणाचल प्रदेश में ईटानगर और दमन दीव में दीव को जगह मिली है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार इस परियोजना के पहले चरण में 100 शहरों में प्रत्येक को 500 करोड़ रुपये दे रही है। शेष राशि संबद्ध शहर स्थानीय निकाय बांड के अलावा निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी से जुटा रहे हैं। देशभर में कुल 100 स्मार्ट सिटीज़ पर 2 लाख 3 हज़ार 979 करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना है।

विकास के लिये विशेष कंपनी (Special Purpose Vehicle-SPV)

स्मार्ट सिटी परियोजना के लिये विकसित की जाने वाली भूमि और इसके क्रियान्वयन का विशेष अधिकार एसपीवी के पास है। इस कंपनी का काम शहर के विकास में शामिल सभी एजेंसियों और स्थानीय राजनीतिक नेतृत्व के बीच तालमेल सुनिश्चित करना है। मिशन स्मार्ट सिटी के लिये एसपीवी को कंपनी कानून के तहत बनाया गया है ताकि पेशेवर क्षमता और जवाबदेही को सबसे अच्छे ढंग से सुनिश्चित किया जा सके। इस मिशन में निजी भागीदारी के लिये महानगरों की बड़ी सलाहकार संस्थाओं और कंपनियों पर निर्भर रहने के बजाय स्थानीय कंपनियों और तकनीकी संस्थाओं के साथ साझेदारी की संभावनाएँ तलाशी जानी चाहिये। 

इसके लिये शहरी स्थानीय निकायों की क्षमताओं का निर्माण करने और उपलब्ध संसाधनों को विकसित करने की आवश्यकता है। इस तरह की व्यवस्था से सस्ते नवाचार की भावना भी झलकती है जिसे स्मार्ट सिटी मिशन के दिशा-निर्देशों में बढ़ावा दिया गया है। 

स्मार्ट सिटी योजना में दो तरह की परियोजनाएँ बन रही  हैं--1. शहरी बुनियादी ढाँचे से संबंधित 2. सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीक से। पुराने शहर में बुनियादी ढाँचे के विकास में समय लगने की संभावना है और ऐसे में सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीक से जुड़ी सुविधाओं जैसे-शहरी निकाय की सेवाओं की आपूर्ति, स्मार्ट खंभों के ज़रिये सेंसर आधारित आँकड़ों का संग्रह, इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट, स्मार्ट ठोस कचरा प्रबंधन और जलापूर्ति में जल्दी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

(टीम दृष्टि इनपुट)

मिशन स्मार्ट सिटी में अब तक हुई प्रगति?
17 जनवरी, 2018 तक...

पश्चिमी देशों से अलग हैं भारतीय स्मार्ट सिटी 

देश में जिन स्मार्ट सिटीज़ का विकास करने की योजना है, वह यूरोपीय या अमेरिकी स्मार्ट सिटी की अवधारणा से कुछ अलग है। भारत में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत मौजूदा शहरी क्षेत्र को रहने योग्य बनाना है यानी कि शहरों की रेट्रोफिटिंग करना। इसका लक्ष्य शहर के एक हिस्से में आधुनिक सुख-सुविधाएँ विकसित करना है, जिसके तहत शहर में कम-से-कम 500 एकड़ के हिस्से को नए रंगरूप में ढाला जा सकता है या फिर 25 एकड़ हिस्से को नए सिरे से विकसित किया जा सकता है या फिर बिल्कुल नया शहर बसाया जा सकता है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

भारत में प्रस्तावित स्मार्ट सिटी सुविधाएँ 

मिशन स्मार्ट सिटी की प्रमुख चुनौतियाँ

स्मार्ट सिटी और नया शहरी एजेंडा

  • जैसा हम बता चुके हैं कि 'स्मार्ट सिटी' की संकल्पना, शहर-दर-शहर और देश-दर-देश भिन्न होती है, जो विकास के स्तर, परिवर्तन और सुधार की इच्छा, शहर के निवासियों के संसाधनों और उनकी आकांक्षाओं पर निर्भर करती है। इस मिशन में शहरों के मार्गदर्शन करने के लिये कुछ पारिभाषिक सीमाएँ अपेक्षित हैं। 
  • भारत में किसी भी शहर निवासी की कल्पना में, स्मार्ट शहर तस्वीर में ऐसी अवसंरचना एवं सेवाओं की अभीष्ट सूची होती है, जो उसकी आकांक्षा के स्तर को वर्णित करती है। स्मार्ट सिटी अवधारणा, जहाँ नागरिकों की आकांक्षाओं और ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, शहरी योजनाकार को आदर्श तौर पर पूरे शहरी पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना होता है, वहीं नया शहरी एजेंडा जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के लक्ष्यों को समाहित किये हुए है।
  • बेशक स्मार्ट सिटी का विचार ई-गवर्नेंस की अवधारणा को एक नए स्तर पर ले जाने का प्रयास है। पूर्णत: स्मार्ट सिटी हो जाने पर स्मार्ट सिटी के निवासियों की अधिकांश समस्याएँ स्वत: ही हल हो जाएंगी। स्मार्ट सिटी बनने की आवश्यक शर्तों में ई-गवर्नेंस तो है ही, लेकिन यह एक धुरी मात्र है, जिस पर शेष सेवाएँ आधारित हैं। स्मार्ट सिटी के महाअभियान में जनसाधारण को शामिल किये बिना स्मार्ट सिटी का सपना पूरा नहीं हो सकता। स्मार्ट सिटी वस्तुत: एक ऐसा शहर होता है, जो सतत आर्थिक विकास व उच्च जीवन स्तर सुनिश्चित करता है तथा अर्थव्यवस्था, परिवहन, पर्यावरण, जीवन स्तर और सरकारी सेवाओं की सर्वोच्च श्रेष्ठता पर फोकस करता है। अतः स्मार्ट सिटी मिशन और नए शहरी एजेंडे का मिलन भारत में शहरीकरण से उत्पन्न समस्याओं का समाधान बन सकता है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

निष्कर्ष: केंद्र सरकार ने जून 2015 में स्मार्ट सिटी मिशन शुरू किया था, जिसका लक्ष्य 100 शहरों को स्मार्ट सिटी में बदलना है। इन शहरों में पर्याप्त जल और बिजली आपूर्ति, सफाई, सार्वजनिक यातायात, ठोस कचरा प्रबंधन, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, आधुनिक यातायात प्रबंधन व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी और ई-प्रशासन के ज़रिये जीवन स्तर को बेहतर बनाया जाना है। अब केंद्र सरकार ने राज्यों से मिशन स्मार्ट सिटी में उन स्मार्ट सिटी परियोजनओं को शीघ्र लागू करने के लिये कहा है, जिनका नागरिकों के जीवन पर प्रत्यक्ष एवं परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ता है। 

किसी भी देश में स्मार्ट सिटी की अवधारणा वहाँ विकास के स्तर, परिवर्तन और सुधार की इच्छा, शहर के निवासियों के संसाधनों और उनकी आकांक्षाओं पर निर्भर करती है। आज शहरीकरण और इससे उत्पन्न समस्याएँ देश के लिये एक बड़ा संकट बनकर सामने आए हैं और इसके लिये सभी संभावित उपाय किये जा रहे हैं। ऐसे में स्मार्ट सिटी जैसी पहल अत्यंत उपयोगी और सार्थक कही जा सकती है।