अंतर्राष्ट्रीय संस्थान/संगठन

विश्व बैंक समूह | 17 Apr 2019 | विविध

 Last Updated: July 2022 

विश्व बैंक समूह से जुड़ी सामान्य जानकारी

अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development-IBRD) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) की स्थापना एक साथ वर्ष 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन (Bretton Woods Conference) के दौरान हुई थी। ब्रेटन वुड्स सम्मेलन को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक और वित्तीय सम्मेलन (United Nations Monetary and Financial Conference) के रूप में जाना जाता है। 1 से 22 जुलाई, 1944 तक 44 देशों के प्रतिनिधि इस सम्मलेन में शामिल हुए थे। इसका तात्कालिक उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध और विश्वव्यापी संकट से जूझ रहे देशों की मदद करना था।

दोनों में अंतर

विश्व बैंक नीति सुधार कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिये ऋण देता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष केवल नीति सुधार कार्यक्रमों के लिये ही ऋण देता है। इन दोनों संस्थाओं में एक अंतर यह भी है कि विश्व बैंक केवल विकासशील देशों को ऋण देता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के संसाधनों का इस्तेमाल निर्धन राष्ट्रों के साथ-साथ धनी देश भी कर सकते हैं।

विश्व बैंक समूह में शामिल संस्थान

विश्व बैंक समूह निम्नलिखित पाँच अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का एक ऐसा समूह है जो सदस्य देशों को आर्थिक-वित्तीय सहायता और वित्तीय सलाह देता है:

1. पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (International Bank for Reconstruction and Development-IBRD)


IBRD की स्थापना वर्ष 1945 में हुई थी और वर्तमान में इसके 188 सदस्य हैं। IBRD का उद्देश्य मध्यम विकास वाले देशों और ऋणग्रस्त गरीब देशों में ऋण, गारंटी और गैर-उधार सेवाओं के माध्यम से सतत् विकास को बढ़ावा देना है, जिसमें विश्लेषणात्मक और सलाहकार सेवाएँ शामिल हैं। IBRD उन सदस्य देशों के स्वामित्व में है जिनकी मतदान शक्ति देश की सापेक्ष आर्थिक शक्ति के आधार पर इसकी पूंजी सदस्यता से जुड़ी हुई है। IBRD दुनिया के वित्तीय बाज़ारों से अपना अधिकांश धन जुटाता है और वर्ष 1959 से इसने AAA रेटिंग बनाए रखी है। IBRD और IDA मिलकर विश्व बैंक का स्वरूप लेते हैं, जो विकासशील देशों की सरकारों को वित्तपोषण, नीति सलाह और तकनीकी सहायता प्रदान करता है। यह विश्व बैंक के परिचालन खर्चों को वहन करता है तथा बेहद गरीब देशों के लिये IDA को धन प्रदान करता है।

2. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation-IFC)

वर्ष 1956 में स्थापित IFC 184 सदस्य देशों के स्वामित्व में है, जो सामूहिक रूप से नीतियों को निर्धारित करता है। यह 100 से अधिक विकासशील देशों में उभरते बाज़ारों में कंपनियों और वित्तीय संस्थानों को रोज़गार सृजित करने, कर राजस्व जुटाने, कॉर्पोरेट प्रशासन और पर्यावरण प्रदर्शन में सुधार करने तथा उनके स्थानीय समुदायों में योगदान करने में सहायता देता है। यह विकासशील देशों में विशेष रूप से निजी क्षेत्र पर केंद्रित सबसे बड़ा वैश्विक विकास संस्थान है। IFC अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाज़ार में ऋण दायित्वों को पूरा करने के माध्यम से लगभग सभी ऋण गतिविधियों के लिये धन जुटाता है। वर्ष 1989 के बाद से IFC ने अपनी AAA रेटिंग बनाए रखी है। यह आमतौर पर 7 से 12 साल की परिपक्वता वाले व्यवसायों और निजी परियोजनाओं को ऋण देता है। इसके द्वारा किये जाने वाले निवेशों के लिये समान ब्याज दर की नीति नहीं है। IFC अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के जोखिम को कम करने के लिये अपने वैश्विक व्यापार वित्त कार्यक्रम के माध्यम से 80 से अधिक देशों में 200 से अधिक अनुमोदित बैंकों के व्यापार भुगतान दायित्वों की गारंटी देता है।

3. अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (International Development Association-IDA)

IDA की स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी और वर्तमान में इसके 173 देश सदस्य हैं। IDA विश्व बैंक का वह हिस्सा है जो दुनिया के सबसे गरीब देशों की मदद करता है। 173 शेयरधारक देशों द्वारा प्रबंधित IDA का उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, असमानताओं को कम करना और लोगों की जीवन स्थितियों में सुधार के लिये अनुदान प्रदान करना है। यह दुनिया के 75 सबसे गरीब देशों में बुनियादी सामाजिक सेवाओं हेतु सहायता प्रदान करने वाले सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, इनमें से 39 अफ्रीका में हैं। IDA रियायती शर्तों पर ऋण देता है अर्थात यह शून्य या बहुत कम ब्याज शुल्क लेता है और पुनर्भुगतान 30 से 38 वर्ष तक किया जा सकता है, जिसमें 5 से 10 साल की छूट अवधि भी शामिल है। यह समानता, आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन, उच्च आय और बेहतर जीवन स्थितियों का समर्थन करते हुए सहायता प्रदान करता है। प्राथमिक शिक्षा, बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छता और स्वच्छ पानी, कृषि, व्यापार जलवायु सुधार, बुनियादी ढाँचा और संस्थागत सुधारों के लिये भी IDA सहायता करता है।

4. निवेश विवादों के निपटारे के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (International Centre for Settlement of Investment Disputes-ICSID)

वर्ष 1966 में स्थापित ICSID एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संस्था है। ICSID अभिसमय एक बहुपक्षीय संधि है जिसे विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों द्वारा तैयार किया गया है ताकि बैंक के निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य को आगे बढ़ाया जा सके। इसका प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय निवेश विवादों के सुलह और मध्यस्थता के लिये सुविधाएँ प्रदान करना है। अधिकांश देशों ने अंतर्राष्ट्रीय निवेश संधियों और कई निवेश कानूनों और अनुबंधों में निवेशक-राज्य विवाद निपटान के लिये एक मंच के रूप में ICSID को मान्यता दी है। इसका नेतृत्व महासचिव द्वारा किया जाता है जो कार्यवाही के लिये तकनीकी और प्रशासनिक सहायता प्रदान करता है। इसके महासचिव को पंचाट न्यायाधिकरण या सुलह आयोग का गठन करने का अधिकार है। अधिकांश मामलों में न्यायाधिकरण में तीन मध्यस्थ होते हैं: निवेशक द्वारा नियुक्त, राज्य द्वारा नियुक्त और दोनों पक्षों के समझौते द्वारा नियुक्त।

5. बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (Multilateral Investment Guarantee Agency-MIGA)

12 अप्रैल, 1988 को विश्व बैंक समूह के नए सदस्य के रूप में MIGA की स्थापना की गई। कानूनी तौर पर अलग और आर्थिक रूप से स्वतंत्र इकाई के रूप में व्यवसाय के लिये खोली गई MIGA में 179 देश सदस्य हैं। MIGA को विकासशील देशों में गैर-वाणिज्यिक जोखिमों के खिलाफ निवेश बीमा के सार्वजनिक और निजी स्रोतों के पूरक के लिये बनाया गया था। यह ऋणदाताओं और निवेशकों को युद्ध जैसे राजनीतिक जोखिम के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने का काम करती है। इसका उद्देश्य विकासशील देशों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देना है ताकि आर्थिक विकास में मदद मिल सके, गरीबी को कम किया जा सके और लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सके। MIGA का गठन विकासशील देशों में गैर-वाणिज्यिक जोखिमों के खिलाफ निवेश और बीमा के सार्वजनिक और निजी स्रोतों के पूरक के तौर पर किया गया था। इन जोखिमों में मुद्रा की अनिश्चितता और हस्तांतरण प्रतिबंध; सरकार का विघटन; युद्ध, आतंकवाद और नागरिक गड़बड़ी; अनुबंध का उल्लंघन तथा वित्तीय दायित्वों के निर्वहन से भटकाव की स्थिति आदि शामिल हैं।

विश्वबैंक का कार्यकारी निदेशक मंडल

विश्व बैंक समूह के चार संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्यकारी निदेशकों के चार बोर्ड हैं: इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD), अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी (IDA), अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) और बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA)।

विश्व बैंक समूह की सदस्यता

विश्व बैंक समूह और भारत

भारत ICSID का सदस्य नहीं है। इसके पीछे भारत का यह तर्क है कि ICSID कन्वेंशन निष्पक्ष नहीं है और इसके नियम विकसित देशों के पक्ष में झुके हुए हैं। ICSID में केंद्रीय अध्यक्ष विश्व बैंक का अध्यक्ष होता है। अध्यक्ष मध्यस्थों की नियुक्ति करता है। यदि मध्यस्थता से जुड़े निर्णय संतोषजनक नहीं होते है, तो असंतुष्ट पक्ष एक पैनल से अपील करता है जिसे ICSID ​​द्वारा ही गठित किया जाता है। इसमें भारतीय अदालतों द्वारा निर्णय की समीक्षा किये जाने की कोई गुंजाइश नहीं होती है, भले ही उसका यह निर्णय (Award) सार्वजनिक हित के विरुद्ध हो।

विश्व बैंक में सुधार

भारत के भविष्य को लेकर विश्व बैंक का रुख

1.2 अरब की जनसंख्या और विश्व की पाँच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत की हाल की संवृद्धि तथा इसका विकास वर्तमान समय की अत्यंत उल्लेखनीय सफलताओं में से हैं। आज फार्मा, इस्पात, सूचना तथा अंतरिक्ष-संबंधी प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भारत की पहचान विश्व-स्तर पर है तथा इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसी आवाज़ माना जाता है, जो इसके विशाल आकार और संभावनाओं के अनुरूप है।

भारत में बड़े बदलाव आ रहे हैं, जिनसे इसके लिये 21वीं सदी का मज़बूत देश बनने के नए-नए अवसर पैदा हो रहे हैं। भारत विश्व का सबसे विशाल और अत्यंत युवा श्रमशक्ति वाला देश है। साथ ही देश में शहरीकरण की तीव्र प्रक्रिया चल रही है और प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड़ लोग रोज़गार तथा अवसरों की तलाश में कस्बों और शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। यह इस सदी का विशालतम ग्रामीण और शहरी प्रवासन है।

इन बदलावों की वज़ह से भारत एक ऐसे मोड़ पर पहुँच गया है, जहाँ यह देखना बेहद ज़रूरी होगा कि भारत अपनी श्रमशक्ति की उल्लेखनीय सामर्थ्य का विकास किस प्रकार करता है और अपने बढ़ते हुए शहरोंव कस्बों की संवृद्धि के लिये किस तरह की नई योजनाएँ तैयार करता है। इन्हीं सब बातों से आने वाले समय में देश और इसके निवासियों का भविष्य निर्धारित होगा।