वन नेशन, वन गैस ग्रिड | 15 Jan 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने केरल के कोच्चि से कर्नाटक के मंगलूरु तक 450 किलोमीटर की प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का उद्घाटन किया।

  • उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किये जाने वाले उर्जा स्रोतों में प्राकृतिक गैस के दोगुने से अधिक हिस्से की परिकल्पना के लिये ऊर्जा के स्रोतों में विविधता लाने, राष्ट्र को एक गैस पाइपलाइन ग्रिड से जोड़ने तथा लोगों व उद्योगों को सस्ता ईंधन उपलब्ध कराने के लिये सरकार ने ऊर्जा रोडमैप तैयार किया है।

प्रमुख बिंदु

  • आत्मनिर्भर भारत के लिये गैस आधारित अर्थव्यवस्था का होना आवश्यक है, इसीलिये 'वन नेशन, वन गैस ग्रिड' की दिशा में काम किया जा रहा है।
  • पाइपलाइन ग्रिड से यह अपेक्षा है कि यह न केवल स्वच्छ ऊर्जा पहुँच को बेहतर बनाने में मदद करेगी, बल्कि शहरी गैस परियोजनाओं के विकास में भी सहायता करेगी।
  • सरकार प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में लाने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है।

वन नेशन, वन गैस ग्रिड

  • योजना और परिचालन उद्देश्यों हेतु भारतीय विद्युत प्रणाली को पाँच क्षेत्रीय ग्रिडों में विभाजित किया गया है।
    • वन नेशन, वन गैस ग्रिड इन क्षेत्रीय ग्रिडों के एकीकरण को संदर्भित करता है तथा केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों जैसे विभिन्न हितधारकों को प्राकृतिक गैस द्वारा उत्पादित ऊर्जा प्रदान करने के लिये एक राष्ट्रीय ग्रिड की स्थापना की संकल्पना प्रस्तुत करता है।

Natural-Gas-Infrastructure

वन नेशन, वन गैस ग्रिड का उद्देश्य एवं आवश्यकता

  • लक्ष्य प्राप्ति में सहायक: यह गैस पाइपलाइन जो कि भारत सरकार की एक पहल है और जिसमें सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा बास्केट (Energy basket) में प्राकृतिक गैस के हिस्से के रूप में 15% तक के मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, को पूरा करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में यह 6.2-6.5% है जो वैश्विक औसत का 23-24% है।
  • राष्ट्र को जोड़ना: वन नेशन, वन गैस ग्रिड के साथ ही प्राकृतिक गैस के माध्यम से उत्पादित ऊर्जा की आपूर्ति संपूर्ण देश में एकल स्रोत के माध्यम से की जाएगी।
  • क्षेत्रीय असंतुलन में सुधार: इससे क्षेत्रीय असंतुलन (गैस की उपलब्धता और गैर-उपलब्धता वाले क्षेत्रों में) को दूर करने में मदद मिलेगी क्योंकि वर्तमान में प्राकृतिक गैस देश के कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। 
  • गैस आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में भारत: वन नेशन, वन गैस ग्रिड भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में उभारने में मदद करेगा।
    • यह न केवल अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान कर विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि एक स्वच्छ वातावरण को भी प्रोत्साहित करेगा।
  • स्वच्छ पर्यावरण: ऐसे समय में जब पारंपरिक उर्जा स्रोत कम हो रहे हैं और खनन गतिविधियों को अधिक गहराई तथा विभिन्न क्षेत्रों तक बढ़ाया जा रहा है, इस स्थिति में प्राकृतिक गैस वनों की कटाई और मरुस्थलीकरण को रोकने में एक वरदान साबित हो सकती है।
  • आयात पर निर्भरता को कम करना: भारत द्वारा 53% प्राकृतिक गैस का आयात किया जाता है। इस उच्च आयात प्रतिशत को कम करने हेतु सरकार भारत के ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने के उपाय कर रही है।

भारत का लक्ष्य

  • प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने हेतु सरकार ने पहले ही  प्राकृतिक गैस ग्रिड को विस्तारित कर इसे 17,500 किलोमीटर से बढ़ाकर 34,500 किलोमीटर तक करने की घोषणा कर दी थी और इसमें से 450 किलोमीटर पहले ही विस्तारित किया जा चुका है, जिससे यह गैस ग्रिड लगभग 18000 किलोमीटर तक विस्तृत हो गई है।
    • अगले 16000 किलोमीटर क्षेत्र का विस्तार आने वाले 4-6 वर्षों में किये जाने की उम्मीद है।
  • एक ग्रिड के रूप में मुख्यतः भारत का उत्तरी और पश्चिमी भाग पहले से ही एलएनजी टर्मिनल के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
    • पिछले 4 वर्षों में पूर्वी भारत को  पीएम उर्जा गंगा परियोजना के तहत जगदीशपुर-हल्दिया-बोकारो-धामरा पाइपलाइन के माध्यम से जोड़ने का प्रयास किया गया है। यह परियोजना अपने अंतिम चरण में है तथा यह ग्रिड लगभग 3000 किलोमीटर तक विस्तारित होगी।
  • वर्तमान में भारत के दक्षिणी क्षेत्र को ऊर्जा ग्रिड में शामिल करने की योजना है। इसके अंतर्गत लगभग 1500 किलोमीटर क्षेत्र को शामिल किये जाने की उम्मीद है।

आगे की राह

  • निवेश प्रोत्साहन: प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में निवेश को अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। शेयर में छोटे विनिर्माण ब्रांडों का 20%, जबकि सरकार और बड़ी कंपनियों का 80% हिस्सा होना चाहिये।
    • यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि प्राकृतिक गैस में निवेश का अर्थ है:
      • स्वच्छ वातावरण।
      • लोगों के लिये बेहतर स्वास्थ्य।
      • लोगों हेतु अधिक रोज़गार और एक बेहतर अर्थव्यवस्था का निर्माण करना।
  • प्राकृतिक गैस के बारे में शिक्षित करना: वर्तमान में प्राकृतिक गैस आधारित अर्थव्यवस्था के बारे में लोगों के पास ज्ञान की व्यापक कमी है। अतः लोगों को शिक्षित करने का काम हम सभी को  मिलकर करना चाहिये। 
  • आवागमन के साधनों का सशक्तीकरण: वन नेशन, वन गैस ग्रिड को गंतव्य तक पहुँचाने के लिये समर्थ यातायात-साधनों की आवश्यकता होती है। प्राकृतिक गैस ऊर्जा के मौजूदा अभाव को खत्म करने हेतु GAIL, ONGC आदि को अपने यातायात-साधनों को मज़बूत और सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
    • यह ज़रूरी है कि अगर ONGC, GAIL India और Oil India जैसी कंपनियाँ गैस तथा तेल के उत्पादन व वितरण के लिये सामने आएँ तो उन्हें विशेष महत्त्व देना चाहिये।
      • गैस के अधिक उत्पादन के लिये LNG टर्मिनलों की अधिक आवश्यकता है।
  • विपणन और मूल्य निर्धारण में सुधार: पिछले महीनों में भारत सरकार ने प्राकृतिक गैस के घरेलू अन्वेषण, निवेश और उत्पादन को बढ़ाने के लिये विपणन तथा मूल्य निर्धारण में सुधार किया है।
  • प्राकृतिक गैस वितरण की लोकतंत्रात्मक व्यवस्था: जिस प्रकार से देश के किसी भी नागरिक को लोकतंत्र से बाहर नहीं रखा जाना चाहिये, उसी तरह किसी को भी प्राकृतिक गैस के लाभों से वंचित नहीं किया जाना चाहिये, इसे प्रत्येक घर तक पहुँचाया जाना चाहिये।
  • सहयोगात्मक प्रयास: केवल केंद्र सरकार द्वारा ही इस दिशा में पहल करना पर्याप्त नहीं होगा। विभिन्न राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्रों को भी वन नेशन, वन गैस ग्रिड के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये आगे आना होगा।

निष्कर्ष

स्वच्छ, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा प्राप्त करने के लिये काफी प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन आने वाले समय में बुनियादी ढाँचे से संबंधित और कई अन्य संभावित चुनौतियाँ उत्पन्न होंगी। अतः आने वाले समय में ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिये आवश्यक कदम उठाया जाना चाहिये, ताकि नागरिकों हेतु ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।