अध्याय 1 | 05 Oct 2019

परिवर्तन का दौर : विकास, रोज़गार और माँग में तेज़ी लाने का मुख्य प्रेरक निजी निवेश

मुख्य विशिष्टताएं

  • 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये भारत को एक 8 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी विकास दर बनाए रखने की आवश्यकता है।
  • इस विकास दर को केवल बचत, निवेश और निर्यात के सद्चक्र द्वारा बनाए रखा जा सकता है जिसको कि एक अनुकूल जनसांख्यिकी अवस्थिति उत्प्रेरित करे और अपना सहयोग दे।
  • निवेश, विशेषकर निजी निवेश वह प्रमुख संचालक है जो मांग का संवाहक है, क्षमता का निर्माण करता है, श्रम की उत्पादकता बढ़ाता है, नई तकनीक का सूत्रपात करता है, रचनात्मक ध्वंस की सुविधा देता है और नौकरियाँ सृजित करता है।
  • यह सर्वेक्षण पारंपरिक एंग्लो-सेक्सन विचार से हटकर है और एक ऐसे विकास मॉडल का हिमायती है जो अर्थव्यवस्था को एक अच्छे दौर या बुरे दौर के तौर पर देखता है।

पिछले पाँच वर्ष : उपलब्धियाँ

  • पिछले पाँच वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। नीचे की ओर रिसाव के लिये इसने कई मार्ग खोले ताकि विकास और स्थूल आर्थिक स्थिरता का लाभ पिरामिड के निचले तल तक पहुँचे।

स्थूल आर्थिक स्थिरता

  • चीन से उच्चतर विकास दर बनाए रखकर भारत छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और उसे सबसे तेज़ गति से विकसित हो रही बड़ी अर्थव्यवस्था माना जाता है।
  • स्वतंत्रता के बाद औसत मुद्रास्फीति अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है और यह पूर्ववर्ती 5 वर्षों के स्तर के आधे से भी कम थी।
    • मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) अर्थात मौद्रिक नीति समिति जिसे 2015 में गठित किया गया था, मुद्रास्फीति को काबू मे रखने में सफल रही। इसने शीर्ष मुद्रास्फीति के लिये4% (+/- 2) का लक्ष्य रखा है।
  • चालू खाता घाटा (CAD) प्रबंधीय स्तर पर बना रहा।
  • विदेशी मुद्रा का आरक्षित भंडार उच्चतम स्तर पर पहुँच गया।

Growth of GDP in India and the world

लाभार्थी केंद्रित एवं लक्षित वितरण

  • विकास और स्थूल आर्थिक स्थिरता के लाभ सामाजिक-आर्थिक सोपान में सबसे निचले तह तक पहुँचें, यह सुनिश्चित करने के लिये सरकार ने लक्षित सहायता की क्षमता प्राप्त की है।
    • आधार अधिनियम 2016: 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का आच्छादन
    • प्रधानमंत्री जन धन योजना: वित्तीय समावेशन
    • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण : 370 नकद आधारित योजनाएं लाभों का अंतरण कर रही हैं

आधारभूत संरचना

  • पिछले पाँच वर्षों में आधारभूत भौतिक संरचना के निर्माण मे महत्त्वपूर्ण तेज़ी आई।
  • सभी गाँवों का विद्युतीकरण किया गया।
  • उड़ान योजना टियर-3 और टियर-4 शहरों में हवाई संपर्क का विस्तार कर रही है।
  • कुल में से 20 प्रतिशत राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण पिछले 4 वर्षों में किया गया।
  • उत्तर पूर्व में आधारभूत संरचना परियोजना को एक बड़ी गति मिली।

संघवाद

  • 14वें वित्त आयोग की सिफ़ारिश पर केंद्रीय करों के पूल से राज्यों को निधियों का हस्तांतरण 32 प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया।
  • विकास की चुनौतियों से निपटने के लिये केंद्र एवं राज्य दोनों को संयुक्त रणनीति के विकास में शामिल कर नीति आयोग ने सहकारी संघवाद को संस्थागत रूप दिया है।
  • जीएसटी की पुरःस्थापना ने सहकारी संघवाद को प्रोत्साहित किया है क्योंकि जीएसटी काउंसिल में सदस्यों द्वारा लगभग सभी निर्णय आम सहमति से लिये जाते हैं।

कार्पोरेट निर्गम

  • दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code) 2016 ने शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया को एक एकल कानून में समेकित कर संपूर्ण व्यवसाय संस्कृति में सुधार किया है।

अगले पाँच वर्ष : विकास और नौकरियों के लिये एक ब्लूप्रिंट

विकास पर बल

  • भारत का लक्ष्य है 2024-25 तक 5 ट्रिलियन लर की अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित होना, यह भारत को विश्व में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाएगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लियेभारत की अर्थव्यवस्था को जीडीपी की वास्तविक 8 प्रतिशत सालाना विकास दर प्राप्त करने की आवश्यकता है।

ऐसा विकास करने के लिये आवश्यक अवयव

  • उच्च विकास के पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के अनुभव जैसे 4 दशकों में चीन के विस्फोटक विकास और युद्ध पश्चात सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं ताइवान का विकास यह सुझाता है कि उच्च विकास दर को केवल बचत, निवेश, निर्यात और विकास के सद्चक्र द्वारा बनाए रखा जा सकता है जिसको कि एक अनुकूल जनसांख्यिकी अवस्था उत्प्रेरित करे और अपना सहयोग दे।
  • निवेश (विशेषकर निजी निवेश) वह प्रमुख संचालक है जो मांग का संवाहक है, क्षमता का निर्माण करता है, श्रम की उत्पादकता बढ़ाता है, नई तकनीक का सूत्रपात करता है, रचनात्मक ध्वंस की सुविधा देता है और नौकरियां सृजित करता है।

बुरे दौर के ऊपर अच्छा दौर क्यों?

  • जब अर्थव्यवस्था अच्छे दौर(चक्र) में होती है तो निवेश, उत्पादकता, विकास, नौकरियों का सृजन, मांग और निर्यात एक दूसरे को पोषित करते हैं तथा अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने में सहज वृत्ति को भी सशक्त करते हैं।
  • इसके विपरीत जब अर्थव्यवस्था का बुरा दौर होता है तो इन चरों में मितव्ययता एक-दूसरे को निरुत्साहित करती है और इसके द्वारा अर्थव्यवस्था में सहज वृत्ति को नष्ट कर देते हैं।

स्वतः संवहनीय अच्छे दौर को कैसे सक्षम बनाएँ?

  • निवेश एक प्रमुख संचालक
  • सार्वजनिक भलाई के रूप में डेटा का प्रस्तुतीकरण
  • नीति में अनुरूपता सुनिश्चित करना
  • व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करना
  • कानूनी सुधारों पर ज़ोर देना

बचत का महत्त्व

  • उच्च निवेश प्रयासों को घरेलू बचत से अवश्य समर्थन दिया जाना चाहिये। इस परिघटना को फेल्डस्टीन-होरिओका पज़ल (Feldstein-Horioka Puzzle) कहा गया है।
  • बचत एवं विकास सकारात्मक रूप से सहसंबंधित हैं लेकिन यह सकारात्मक सहसंबंध विकास और निवेश के बीच मौजूद सहसंबंध की तुलना में अधिक मज़बूत है।
  • उद्यमी विशेष प्रकृति की व्यवसाय असफलता के प्रति निरावरणित हैं, ऐसा निवेश की जोखिम प्रकृति के कारण है जो निवेशित पूंजी में हानि की ओर ले जाता है। इसलिये पूर्वोपाय बचत के संचय के लिये निवेश की तुलना में बचत में अधिक बढ़ोतरी की जानी चाहिये।

नौकरियाँ

  • बहुधा यह दावा किया जाता है कि निवेश नौकरी को विस्थापित करता है, इससे श्रम-गहन बनाम पूंजी-गहन उत्पादन पद्धति की बहस को प्रश्रय मिलता है।
  • चीनी आर्थिक मॉडल बताता है कि उच्च निवेश दर भी नौकरियाँ सृजित करती है। पूंजी निवेश नौकरियों के सृजन को प्रोत्साहित करता है क्योंकि पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन, अनुसंधान एवं विकास और आपूर्ति शृंखला भी नौकरियों का सृजन करते हैं।
  • पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र से प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय अनुभव ने दर्शाया है कि उच्च पूंजी निर्माण से बेरोज़गारी दर घटती है, इसलिये निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि एक उच्च निवेश दर परिदृश्य में पूंजी और श्रम पूरक हैं।

निर्यात

  • एक उच्च आय वृद्धि परिदृश्य में घरेलू उपभोग केवल सामर्थ्य बढ़ाने का कार्य करता है, जो कि बचत की उच्च दर के कारण अवरुद्ध हो इसलिये उच्च क्षमता की बड़ी मांगें निर्यात से आती हैं।
  • पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाएँ इस बात की व्याख्या करती हैं कि निर्यात में वृद्धि एवं जीडीपी में वृद्धि के बीच एक मज़बूत सहसंबंध है।
  • वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्सा बहुत कम है और वर्तमान का अत्यंत परिवर्तनकारी पर्यावरण भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में स्वयं को प्रविष्ट करने के लिये एक अवसर उपस्थित करता है। इसलिये डॉ. सुरजीत भल्ला (2019) के नेतृत्व में उच्चस्तरीय परामर्शी ग्रुप की निर्यात बढ़ाने की सिफ़ारिशों पर अवश्य विचार किया जाना चाहिये।

ब्लूप्रिंट में संतुलन के अर्थशास्त्र के परे जाना

  • पारंपरिक एंग्लो-सैक्सन विचार संतुलन की अवधारणा को एक मुख्य सिद्धांत मानता है। दूसरा, पारंपरिक विचार बहुधा नौकरियों के सृजन, मांग, निर्यात और आर्थिक विकास को एक अलग समस्या के तौर पर हल करने का प्रयास करता है।
  • फिर भी वैश्विक वित्तीय संकट को देखते हुए इस विचार के सम्मुख महत्त्वपूर्ण चुनौती उठ खड़ी हुई है। अतः अर्थशास्त्री धीरे-धीरे पारंपरिक एंग्लो-सैक्सन विचार से दूर हट रहे हैं और उस विकास मॉडल पर विचार कर रहे हैं जो यह मानता है कि अर्थव्यवस्था एक सतत असंतुलन की स्थिति में है।
  • अर्थशास्त्री यह भी विश्वास करते हैं कि स्थूल आर्थिक परिदृश्य (नौकरियों का सृजन, मांग, निर्यात और आर्थिक विकास) महत्त्वपूर्ण संपूर्णताओं का प्रदर्शन करता है।

सतत् असंतुलन वाले विश्व को संचालित करना

  • पूर्व में हमारी आर्थिक नीतियाँ जैसे-पंचवर्षीय योजनाएँ संतुलन के विचार पर रची गई थीं जो मुख्य रूप से विश्व परिदृश्य की गैर-पूर्वानुमानीय प्रकृति के कारण असफल रहीं।
  • इसलिये इस असंतुलन वाले अनिश्चित विश्व में संचलन के लिये 3 तत्त्वों की आवश्यकता है।
    • स्पष्ट दृष्टि
    • विज़न को प्राप्त करने के लिये एक सामान्य रणनीति
    • अप्रत्याक्षित स्थितियों के प्रत्युत्तर में युक्तियों को सतत् रूप से पुनः जाँचने की इच्छा एवं लचीलापन

Tools for navigating the economy

आगे की राह

  • निजी निवेश के लिये एक नए पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण विशेषकर नई अर्थव्यवस्था में निवेश, मांग, निर्यात, विकास और नौकरियों के अच्छे दौर को संभव करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

मेन्स के लिये महत्त्वपूर्ण शब्द

  • रचनात्मक ध्वंस: नवोन्मेष को रास्ता प्रदान करने के लिये बहुत पहले से चले आ रहे व्यवहारों को नष्ट करना।
  • फेल्डस्टीन-होरिओका पजल (Feldstein-Horioka Puzzle) : यह बचत एवं विकास के बीच सहसंबंध से संबंधित है। यह बताता है कि उच्च निवेश प्रयास के पीछे घरेलू बचत का समर्थन अवश्य होना चाहिये।
  • बटरफ्लाई इफेक्ट: इसका अर्थ है लघु परिवर्तनों का संयुक्त प्रभाव। परिणामस्वरूप, भविष्य के लिये सटीक अनुमान लगाना या एक अबोध्य परिवर्तन हेतु सटीक कारण पहचानना लगभग असंभव है।
  • बहुआयामी कुशलता: उपर्युक्त चित्र का संदर्भ लें।

महत्त्वपूर्ण तथ्य और प्रवृत्तियाँ

  • पिछले 5 वर्षों में औसत मुद्रास्फीति स्वतंत्रता के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई।
  • 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या आधार से आच्छादित है।
  • संपूर्ण वर्तमान राष्ट्रीय राजमार्ग में से 20 प्रतिशत से अधिक का निर्माण पिछले 4 वर्षों में हुआ है।
  • भारत छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना।
  • ब्याज की वास्तविक दर।

Real rates to interest

मेन्स के लिये प्रश्न

प्रश्न 1. उच्च विकास वाली अर्थव्यवस्थाओं में बचत और निवेश के बीच सहसंबंध की व्याख्या कीजिये।

प्रश्न 2. पारंपरिक एंग्लो-सैक्सन अर्थव्यवस्था मॉडल का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

प्रश्न 3. 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु भारत के लिये महत्त्वपूर्ण कारकों का परीक्षण कीजिये।