वर्ल्ड पॉवर्टी क्लॉक | 08 Mar 2024

स्रोत: बिज़नेस लाइन

वर्ल्ड पॉवर्टी क्लॉक के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार भारत ने 'अत्यंत निर्धनता' में जीवन-यापन करने वाले लोगों का अनुपात 3% से कम करने का सफल प्रयास किया है।

वर्ल्ड पॉवर्टी क्लॉक के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • परिचय:
    • वर्ल्ड पॉवर्टी क्लॉक विश्व के लगभग सभी देशों के लिये वर्ष 2030 के लक्ष्य के साथ वास्तविक समय में निर्धनता अनुमान ट्रैक करती है और अत्यंत निर्धनता के उन्मूलन की दिशा में देशों की प्रगति की निगरानी करती है।
    • यह क्लॉक समग्र विश्व में अत्यंत निर्धनता में जीवन-यापन कर रहे लोगों की संख्या दर्शाता है, आयु, लिंग और ग्रामीण अथवा शहरी निवास के आधार पर उन्हें क्रमबद्ध करता है, गरीबी रेखा से उबरने तथा प्रत्येक सेकंड गरीबी रेखा से नीचे जाने वाले लोगों के संबंध में वास्विक समय में उनकी संख्या दर्शाता है।
      • पलायन दर (Escape Rate) विश्व की कुल निर्धनता में हुई कमी की वर्तमान दर की गणना करती है।
    • यह कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष और जर्मनी के संघीय आर्थिक सहयोग तथा विकास मंत्रालय द्वारा समर्थित है।

  • पद्धति और प्रमुख निष्कर्ष:
    •   गरीबी दर की गणना करते समय यह आय के स्तर को ध्यान में रखता है जिसमें गरीबी सीमा 2.15 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन निर्धारित की जाती है।
      • 2.15 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन की गरीबी रेखा, कुछ सबसे गरीब देशों में राष्ट्रीय गरीबी रेखा को दर्शाती है, जिसे आमतौर पर अत्यधिक गरीबी रेखा के रूप में जाना जाता है।
      • इसका प्रयोग वर्ष 2030 तक अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की हिस्सेदारी को 3% से कम करने के विश्व बैंक के लक्ष्य की दिशा में प्रगति की निगरानी के लिये किया जाएगा।
    • भारत में अत्यधिक गरीबी का सामना करने वाली जनसंख्या वर्ष 2022 में 4.69 करोड़ से घटकर वर्ष 2024 में लगभग 3.44 करोड़ हो गई, जो कुल जनसंख्या का 2.4% है।
      • ये आँकड़े नीति आयोग के CEO के दावे की पुष्टि करते हैं कि घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण, सत्र 2022-23 के आधार पर, 5% से कम भारतीयों के गरीबी रेखा से नीचे होने का अनुमान है, अत्यधिक गरीबी लगभग समाप्त हो गई है।
  • अन्य वैश्विक लक्ष्य:
    • SDG लक्ष्य 1.1 का लक्ष्य वर्ष 2030 तक वैश्विक गरीबी उन्मूलन है, जो सभी देशों, क्षेत्रों और समूहों के लिये एक ही अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा पर शून्य गरीबी तक पहुँचने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करता है।
  • गरीबी पर नीति आयोग का हालिया दस्तावेज़:
    • हाल ही में नीति आयोग के एक दस्तावेज़ में भारत में बहुआयामी गरीबी में उल्लेखनीय कमी का पता चला, जो वर्ष 2013-14 में 29.17% से घटकर वर्ष 2022-23 में 11.28% हो गई, जिससे 9 वर्ष की अवधि में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं।
    • दस्तावेज़ द्वारा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण डेटा तथा NFHS डेटा के बिना वर्षों के अनुमान तरीकों का उपयोग करके वर्ष 2005-06 से वर्ष 2022-23 तक भारत में बहुआयामी गरीबी प्रवृत्तियों का विश्लेषण किया।

और पढ़ें… घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत में कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखा अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर है, क्योंकि:

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है
(b) कीमत-स्तर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणता अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है

उत्तर: (b)


प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल वे ही परिवार सहायता प्राप्त खाद्यान्न लेने की पात्रता रखते हैं जो "गरीबी रेखा से नीचे" (बी.पी.एल.) श्रेणी में आते हैं। 
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार का मुखिया होगी। 
  3. गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छः महीने बाद तक प्रतिदिन      1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हक़दार हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. COVID-19 महामारी ने भारत में वर्ग असमानताओं और गरीबी को गति दे दी है। टिप्पणी कीजिये। (2020) 

प्रश्न: भारत सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन हेतु विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के बावजूद, गरीबी अभी भी विद्यमान है। कारण सहित स्पष्ट कीजिये। (2018)