वांगला नृत्य | 05 Nov 2022

राइज़िग सन वाटर फेस्ट-2022 का उद्घाटन समारोह का आयोजन मेघालय के उमियम झील (मानव निर्मित जलाशय) के प्राचीन एवं मनोरम परिवेश में किया गया।

  • गारो आदिवासी समुदाय के सदस्य 'दि राइज़िग सन वाटर फेस्ट-2022' के अवसर पर वांगला नृत्य करते हैं।

वांगला नृत्य:

  • वांगला को फेस्टिवल ऑफ हंड्रेड ड्रम्स के रूप में भी जाना जाता है और इसे ड्रमों पर बजाए जाने वाले लोकगीतों और भैंस के सींगों से बनी आदिम बाँसुरी की धुन पर विभिन्न प्रकार के नृत्यों के साथ मनाया जाता है।
  • यह त्योहार सूर्य भगवान के सम्मान में मनाया जाता है और यह फसल कटाई के मौसम की समाप्ति का प्रतीक है।
  • यह उत्सव सर्दियों की शुरुआत से पहले गारो जनजाति के लोगों द्वारा मैदानी क्षेत्रो में मेहनत करते हुए व्यतीत की गई लंबी अवधि के समापन को भी दर्शाता है।
  • मेघालय में गारो जनजाति के लिये यह त्योहार उनकी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करने का एक तरीका है और वे इस प्रकार के समारोहों में अपनी परंपरा का प्रदर्शन करते हैं।

गारो समुदाय:

  • गारो, जो खुद को आचिक (A·chiks) कहते हैं, मेघालय की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है।
    • खासी और जयंतिया, मेघालय की अन्य दो प्रमुख जनजातियाँ हैं।
  • गारो समुदाय के लोगों का दृढ़ विश्वास है कि उनकी उत्पत्ति तिब्बत में हुई थी। इनकी कई बोलियाँ और सांस्कृतिक समूह हैं। इनमें से प्रत्येक मूल रूप से गारो हिल्स के एक विशेष क्षेत्र एवं बाहरी मैदानी भूमि पर बसे हैं।
  • हालाँकि आधुनिक गारो समुदाय की संस्कृति ईसाई धर्म से काफी प्रभावित रही है। इसमें सभी बच्चों को माता-पिता द्वारा समान देखभाल, अधिकार और महत्व दिया जाता है।
  • समान कबीले से संबंध रखने के आधार पर गारो विवाह दो महत्त्वपूर्ण कानूनों द्वारा नियंत्रित होता है जैसे-अंतर्जातीय-विवाह (Exogamy) और आकिम (A·Kim)। इनमें एक ही कबीले के बीच विवाह की अनुमति नहीं होती है।
    • आकिम (A·Kim) के कानून के अनुसार यदि किसी पुरुष या महिला ने एक बार शादी कर ली है तो वह अपने पति या पत्नी की मृत्यु के बाद भी दूसरे कबीले के व्यक्ति से दोबारा शादी करने के लिये स्वतंत्र नहीं होगा/होगी।
  • गारो दुनिया के कुछ बचे हुए मातृवंशीय समाजों में से एक है।
    • गारो व्यक्ति अपनी माता से कबीले की उपाधि लेते हैं। परंपरागत रूप से सबसे छोटी बेटी को माँ से संपत्ति विरासत में मिलती है।
    • बेटे युवावस्था में माता-पिता का घर छोड़ देते हैं और गाँव के बैचलर डोरमेट्री (नोकपंते) में प्रशिक्षित होते हैं। पति शादी के बाद पत्नी के घर रहता है। गारो केवल मातृवंशीय समाज है, मातृसत्तात्मक नहीं।

स्रोत: द हिंदू