विश्व टीकाकरण सप्ताह 2022 | 27 Apr 2022

विश्व टीकाकरण सप्ताह 2022 का आयोजन 24-30 अप्रैल तक किया जा रहा है।

  • विश्व टीकाकरण सप्ताह 2022 का विषय है ‘सभी के लिये लंबा जीवन’ और इसका उद्देश्य लोगों को इस विचार के लिये एकजुट करना है कि टीके हमारे सपनों को पूरा करने, अपने प्रियजनों की रक्षा करने और एक लंबा, स्वस्थ जीवन जीना संभव बनाते हैं।

National-Immunization-Awareness-Week

विश्व टीकाकरण सप्ताह:

  • विश्व टीकाकरण सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा समन्वित एक स्वास्थ्य अभियान है जिसे प्रतिवर्ष अप्रैल के अंतिम सप्ताह में मनाया जाता है।  
  • इसका उद्देश्य सभी उम्र के लोगों को बीमारी से बचाने हेतु टीकों के उपयोग को बढ़ावा देना है।
  • टीकाकरण वैश्विक स्वास्थ्य और विकास की सफलता को प्रदर्शित करता है, जिससे प्रतिवर्ष लाखों लोगों की जान बचती है। 
  • अभी भी दुनिया में लगभग 20 मिलियन टीकारहित और कम टीकाकरण वाले बच्चे हैं।

टीकाकरण पहले से अधिक महत्त्वपूर्ण:

  • 200 से अधिक वर्षों से टीकों ने हमें उन बीमारियों से बचाया है जो जीवन को खतरे में डालती हैं और हमारे विकास को रोकती हैं।
    • दो शताब्दियों से अधिक समय से टीकों ने लोगों को स्वस्थ रखने में मदद की है- चेचक से बचाव के लिये विकसित किये गए पहले टीके से लेकर कोविड-19 के गंभीर मामलों को रोकने हेतु उपयोग किये जाने वाले नवीनतम टीकों तक।
  • टीकों की मदद से हम चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों के बोझ के बिना प्रगति कर सकते हैं, जिसकी कीमत करोड़ों लोगों को चुकानी पड़ी।

टीके की कार्यप्रणाली: 

  • टीके प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी बनाने के लिये ठीक उसी तरह प्रशिक्षित करते हैं, जैसे किसी  वास्तविक बीमारी के संपर्क में आने पर प्रतिरक्षा प्रणाली  कार्य करता है।
    • ऐसा इसलिए है क्योंकि टीकों में रोगाणुओं के केवल मृत  या कमज़ोर रूप होते हैं, जो न तो  बीमारी का कारण बनते हैं और न ही व्यक्ति की जान जोखिम में डालते हैं।
  • जन्म से लेकर बचपन तक अलग-अलग उम्र में टीके लगाए जाते हैं और इस रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिये टीकाकरण कार्ड दिया जाता है।  
    • यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ये सभी टीके अद्यतित हों।
  • बच्चों का सुरक्षित रूप से संयुक्त टीकाकरण किया जा सकता है (जैसे- डिप्थीरिया, काली खाँसी और टेटनस के लिये), ताकि बच्चों के जीवन को सुरक्षित किया जा सके।
  • टीके के कुछ गौण दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे- हल्का बुखार, इंजेक्शन की जगह पर दर्द या लालिमा, जो कुछ ही दिनों में अपने आप दूर हो जाते हैं।
    • गंभीर या लंबे समय तक चलने वाले दुष्प्रभाव अत्यंत दुर्लभ होते हैं। 
  • हल्की बीमारी के दौरान टीके सुरक्षित रूप से लगाए जा सकते हैं लेकिन बुखार के साथ या बिना बुखार वाले मध्यम या गंभीर बीमारी वाले बच्चों को खुराक पाने के लिये ठीक होने तक इंतजार करना पड़ सकता है।

भारत में टीकाकरण की हालिया पहल:

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. 'रिकॉम्बिनेंट वेक्टर टीके' के संबंध में हाल के घटनाक्रमों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. इन टीकों के विकास में जेनेटिक इंजीनियरिंग का प्रयोग किया जाता है।
  2. बैक्टीरिया और वायरस का उपयोग वेक्टर के रूप में किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1               
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर.(c)

व्याख्या: 

  • रिकॉम्बिनेंट वेक्टर वैक्सीन को आनुवंशिक इंजीनियरिंग के माध्यम से निर्मित किया जाता है। बैक्टीरिया या वायरस के लिये प्रोटीन निर्मित करने वाले जीन को अलग कर दूसरी कोशिका के जीन में प्रविष्ट कराया जाता है। जब वह कोशिका पुनरुत्पादन करती है तो इस वैक्सीन द्वारा प्रोटीन का उत्पादन किया जाता है जिसका अर्थ है कि प्रतिरक्षा प्रणाली प्रोटीन को पहचान कर शरीर को इससे सुरक्षित करेगी। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस