संसद टीवी संवाद

देश देशांतर : मातृत्व स्वास्थ्य एवं चुनौतियाँ | 15 Dec 2018 | शासन व्यवस्था

संदर्भ एवं पृष्ठभूमि


किसी भी देश में जनता का स्वास्थ्य वहाँ की सरकार के एजेंडे में प्रमुख होता है खासतौर पर महिलाओं औऱ बच्चों का। देश में स्वास्थ क्षेत्र यूं तो राज्यों का विषय है लेकिन केंद्र सरकार ने इसे मिशन के तौर पर लिया है। देश में पोषण सप्ताह मनाया जा रहा है जिसका मकसद महिलाओं और बच्चों में पोषण का खास खयाल रखते हुए उन्हें स्वस्थ बनाना है। दिल्ली में चल रहे PMNCH पार्टनर फोरम (मातृत्व, नवजात एवं बाल स्वास्थ्य सहभागिता मंच) सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि सरकार का पूरा ज़ोर महिलाओं औऱ बच्चों के स्वास्थ को बेहतर बनाना है। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत वर्ष 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का 2.5 प्रतिशत करने के लिये प्रतिबद्ध है।

सरकारी प्रयास का बेहतर परिणाम

मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना

प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य

टीम दृष्टि इनपुट

सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों की भूमिका

क्षेत्रीय असमानता एक बड़ी चुनौती

प्रशिक्षण और निगरानी की आवश्यकता

किन चीजों पर अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है?

1. स्टिल बर्थ (still birth)

2. नवजात शिशु

3. किशोर स्वास्थ्य

4. फीमेल कैंसर

निष्कर्ष


यद्यपि 1990 से 2016 के बीच मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिये भारत ने वैश्विक औसत से काफी बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन MMR के नज़रिये से ब्राज़ील (44), चीन (27) और जापान (5) जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ खड़ा होने में हमें अभी लंबा सफ़र तय करना होगा। हमारी योजनाएँ बेहतर काम कर रही हैं इन्हें और बेहतर ढंग से कार्यान्वित करने की आवश्यकता है। मातृ मृत्यु के अभिशाप को खत्म करना और मातृत्व हक का सम्मान करना हमारी व्यवस्था का उत्तरदायित्व है।