विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) नीति अध्ययन रिपोर्ट | 20 Nov 2018

भारत की वर्तमान विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone-SEZ) नीति अध्‍ययन रिपोर्ट केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु को सौंपी गई। इस नीति अध्‍ययन रिपोर्ट को तैयार करने के लिये देश के प्रसिद्ध उद्योगपति भारत फोर्ज लिमिटेड के चेयरमैन बाबा कल्‍याणी की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। इस समिति को सेज़ नीति का आकलन करने और इसे विश्‍व व्‍यापार संगठन (World Trade Organisation-WTO) के मानकों के अनुरूप बनाने के लिये सुझाव देने को कहा गया था

इसके अलावा सेज़ की खाली पड़ी भूमि का अधिकतम उपयोग सुनिश्‍चित करने के उपाय सुझाने और अंतर्राष्‍ट्रीय अनुभवों के आधार पर सेज़ नीति में आवश्‍यक बदलाव सुझाने की जिम्मेदारी भी इस समिति को दी गई थी। इनके साथ ही तटीय आर्थिक ज़ोन (Coastal Economic Zone), दिल्‍ली-मुंबई इकोनॉमिक कॉरीडोर, राष्‍ट्रीय औद्योगिक विनिर्माण ज़ोन और टेक्‍सटाइल पार्कों जैसी अन्‍य सरकारी योजनाओं के साथ सेज़ नीति का विलय करने के बारे में सुझाव देने की जिम्‍मेदारी भी इस समिति को सौंपी गई थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारत को वर्ष 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था में तब्‍दील होना है तो विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी क्षमता के साथ-साथ सेवाओं से जुड़े मौजूदा परिवेश में भी बुनियादी बदलाव सुनिश्‍चित करने होंगे। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी और इससे जुड़ी सेवाओं के क्षेत्र में मिली कामयाबी को स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं, वित्‍तीय सेवाओंकानूनीमरम्‍मत और डिजाइन सेवाओं जैसे अन्‍य सेवा क्षेत्रों/सेक्‍टरों में भी सुनिश्‍चित करना होगा।  

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में विकास की गति तेज करने के लिये मौजूदा नीतिगत रूपरेखाओं का आकलन करने की ज़रूरत है। इसके साथ ही संबंधित नीति को WTO के प्रासंगिक नियम-कायदों के अनुरूप बनाने की भी ज़रूरत है।

क्या है सेज़ (Special Economic Zone)?

विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा सेज़ (SEZ) विशेष रूप से पारिभाषित उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं, जहाँ से व्यापार, आर्थिक क्रियाकलाप, उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है। ये क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम-कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित किये जाते हैं। भारत उन शीर्ष देशों में से एक है, जिन्होंने उद्योग तथा व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये विशेष रूप से ऐसी भौगोलिक इकाइयों को स्थापित किया। भारत पहला एशियाई देश है, जिसने निर्यात को बढ़ाने के लिये 1965 में कांडला में एक विशेष क्षेत्र की स्थापना की थी। इसे एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन (EPZ) नाम दिया गया था।