संसद टीवी संवाद

DNA प्रौद्योगिकी विधेयक | 16 Jul 2019 | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

संदर्भ

8 जुलाई को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने DNA प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2019 लोकसभा में पेश किया। यह विधेयक गुमशुदा व्‍यक्तियों, पीड़ितों, दोषियों, विचाराधीन कैदियों और अज्ञात मृत व्‍यक्तियों की पहचान के लिये DNA प्रौद्योगिकी के उपयोग एवं अनुप्रयोग के विनियमन से संबंधित है। ऐसा ही एक विधेयक इस वर्ष जनवरी में लोकसभा ने पारित कर दिया था, लेकिन राज्यसभा से पारित नहीं हो पाया। प्रस्तावित कानून बनाने की प्रक्रिया वर्ष 2003 से चल रही है और 2015 में विधेयक के पहले संस्करण (संसद में पेश नहीं किया जा सका) को अंतिम रूप दिये जाने के बाद सरकार द्वारा देश में DNA प्रौद्योगिकी के उपयोग को विनियमित करने के लिये कानून बनाने का यह तीसरा प्रयास है।

क्या है DNA?

इसका पूरा नाम डीऑक्सी राइबो न्यूक्लिक एसिड है और यह सभी जीवित रचनाओं का अनुदेश समुच्चय या रूपरेखा है अर्थात् DNA किसी कोशिका के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले जेनेटिक इंस्ट्रक्शंस होते हैं। यह जीव अंगों की कोशिका के विभिन्न अंशों के निर्माण और क्रिया संबंधी कार्य प्रणालियों के विस्तृत समुच्चय का कोड तैयार करता है। इसे किसी जीव की वृद्धि और विकास के लिये इस्तेमाल किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति का DNA अलग होता है यानी कि किसी से मिलता-जुलता नहीं हो सकता। DNA के भिन्न-भिन्न क्रमों के आधार पर लोगों की पहचान कर उन्हें चिह्नित किया जा सकता है।

क्या है DNA प्रोफाइलिंग?

DNA प्रोफाइलिंग के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देश

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर DNA नमूनाकरण और प्रोफाइलिंग के मामले में किसी व्यक्ति की गोपनीयता न केवल मानव अधिकारों के तहत बल्कि DNA के उपयोग और रखरखाव के लिये जारी किये गए दिशा-निर्देशों के माध्यम से भी की बनाई रखी जाती है। DNA प्रोफाइलिंग करने वाले भारत सहित सभी देश इन दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं।

विधेयक के प्रमुख उद्देश्य तथा लाभ

DNA डेटा बैंक

DNA प्रोफाइलिंग बोर्ड

मातृत्व और पितृत्व सिद्ध करने में बेहद उपयोगी

प्रत्येक मनुष्य का DNA अंश माता और पिता, दोनों के DNA के आधे-आधे से मिलकर बनता है। ठोस वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित DNA प्रौद्योगिकी को किसी का मातृत्व और पितृत्व सिद्ध करने में और अपराध स्थल से मिले जैव नमूनों के स्रोत की पहचान करने में अत्यधिक प्रभावी पाया गया है। DNA प्रौद्योगिकी के न्याय प्रदान करने की प्रणाली में विस्तृत उपयोग की संभावना है। इससे जैविक साक्ष्य के माध्यम से अपराधों के अन्वेषण में सहायता मिलती है।

विधेयक के पक्ष में तर्क

विधेयक के विरोध में तर्क

फॉरेंसिक DNA प्रोफाइलिंग का ऐसे अपराधों के समाधान में स्पष्ट महत्त्व है जिनमें मानव शरीर (जैसे- हत्या, दुष्कर्म, मानव तस्करी या गंभीर रूप से घायल) को प्रभावित करने वाले एवं संपत्ति (चोरी, सेंधमारी एवं डकैती सहित) की हानि से संबंधित मामले से जुड़े किसी अपराध का समाधान किया जाता है। देश में ऐसे अपराधों की कुल संख्या प्रतिवर्ष तीन लाख से अधिक है। इनमें से बहुत छोटे से हिस्से का ही वर्तमान में DNA परीक्षण हो पाता है। यदि यह विधेयक कानून का रूप ले लेता है तो तमाम किंतु-परंतु के बीच यह आशा की जा सकती है कि इस प्रकार के अपराधों में इस प्रौद्योगिकी के विस्तारित उपयोग से न केवल न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी आएगी, बल्कि सज़ा दिलाने की दर भी बढ़ेगी, जो वर्ष 2016 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार वर्तमान में केवल 30 प्रतिशत है।

अभ्यास प्रश्न: कुछ विशेष प्रकार की समस्याओं तथा अपराधों के मामलों को सुलझाने के लिये DNA प्रोफाइलिंग कानून बनाना समय की माँग है। तर्क सहित कथन की विवेचना कीजिये।