विशेष: सड़कों को सुरक्षित कैसे बनाया जाए? (First Indian Highway Capacity Manual) | 20 Feb 2018

संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
सड़कों के महत्त्व को समझते हुए और वैज्ञानिक तरीके से इनके निर्माण को लेकर हाल ही में देश की पहली राजमार्ग क्षमता नियम पुस्तिका (First Indian Highway Capacity Manual) जारी की गई। इस मैनुअल का नाम इंडो-एचसीएम है। अमेरिका, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, ताइवान जैसे विकसित देशों में राजमार्ग क्षमता नियम पुस्तिका का बहुत पहले से ही उपयोग किया जा रहा है, लेकिन भारत में पहली बार इस पुस्तिका को विकसित किया गया है। 

किसने तैयार किया?

  • इसे केंद्रीय सड़क शोध संस्थान (सीआरआरआई) ने विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ मिलकर तैयार किया है।इस अध्ययन में 7 शैक्षणिक संस्थान शामिल थे–आईआईटी रुड़की, मुम्बई और गुवाहाटी; स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली; इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी, शिबपुर; सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सूरत तथा अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई।
  • देश में काफी लंबे समय से इस प्रकार के मैनुअल की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। अमेरिका में ऐसा मैनुअल 1950 में तैयार हुआ था और इंडोनेशिया में यह 1996 में तैयार हुआ था। इसके अलावा चीन, ताइवान और मलेशिया में भी ऐसे मैनुअल तैयार किये जा चुके हैं।
  • माना जा रहा है कि इस मैनुअल  से सड़कों के निर्माण में एकरूपता तो आएगी ही, साथ ही इससे सड़क निर्माण की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
  • सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिये ऐसा ही एक अन्य मैनुअल सड़क सुरक्षा के लिये भी लाने की दिशा में सरकार प्रयास कर रही है।

वैल्यू इंजीनियरिंग कार्यक्रम
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राजमार्ग संबंधित परियोजनाओं, चाहे वह पीपीपी तरीके से या फिर सार्वजनिक वित्तपोषण तरीके से निष्पादित की जा रही हों, में नई प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों और उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये 'वैल्यू इंजीनियरिंग कार्यक्रम' लागू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य परियोजनाओं की लागत कम करने और उन्हें अधिक पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिये नई प्रौद्योगिकी, सामग्री और उपकरण का उपयोग करना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि सड़कों या पुलों और अन्य परिसंपत्तियाँ भी जो बहुत तेज़ी से निर्मित की जा रही हैं वह संरचनात्मक रूप से मज़बूत और अधिक टिकाऊ हों। वैल्यू इंजीनियरिंग कार्यक्रम से निर्माण की गति में वृद्धि, निर्माण लागत को कम करना, परिसंपत्तियों के स्थायित्व में वृद्धि तथा सौंदर्यीकरण और सुरक्षा में सुधार अपेक्षित है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

क्या खास है इस मैनुअल में?

  • इस व्यापक शोध को सड़क यातायात की राष्ट्रव्यापी विशेषताओं का अध्ययन करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
  • मैनुअल में विभिन्न प्रकार की सड़कों तथा चौराहों  का विस्तार व संचालन करने से संबंधित दिशा-निर्देश दिये गए हैं। 
  • मैनुअल सड़क निर्माण में लगे इंजीनियरों तथा नीति निर्माताओं को मार्गदर्शन प्रदान करेगा। 
  • मैनुअल को तैयार करने में भारतीय सड़कों पर ट्रैफिक की विविधता को ध्यान में रखा गया है। 
  • इसे तैयार करने के लिये सड़क नेटवर्क अर्थात् आंतरिक सड़कों (एक लेन, दो लेन और बहु-लेन), शहरी सड़कों तथा एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक क्वालिटी का देशस्तर पर विस्तृत अध्ययन किया गया। 
  • इस मैनुअल में नियंत्रित व अनियंत्रित चौराहों, सिग्नल व्यवस्था, शहरी पैदल यात्रियों की सुविधाओं की क्षमता तथा सेवा के स्तर का अध्ययन कर भारतीय यातायात के लक्षण जानने का प्रयास किया गया है। 
  • इससे यह जानकारी प्राप्त करने में आसानी रहेगी कि कौन-सी सड़क का विस्तार और चौड़ीकरण कब करना ठीक रहेगा।
  • इस मैनुअल में सड़कों का विस्तार कैसे किया जाए, किस तरह के प्रतिबंध लगाए जाएँ, पैदल यात्री सुविधाओं का विकास कैसे किया जाए जैसे मुद्दों की पड़ताल की गई है।
  • इस मैनुअल में उन अधिकांश सवालों का जवाब खोजने का प्रयास किया गया है जो भविष्य में सड़कों का विस्तार करते समय सामने आ सकते हैं। 
  • इसके अलावा, इसमें उन सभी मुद्दों को शामिल किया गया है जो सड़कों के विकास, ट्रैफिक ज़रूरतों तथा सड़कों से जुड़ी योजनाओं को तैयार करने से संबंध रखते हैं।
  • अन्य देशों में तैयार मैनुअल को भारत में इसलिये लागू नहीं किया जा सका क्योंकि हमारे यहाँ सड़कों का स्वरूप और उस पर चलने वाले वाहन अन्य देशों से कुछ अलग हैं।
  • इस मैनुअल में बताया गया है कि सड़कों का विस्तार कब किया जाए, किन चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए जाएँ, कहाँ पर गोल चक्कर बनाया जाए, कहाँ चौराहे-अंडरपास या फ्लाईओवर बनाए जाएँ।
  • भारत में इसे तैयार करने से पहले की क्षमता और सेवा के स्तर का अध्ययन किया गया तथा अलग-अलग सड़कों पर यातायात की गति और घनत्व को मापा गया।
  • सड़कों का इंजीनियरिंग सुविधाओं के आधार पर अध्ययन किया गया जिसमें सड़कों की चौड़ाई, उनके पुश्ते, सड़क की सतह, ढलान, मोड़, सड़क के किनारे अवरोध, आवागमन मात्रा, संरचना, ट्रैफिक का दिशात्मक वितरण, पैदल चलने वालों का प्रभाव, ट्रैफिक विनियमन तथा मौसम, गति सीमा, भूमि उपयोग और पर्यावरण जैसे नियंत्रण उपायों को भी इस मैनुअल में स्थान दिया गया है।
  • इस मैनुअल में ट्रैफिक सिग्नल, ट्रैफिक नियंत्रण के नियम, कितनी सड़कें जोड़ी जाएँ, एप्रोच रोड की चौड़ाई, किस जगह मोड़ दिया जाए, कितनी दूरी से मोड़ दिखाई दे, ट्रैफिक फैक्टर, ट्रैफिक की मात्रा, व्यस्त समय में ट्रैफिक का भार, पार्किंग सुविधा, गति सीमा, ओवरटेक करने की अनुमति और ट्रैफिक नियंत्रण की उपलब्ध सुविधाओं का भी विवरण है।
  • इस मैनुअल में यह भी जानकारी दी गई है कि पैदल यात्रियों के लिये क्या प्रावधान होने चाहिये, औसत यात्रा समय कितना होना चाहिये और पैदल पथ के लिये कितना स्थान छोड़ा जाए।
  • पैदल यात्रियों के लिये सड़क पार करने के प्रावधान क्या हों और उन्हें इसके लिये कितना समय दिया जाए, इसकी जानकारी भी इस मैनुअल में दी गई है।
  • इसमें यह भी बताया गया है कि चौराहों और मुख्य मार्गों पर बस-स्टॉप कितनी दूरी पर होने चाहिये और इन पर बस को कितनी देर रुकना चाहिये।
  • इस मैनुअल में ट्रैफिक निर्धारण, सड़क निर्माण और परिवहन व्यवस्था से जुड़ी शब्दावली, परिभाषाएँ, वैज्ञानिक नियम आदि भी दिये गए हैं।
  • सड़क पर ट्रैफिक का प्रवाह कितना हो इसे बताने के लिये वैज्ञानिक फार्मूले और गणना करने के तरीके भी इस मैनुअल में बताए गए हैं।

रोड इंजीनियरिंग क्या है? 
देश में सड़क इंजीनियरिंग की गुणवत्ता में आवश्यक सुधार अपेक्षित है, ताकि यह गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो सके। देश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र अत्यधिक गुणवत्ता की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर सड़क सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिये। इसमें नवीनतम प्रौद्योगिकी, पहाड़ी इलाकों में सुरक्षा उपाय तथा उचित चिह्नित ब्लैक स्पॉट्स में भी सुधार लाने की ज़रूरत है। इस काम में इंजीनियरिंग के नज़रिए से उत्कृष्टता हासिल करने के अलावा, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का कार्य भी समयबद्ध तरीके से किया जाना चाहिये।

(टीम दृष्टि इनपुट)

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति

  • अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 12.5 लाख लोग प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं और इसमें भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज्यादा है।  
  • देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष भारत में सड़क दुर्घटनाएँ रिपोर्ट जारी की जाती है। 
  • भारत में वर्ष 2017 में हुई लगभग 4 लाख 60 हज़ार सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1 लाख 46 हज़ार लोग मारे गए, जो विश्व में किसी भी देश के मानव संसाधन का सर्वाधिक नुकसान है। 
  • इन दुर्घटनाओं में मारे जाने वालों में सबसे बड़ी संख्या दोपहिया वाहन चालकों की होती है, जिनमें से अधिकांश बिना हेलमेट के होते हैं। 
  • गंभीर सड़क दुर्घटनाओं के अधिकांश शिकार 18-45 वर्ष आयु के लोग होते हैं।

केंद्रीय सड़क निधि
राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों के विकास तथा रखरखाव हेतु निधि बनाने के लिये केंद्रीय सड़क निधि अधिनियम (Central Road Fund Act) 2000 के तहत केंद्र सरकार द्वारा एक केंद्रीय सड़क निधि की स्थापना की गई है। इसके तहत कोष जुटाने के लिये सेंट्रल रोड फंड एक्ट, 2000 के अंतर्गत पेट्रोल और हाई स्पीड डीज़ल तेल पर उपकर, आबकारी और सीमा शुल्क के रूप में लेवी जमा करने का प्रस्ताव रखा गया था। इस निधि का उपयोग मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर सड़क ओवरब्रिज और अंडरब्रिज का निर्माण तथा अन्य सुरक्षा सुविधाओं के लिये करने का प्रावधान किया जाता है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

सड़क सुरक्षा कार्रवाई दशक (2011-2020)

  • संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने 2011-2020 को सड़क सुरक्षा कार्रवाई दशक के रूप में अपनाया है और सड़क दुर्घटनाओं से वैश्विक स्‍तर पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों की पहचान करने के साथ-साथ इस अवधि के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है।
  • दुनियाभर में प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं की वज़ह से लगभग 12 लाख लोग मारे जाते हैं और लगभग 50 लाख लोग इससे सीधे प्रभावित होते हैं। 
  • इन दुर्घटनाओं में लगभग 12 लाख करोड़ डॉलर की संपत्ति नष्ट हो जाती है। 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के उपाय नहीं किये गए तो वर्ष 2030 तक हर पाँचवीं मौत सड़क दुर्घटना की वज़ह से होगी यानी लोगों के मरने का पाँचवां सबसे बड़ा कारण। 
  • यदि सड़क दुर्घटनाओं की यही रफ़्तार बनी रही तो वर्ष 2020 तक प्रतिवर्ष 19 लाख लोगों की मौत का कारण ये दुर्घटनाएँ होंगी।

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति
केंद्र सरकार ने देश में  सड़क दुर्घटनाओं को न्‍यूनतम करने के जो विभिन्‍न उपाय किये हैं, उनमें एक राष्‍ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति भी बनाई गई है। इसके तहत सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाना, सड़क सुरक्षा सूचना पर आँकड़े एकत्रित करना, सड़क सुरक्षा की बुनियादी संरचना के अंतर्गत कुशल परिवहन अनुप्रयोग को प्रोत्‍साहित करना तथा सुरक्षा कानूनों को लागू करना शामिल है। सड़क सुरक्षा के मामलों में नीतिगत निर्णय लेने के लिये सरकार ने शीर्ष संस्‍था के रूप में राष्‍ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद का गठन किया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों से राज्‍य तथा ज़िला स्‍तर पर सड़क सुरक्षा परिषद और समितियों की स्‍थापना करने के लिये भी कहा है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

सड़क सुरक्षा से जुड़े 5 प्रमुख जोखिम

  1. शराब पीकर गाड़ी चलाना अर्थात् ड्रंकन ड्राइविंग 
  2. गति सीमा का उल्लंघन अर्थात् ओवर-स्पीडिंग 
  3. दोपहिया वाहन चलाते/बैठते समय हेलमेट न पहनना
  4. चौपहिया वाहन चलाते समय सीट-बेल्ट नहीं बाँधना
  5. किशोर बच्चों को वाहन चलाने की अनुमति देना 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार विश्व में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 77.8 प्रतिशत वाहन चालकों की गलती से होती हैं। 
  • इसके प्रमुख कारणों में नशे की हालत में ड्राइविंग, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करना, भारी वाहनों में ओवरलोडिंग, यात्री वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियाँ भरना, तय गति से तेज़ ड्राइविंग करना तथा थकान की हालत में गाड़ी चलाना शामिल है।  
  • सड़क हादसों में कमी लाने के लिये बहुआयामी प्रयासों की आवश्यकता है, जैसे-वाहन सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ करना, सड़क संरचना को बेहतर बनाना, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, कार्यान्वयन को मजबूत करना तथा आकस्मिक आघात देखभाल कार्यक्रम को सुसंगत बनाना। 
  • संयुक राष्ट्र ने भी वाहन दुर्घटनाओं में कमी लाने हेतु सड़कों पर ट्रैफिक का बोझ कम करने के लिये वाहनों में सुरक्षा उपकरण लगाने के साथ ही अन्य तकनीक का इस्तेमाल करने को कहा है। 
  • अभी स्थिति यह कि विश्व में केवल 28 देशों में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर समग्र कानून लागू किये गए हैं और विश्व की कुल जनसंख्या का केवल 7 प्रतिशत हिस्सा इनके दायरे में आता है। 

सड़क सुरक्षा विधेयक, 2016
लोक सभा द्वारा 10 अप्रैल 2017 का पारित हो चुका मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 फिलहाल राज्य सभा में प्रवर समिति के पास लंबित है। देश में अभी लगभग 40 साल पुराना 1988 का सड़क सुरक्षा कानून चल रहा है, जो वर्तमान संदर्भों में लगभग पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुका है। ऐसे में मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 यदि पारित हो जाता है तो यह सड़क सुरक्षा एवं परिवहन के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा सुधार ला सकता है।

क्या खास है इस विधेयक में?

  • वर्तमान मोटर वाहन अधिनियम में 223 धाराएँ हैं और नए विधेयक में 68 धाराओं में संशोधन करने का प्रावधान है। 
  • नए विधेयक में अध्याय 10 हटा दिया गया है और अध्याय 11 को नए प्रावधानों से बदला जा रहा है, ताकि तीसरे पक्ष के बीमा दावों और निपटान की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके।
  • इन महत्त्वपूर्ण प्रावधानों में हिट एंड रन मामलों में मुआवज़े की राशि को 25,000 रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए करना शामिल है। 
  • इसमें सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु पर 10 लाख रुपए के मुआवज़े के भुगतान के लिये भी प्रावधान है।
  • इस विधेयक में 28 नई धाराओं की प्रविष्टि का प्रस्ताव है, जो मुख्य रूप से सड़क सुरक्षा में सुधार से जुड़े मुद्दों, परिवहन विभाग से व्यवहार के दौरान नागरिकों की सुविधा, ग्रामीण परिवहन का सुदृढ़ीकरण करने, आखिरी मील तक कनेक्टिविटी व सार्वजनिक परिवहन, स्वचालन व कंप्यूटरीकरण और ऑनलाइन सेवाओं की सक्षमता पर केंद्रित हैं।
  • सड़क सुरक्षा, यात्रियों की सु‌विधा, आखिरी मील तक परिवहन, सार्वजनिक परिवहन और ग्रामीण परिवहन को बढ़ावा देने के लिये राज्यों को स्टेज कैरिज और अनुबंध कैरिज परमिट में छूट देकर देश के परिवहन परिदृश्य में सुधार लाने का प्रस्ताव इस विधेयक में है। 
  • ई-गवर्नेंस का उपयोग कर हितधारकों के लिये सेवाओं के वितरण में सुधार करना इस विधेयक के प्रमुख उद्देश्यों में से है। इनमें ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस देना, ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता अवधि बढ़ाना, परिवहन लाइसेंस के लिये शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता को खत्म करने जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।
  • इस विधेयक में प्रस्ताव है कि किशोरों द्वारा किये गए अपराध के मामलों में अभिभावक/मालिक को दोषी माना जाए और किशोरों पर जेजे एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जाए। उनके वाहन का पंजीकरण रद्द कर दिया जाए।
  • नए वाहनों हेतु पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार करने के लिये डीलर के छोर पर पंजीकरण को सक्षम किया जा रहा है और अस्थायी पंजीकरण पर प्रतिबंध लगाया गया है।
  • सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में यातायात नियमों के उल्लंघन के खिलाफ निवारक के रूप में कार्य करने के लिये दंड बढ़ाने का प्रस्ताव इस विधेयक में है। किशोरों द्वारा गाड़ी चलाने, शराब पीकर गाड़ी चलाने, बिना लाइसेंस गाड़ी चलाने, खतरनाक ड्राइविंग, ओवर-स्पीडिंग और अधिक भार जैसे अपराधों के संबंध में सख्त प्रावधान प्रस्तावित किये गए हैं। 
  • इलेक्ट्रॉनिक तौर पर उल्लंघनों का पता लगाने के प्रा‌वधान के साथ-साथ हेलमेट के लिये सख्त प्रावधान भी लाए गए हैं। 
  • सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों की मदद करने के लिये 'अच्छे नागरिक के दिशा-निर्देश' विधेयक में शामिल किये गए हैं। 
  • परिवहन वाहनों के लिये स्वचालित फिटनेस परीक्षण का प्रावधान भी है, जिससे परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार कम होगा, जबकि वाहन की सड़क पर आने की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
  • सुरक्षा/पर्यावरण नियमों का जानबूझकर उल्लंघन करने और साथ ही बॉडी बिल्डरों और स्पेयर पार्ट आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये दंड भी प्रस्तावित किया गया है।
  • पंजीकरण और लाइसेंस देने की प्रक्रिया सुसंगत बनाने के लिये 'वाहन' और 'सारथी' जैसे मंचों के माध्यम से ड्राइविंग लाइसेंस के लिये राष्ट्रीय रजिस्टर और वाहन पंजीकरण के लिये राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने का प्रस्ताव है। इससे देशभर में इस प्रक्रिया में एकरूपता की सुविधा होगी।
  • वाहनों के परीक्षण और प्रमाणपत्र की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जाना प्रस्तावित है। इन परीक्षण एजेंसियों द्वारा वाहनों को मंज़ूरी दिया जाना अब इस विधेयक के दायरे में लाया गया है।
  • ड्राइविंग प्रशिक्षण की प्रक्रिया को मज़बूत किया गया है जिससे परिवहन लाइसेंस तेज़ी से जारी करने की सक्षमता प्राप्त होगी। इससे देश में वाणिज्यिक चालकों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।
  • दिव्यांगों के लिये परिवहन समाधानों को सुविधाजनक बनाने के लिये ड्राइविंग लाइसेंस देने के मामले में और दिव्यांगों के उपयोग हेतु वाहनों को फिट बनाने में विद्यमान बाधाओं को दूर कर दिया गया है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

निष्कर्ष: बढ़ते शहरीकरण और बढ़ते सड़क यातायात के बीच आज दुनिया में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में भारत में सबसे अधिक लोग मारे जाते हैं और इस कारण यह मुद्दा और भी गंभीर बन गया है। इसीलिये सड़कों को लेकर सुरक्षा के मुद्दे और इनके समाधानों पर गंभीरता से विचार हो रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रेडियो संदेश 'मन की बात’ में देश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता जता चुके हैं, लेकिन देश के हालात में कोई विशेष बदलाव नहीं आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 12.5 लाख लोगों की मौत होती है और मरने वालों में विशेष रूप से गरीब देशों के गरीब लोगों की संख्या अधिक है। इससे स्पष्ट है कि सड़क दुर्घटनाओं और उनमें मरने वालों की संख्या को देखते हुए सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के मामले में देश में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। यह मैनुअल देश में सड़क अवसंरचना के विकास तथा योजना निर्माण में सहायता प्रदान करेगा। अवसंरचना विकास में भारत को विश्व की सबसे आधुनिक तकनीक अपनाने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी विश्वस्तरीय सड़क अवसंरचना का विकास किया जा सके जो सुरक्षित, सस्ती व पर्यावरण अनुकूल हो।