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मानव तस्करी | 06 Aug 2019 | भारतीय समाज

संदर्भ

मानव तस्करी दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें लोगों को उनके शोषण के लिये खरीदा और बेचा जाता है। वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस घृणित अपराध के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रोत्साहित करने हेतु ‘मानव तस्करी से निपटने के लिये वैश्विक योजना ‘ (The Global Plan of Action to Combat Trafficking in Persons) को अपनाया था।

संयुक्‍त राष्‍ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय द्वारा जारी मानव तस्करी पर वैश्विक रिपोर्ट (Global Report on Trafficking in Persons) के अनुसार, राष्ट्र अब इस अपराध के प्रति जागरूक हो रहे हैं, पीड़ितों की पहचान कर रहे हैं और अधिक-से-अधिक तस्करों को सज़ा दे रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिलाएँ और लड़कियाँ मानव तस्करी से सर्वाधिक पीड़ित हैं। इनमें से अधिकांश की तस्करी यौन शोषण के लिये की जाती है।

हालाँकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 (1) और अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत भारत में मानव तस्करी प्रतिबंधित है तथापि मानव तस्करी की जाँच के लिये सरकार अब एक व्यापक विधेयक को फिर से पेश करने की योजना बना रही है। ज्ञातव्य है कि मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018 पिछले वर्ष लोकसभा द्वारा पारित किया गया था लेकिन यह विधेयक 16वीं लोकसभा के विघटन के बाद समाप्त हो गया।

परिभाषा

संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या दोषपूर्ण तरीके से कोई कार्य करवाना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं।

वर्तमान स्थिति

मानव तस्करी पर वैश्विक रिपोर्ट (Global Report on Trafficking in Persons) अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है, जो मानव तस्करी को लेकर वैश्विक स्तर पर व्यापक मूल्यांकन प्रदान करती है। इसमें 155 देशों से प्राप्त आँकड़े शामिल हैं जिसमें मानव तस्करी के पैटर्न का अवलोकन, प्रतिक्रिया में उठाए गए कानूनी कदम एवं व्यक्तियों, पीड़ितों और अभियोजन संबंधी देश-विशेष में तस्करी के मामलों की जानकारी है।

trafficking in persons

ज्ञातव्य है कि मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जुलाई को मनाया जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार

आंकड़े

trafficking

वर्ष 2000 में अधिनियमित अमेरिकी कानून ‘तस्करी पीड़ित शिकार संरक्षण अधिनियम’ के आधार पर देशों को तीन वर्गों (टियर-1, टियर-2, टियर-3) में विभाजित किया जाता है।

यह वर्गीकरण देश में तस्करी की समस्या के स्तर पर आधारित न होकर मानव तस्करी के उन्मूलन के लिये न्यूनतम मानकों को पूरा करने के लिये प्रयासों पर आधारित है। वर्गीकरण के आधार पर यू. एस. टियर-1 में शामिल है।

मानव तस्करी में भारत की स्थिति

राष्‍ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्‍यूरो का गठन जनवरी, 1986 में निम्‍नलिखित उद्देश्‍य की पूर्ति हेतु किया गया:

मानव तस्करी के कारण

तस्करी से निपटने के प्रयास

मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018

यह विधयेक सभी प्रकार की मानव तस्करी की जाँच, उसके निवारण, संरक्षण और तस्करी के पीड़ितों के पुनर्वास के लिये कानून बनाता है।

विधयेक ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जाँच तथा पुनर्वास समितियों की स्थापना करता है। पीड़ितों को छुड़ाने और मानव तस्करी के मामलों की जाँच करने के लिये एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट्स की स्थापना की जाएगी। पुनर्वास समितियाँ छुड़ाए गए पीड़ितों की देखभाल और पुनर्वास करेंगी।

विधयेक कुछ उद्देश्यों के लिये की गई तस्करी को तस्करी के ‘गंभीर’ (एग्रेवेटेड) प्रकार मानता है। इनमें बलात श्रम करवाने, बच्चे पैदा करने, भीख मंगवाने के लिये तस्करी करना शामिल है। साथ ही अगर किसी व्यक्ति में जल्दी यौन परिपक्वता (सेक्सुअल मेच्योरिटी) लाने के लिये उसकी तस्करी की जाती है, तो ऐसा मामला भी गंभीर मामला माना जाएगा। गंभीर तस्करी के मामले में अधिक कठोर दंड दिया जाएगा।

विधयेक तस्करी से संबंधित अनेक अपराधों के लिये सज़ा का प्रावधान करता है। अधिकतर मामलों में मौजूदा कानूनों के अंतर्गत दी जाने वाली सज़ा से अधिक सज़ा निर्धारित की गई है।

प्रमुख विशेषताएँ

विधयेक के अनुसार, उसके प्रावधानों को दूसरे कानूनों के संयोजन से पढ़ा जाएगा और उसके प्रावधान तभी लागू होंगे, जब किसी प्रकार की असंगति होगी। विधयेक की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

संयुक्‍त राष्‍ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय

(United Nation Office on Drug and Crime- UNODC)

फोकस के क्षेत्र

अभ्यास प्रश्न: मानव तस्करी के विभिन्न रूपों एवं इससे निपटने के उपायों की चर्चा करें।