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अधिकरण | 06 Jun 2020 | शासन व्यवस्था

 Last Updated: July 2022 

अधिकरण या ट्रिब्यूनल एक अर्द्ध-न्यायिक संस्था (Quasi-Judicial Institution) है जिसे प्रशासनिक या कर-संबंधी विवादों को हल करने के लिये स्थापित किया जाता है। यह विवादों के अधिनिर्णयन, संघर्षरत पक्षों के बीच अधिकारों के निर्धारण, प्रशासनिक निर्णयन, किसी विद्यमान प्रशासनिक निर्णय की समीक्षा जैसे विभिन्न कार्यों का निष्पादन करती है।

अधिकरण की आवश्यकता क्यों?

संवैधानिक प्रावधान

Metropolitan-Level

भारत में अधिकरण

प्रशासनिक अधिकरण (Administrative Tribunals)

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण

(Central Administrative Tribunal-CAT)

राज्य प्रशासनिक अधिकरण

(State Administrative Tribunal)

जल विवाद अधिकरण (Water Disputes Tribunal)

सशस्त्र बल अधिकरण (Armed Forces Tribunal- AFT)

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT)

आयकर अपीलीय अधिकरण

(Income Tax Appellate Tribunal)

प्रशासनिक अधिकरणों की विशेषताएँ

अधिकरणों का विलय 

अधिकरण एवं न्यायालय के बीच अंतर

क्रम

न्यायालय

अधिकरण

1.

न्यायालय (कोर्ट ऑफ लॉ) पारंपरिक न्यायिक प्रणाली का अंग है जिसके तहत न्यायिक शक्तियाँ राज्य से प्राप्त होती हैं।

प्रशासनिक अधिकरण एक अभिकरण या एजेंसी है जिसका निर्माण विधि द्वारा किया जाता है और इसे न्यायिक शक्ति सौंपी जाती है।

2.

नागरिक न्यायालयों के पास नागरिक प्रकृति के सभी मुकदमों का परीक्षण करने की न्यायिक शक्ति है जब तक कि संज्ञान स्पष्ट या निहित रूप से वर्जित नहीं है।

अधिकरण को अर्द्ध-न्यायिक निकाय के रूप में भी जाना जाता है। अधिकरण में विशेष मामलों के परीक्षण की शक्ति होती है, जो मामले उन्हें विधि द्वारा प्रदत्त किये जाते हैं

3.

सामान्य न्यायालयों के न्यायाधीश अपने कार्यकाल, सेवा के नियम व शर्तों आदि के संदर्भ में कार्यपालिका से स्वतंत्र होते हैं। न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है।

प्रशासनिक अधिकरण के सदस्यों के कार्यकाल, सेवाओं के नियम व शर्तें पूर्णतः कार्यपालिका (सरकार) के हाथों में होती है

4.

न्यायालय का पीठासीन अधिकारी विधिशास्त्र में प्रशिक्षित होता है।

अधिकरण का अध्यक्ष या सदस्य का विधि में प्रशिक्षित होना अनिवार्य नहीं। वह प्रशासनिक मामलों के क्षेत्र का विशेषज्ञ भी हो सकता है।

5.

न्यायालय के न्यायाधीश का निष्पक्ष होना आवश्यक है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मामले में दिलचस्पी नहीं रखता हो।

प्रशासनिक अधिकरण उस विवाद का एक पक्षकार हो सकता है जिस पर उसके द्वारा निर्णय लिया जाना है।

6.

न्यायालय साक्ष्य और प्रक्रिया के सभी नियमों का पालन करने हेतु बाध्य है।

प्रशासनिक अधिकरण नियमों के बंधन में नहीं है बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत पर कार्य करते है

7.

न्यायालय को रिकॉर्ड पर रखे गए साक्ष्य और सामग्री के आधार पर सभी प्रश्नों पर वस्तुपरक (Objective) रूप से विचार करना होता है।

प्रशासनिक अधिकरण विभागीय नीति को ध्यान में रखकर प्रश्नों पर विचार कर सकता है; उसका निर्णय वस्तुपरक के बजाय व्यक्तिपरक (Subjective) हो सकता है।

8.

न्यायालय किसी विधान की शक्तियों (Vires of a legislation) पर निर्णय ले सकता है।

प्रशासनिक अधिकरण ऐसा नहीं कर सकता।