महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन

विश्व व्यापार संगठन | 17 Aug 2020 | महत्त्वपूर्ण संस्थान

 Last Updated: July 2022 

विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) एकमात्र वैश्विक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के मध्य व्यापार नियमों से संबंधित है। WTO समझौते इसके मूल तत्त्व हैं जिन पर कई व्यापारिक देशों द्वारा बातचीत एवं हस्ताक्षर किये गए हैं और उन देशों की संसद में जिनकी पुष्टि की गई है।

विश्व व्यापार संगठन में 164 सदस्य (यूरोपीय संघ सहित) एवं 23 पर्यवेक्षक सरकारें (जैसे ईरान, इराक, भूटान, लीबिया आदि)  हैं।

WTO के लक्ष्य

पृष्ठभूमि

सिल्क रोड की शुरुआत से लेकर प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (General Agreement on Tariffs and Trade (General Agreement on Tariffs and Trade-GATT) के निर्माण तथा WTO के उद्भव के समय से व्यापार ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और राष्ट्रों के मध्य शांतिपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

वर्ष 

स्थान/नाम

उल्लेखनीय परिणाम

देश

1947

जिनेवा

45,000 प्रशुल्कों में कटौती- औसतन 35% कटौती

23

1949

टॉर्की 

प्रशुल्क में कमी

13

1951

अन्नेसी

प्रशुल्क में कमी

38

1956

जिनेवा

प्रशुल्क में कमी

26

1960-1961

जिनेवा डिलन राउंड

प्रशुल्क में कमी

26

1964-1967

जिनेवा कैनेडी राउंड

औद्योगिक वस्तुओं पर औसतन 35% प्रशुल्क कटौती; बाज़ार मूल्य अवमूल्यन रोधी कानूनों के उपयोग पर प्रतिबद्धता

62

1973-1979

जिनेवा टोक्यो राउंड

औद्योगिक वस्तुओं पर औसतन 34% प्रशुल्क कटौती; गैर प्रशुल्क उपायों पर प्रतिबद्धताएँ

102

1986-1994

जिनेवा उरुग्वे राउंड

सेवाओं के व्यापार एवं बौद्धिक संपदा को शामिल किया गया; कृषि पर बिल्ट-इन-एजेंडा; डब्ल्यूटीओ की स्थापना

123

WTO ने GATT का स्थान क्यों लिया?

विश्व व्यापार संगठन एवं संयुक्त राष्ट्र 

संचालन

मंत्रालयिक सम्मेलन

महापरिषद

व्यापार नीति समीक्षा निकाय

विवाद समाधान निकाय

अपीलीय निकाय

वस्तु व्यापार महापरिषद (वस्तु परिषद)

सेवा व्यापार महापरिषद (सेवा परिषद)

बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार-संबंधित पहलुओं के लिये परिषद  (ट्रिप्स परिषद)

WTO मंत्रालयिक सम्मेलन

प्रथम मंत्रालयिक सम्मेलन (अर्थात् MC1) वर्ष 1996 में सिंगापुर में आयोजित किया गया था और आखिरी सम्मेलन (MC11) वर्ष 2017 में ब्यूनस आयर्स में आयोजित किया गया था। इन सभी मंत्रालयिक सम्मेलनों में मौजूदा वैश्विक व्यापार प्रणाली विकसित हुई है।

सिंगापुर, 9-13 दिसंबर 1996 (MC1)

जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड 18-20 मई 1998 (MC2)

सीएटल (Seattle), संयुक्त राज्य अमेरिका 30 नवंबर-3 दिसंबर, 1999 (MC3)

दोहा, कतर 9-13 नवंबर 2001 (MC4)

कान्कुन, मेक्सिको 10-14 सितंबर 2003 (MC5)

होंगकोंग, 13-18 दिसंबर 2005 (MC6)

जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड 30 नवंबर - 2 दिसंबर 2009 (MC7)

जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड 15-17 दिसंबर 2011 (MC8)

बाली, इंडोनेशिया 3-6 दिसंबर 2013 (MC9)

नैरोबी, केन्या 15-19 दिसंबर 2015 (MC10)

अल्प विकसित देशों के मुद्दे 

ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना 10-13 दिसंबर 2017 (MC11)

जिनेवा, स्विट्रज़लैंड 12-17 जून 2022 (MC12)

नूर-सुल्तान, कजाकिस्तान, 8-11 जून 2020 (MC12)

दोहा राउंड

WTO का विश्व के लिये योगदान

विश्व व्यापार संगठन एवं भारत

विश्व व्यापार संगठन की चुनौतियाँ

WTO का भविष्य

चूँकि WTO सर्वसम्मति आधारित है, इसलिये सभी 164 सदस्यों के मध्य सुधारों पर एक समझौता करना बेहद मुश्किल होता है। इसके लिये एक संभावित तरीका नियमों के एक नए संग्रह पर समान विचार वाले देशों के समूह के साथ एक बहुपक्षीय समझौता करना हो सकता है जो व्यापक WTO के लिये एक परिशिष्ट (पूरक) के रूप में कार्य करता है।

निष्कर्ष

आज विश्व संरक्षणवाद, व्यापार युद्ध (जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन) से गुजर रहा है, ब्रेक्जिट वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकुचित कर रहा है। भविष्य में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद विकसित वैश्विक उदारीकृत आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है।

यह वह समय है जब संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश WTO से अलग होने की धमकी दे रहे हैं जो WTO को निष्क्रिय बना रहा है जिससे भारत और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएँ जैसे ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका आदि विकासशील देशों के हितों की रक्षा कर मज़बूत WTO के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान कर सकते हैं।