विश्व रेबीज़ दिवस | 28 Sep 2022

विश्व की सबसे घातक संक्रामक बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम एवं नियंत्रण के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये विश्व के सभी भागीदारों को एक साथ लाने हेतु हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज़ दिवस मनाया जाता है।  

  • 2022 में 16वाँ विश्व रेबीज़ दिवस मनाया गया।

विश्व रेबीज़ दिवस: 

  • इसके बारे में:
    • 28 सितंबर को पहला रेबीज़ टीका विकसित करने वाले फ्रांसीसी रसायनज्ञ और सूक्ष्म जीवविज्ञानी, लुई पाश्चर की पुण्यतिथि के रुप में मनाया जाता है ।
    • 2007 में दो संस्थापक भागीदारों द्वारा पहला विश्व रेबीज़ दिवस (WRD) मनाया गया था:
      • रेबीज़ नियंत्रण संगठन (ARC)
      • रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र, अटलांटा (CDC)

Rabies

  • थीम 2022:
    • विश्व रेबीज़ दिवस 2022 की थीम: "वन हेल्थ, ज़ीरो डेथ" है।
    • यह थीम लोगों और जानवरों दोनों के साथ पर्यावरण के संबंध पर प्रकाश डालेगी।

ेबीज़:

  • इसके बारे में :
    • रेबीज़ एक जूनोटिक वायरल रोग है जिसकी रोकथाम  टीके से होती है ।
    • यह राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस के कारण होता है जो पागल जानवर (कुत्ता, बिल्ली, बंदर, आदि) की लार में मौजूद होता है।
    • यह हमेशा संक्रमित जानवर के काटने से फैलता है और जानवर की लार के साथ वायरस घाव में प्रवेश कर जाते हैं ।
    • एक बार नैदानिक लक्षण प्रकट होने के बाद रेबीज़ लगभग 100% घातक होता है। हृदय-श्वसन की विफलता के कारण चार दिनों से दो सप्ताह के बीच मृत्यु हो जाती है।
      • 99% मामलों में घरेलू कुत्ते मनुष्यों में रेबीज़ वायरस के संचरण के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
    • ऊष्मायन अवधि 2-3 महीने होती है, जो परिवर्तित होती रहती है, लेकिन 1 सप्ताह से 1 वर्ष तक परिवर्तित हो सकती है, शायद ही कभी और भी अधिक हो सकती है।
  • उपचार:
    • घाव को तुरंत जल और साबुन से धोकर घाव से वायरस को तत्काल निकालना आवश्यक है, इसके बाद एंटीसेप्टिक्स का उपयोग किया जाता है जो तंत्रिका संक्रमण की संभावना को कम / समाप्त करता है।
    • पालतू जानवरों का टीकाकरण, वन्यजीवों से दूर रहकर, और लक्षण शुरू होने से पहले संभावित जोखिम की चिकित्सा देखभाल से रेबीज़ को रोका जा सकता है।
  • लक्षण:
    • रेबीज़ के पहले लक्षण फ्लू के समान हो सकते हैं और कुछ दिनों तक रह सकते हैं, जिसमें शामिल हैं:
      • बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी, चिंता, भ्रम, अति सक्रियता, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार, मतिभ्रम, अनिद्रा।
  • रेबीज़ के खिलाफ इलाज हेतु भारत की पहल:
    • राष्ट्रीय कार्ययोजना-रेबीज़ उन्मूलन, 2030:
      • यह वन हेल्थ दृष्टिकोण (One Health Approach) पर आधारित बहुआयामी रणनीति है।
      • वन हेल्थ की अवधारणा यह मानती है कि लोगों का स्वास्थ्य जानवरों, पौधों और उनके साझा पर्यावरण के स्वास्थ्य से निकटता से संबंधित है।
        • एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के अंतर्गत, कई क्षेत्र इष्टतम स्वास्थ्य परिणामों को प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एक साथ संवाद एवं काम करते हैं।
      • मिशन: वर्ष 2030 तक कुत्तों की वजह से फैलने वाले रेबीज़ से होने वाले मानव मृत्यु दर को शून्य करना है।
      • सिद्धांत:
        • रोकथाम: सभी ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँच, वहनीयता, और एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस की उपलब्धता में सुधार के लिये किफायती सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप तकनीकों की शुरुआत करना।
        • प्रचार: संवाद, जागरूकता, शिक्षा और परिचालन अनुसंधान के माध्यम से रेबीज़ संबंधी समझ को बेहतर बनाना।
        • साझेदारी: समुदाय, शहरी और ग्रामीण नागरिक समाज, सरकार, निजी क्षेत्रों और अंतर्रष्ट्रीय भागीदारी के साथ एंटी-रेबीज़ अभियान के लिये समन्वित सहायता प्रदान करना।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया