भारत में थैलेसीमिया | 05 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
झारखंड में थैलेसीमिया से पीड़ित पाँच बच्चों की HIV (ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस) जाँच पॉज़िटिव पाई गई है, क्योंकि उन्हें HIV-संक्रमित रक्त का ट्रांसफ्यूज़न किया गया था।
थैलेसीमिया क्या है?
- परिभाषा और कारण: थैलेसीमिया एक विरासत में मिला आनुवंशिक विकार है, जिसमें शरीर पर्याप्त हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने वाला प्रोटीन) का उत्पादन नहीं करता। इसके परिणामस्वरूप एनीमिया और कमज़ोर कार्य करने वाली लाल रक्त कोशिकाएँ बनती हैं।
- थैलेसीमिया के प्रकार:
- हीमोग्लोबिन के प्रभावित हिस्से के आधार पर:
- अल्फा थैलेसीमिया: यह हीमोग्लोबिन की अल्फा चेन के कम या अनुपस्थित उत्पादन के कारण होता है।
- बीटा थैलेसीमिया: यह हीमोग्लोबिन की बीटा चेन के कम या अनुपस्थित उत्पादन के कारण होता है।
- गंभीरता के आधार पर: लक्षण/मामूली (हल्के या कोई लक्षण नही, व्यक्ति वाहक है), मध्यवर्ती (कभी-कभी ट्रांसफ्यूज़न की आवश्यकता हो सकती है), प्रमुख (नियमित रूप से रक्त ट्रांसफ्यूज़न की आवश्यकता होती है, जैसे, कूली एनीमिया)।
- विशेष नामांकित प्रकार: कॉन्स्टेंट स्प्रिंग (अल्फा थैलेसीमिया का प्रकार), कूली एनीमिया (बीटा थैलेसीमिया मेजर) और हीमोग्लोबिन बार्ट हाइड्रोप्स फेटालिस (सबसे गंभीर अल्फा थैलेसीमिया)।
- हीमोग्लोबिन के प्रभावित हिस्से के आधार पर:
- लक्षण और प्रभाव: लक्षण एनीमिया से उत्पन्न होते हैं और इनमें थकान, कमज़ोरी, साॅंस की कमी और त्वचा का फीका रंग शामिल है।
- गंभीर मामलों में जटिलताएँ: गंभीर मामलों में हड्डी का बढ़ना, कंकाल में असामान्यताएँ, तिल्ली का बढ़ना और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमज़ोरी जैसी जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- जोखिम कारक: इसका मुख्य कारक पारिवारिक इतिहास है, क्योंकि यह आनुवंशिक रूप से संचारित होता है। यह मेडिटेरेनियन, एशियाई, अफ्रीकी और मध्य पूर्वी समूहों में अधिक पाया जाता है।
- भारत में थैलेसीमिया: भारत को अक्सर विश्व की थैलेसीमिया की राजधानी कहा जाता है, जहाँ लगभग 1,50,000 मरीज हैं और प्रतिवर्ष करीब 12,000 नए मामले दर्ज होते हैं। थैलेसीमिया को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत अक्षम्यता (डिसएबिलिटी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो इसके गंभीर और दीर्घकालिक प्रभाव को दर्शाता है।
- बीटा थैलेसीमिया की वाहक दर 3–4% है, जिसका अर्थ है कि लगभग 35–45 मिलियन लोग इस जीन से ग्रसित हैं, जिनमें 8% आदिवासी समुदाय शामिल हैं।
- थैलेसीमिया नियंत्रण पहल:
- हीमोग्लोबिनोपैथीज़ की रोकथाम और नियंत्रण पर व्यापक दिशानिर्देश (2016): थैलेसीमिया प्रमुख/प्रमुख और नॉन-ट्रांसफ्यूज़न डिपेंडेंट थैलेसीमिया (NTDT) के प्रबंधन के लिये विस्तृत नीति ढाँचा प्रदान करता है, जिसमें उपचार प्रोटोकॉल, निगरानी और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन शामिल हैं।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM): राज्यों को स्वास्थ्य सुविधाओं को मज़बूत करने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिसमें ब्लड बैंक, डे केयर सेंटर, दवाएँ, लैब सेवाएँ और स्टाफ प्रशिक्षण शामिल हैं।
- थैलेसीमिया बाल सेवा योजना (TBSY): यह कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की कॉर्पोरेट सोशल रिस्पाॅन्सबिलिटी (CSR) पहल है, जो मरीजों को 17 नामांकित अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) के लिये 10 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
- इस योजना का दूसरा चरण (2021 से) अब एप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia) को भी कवर करता है।
- ई-रक्तकोष: यह रक्त की उपलब्धता और ब्लड बैंकों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिससे थैलेसीमिया से पीड़ित रोगियों को नियमित ट्रांसफ्यूज़न की आवश्यकता होती है।
पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. थैलेसीमिया क्या है?
थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें हीमोग्लोबिन की कमी होती है, जिससे एनीमिया और लाल रक्त कोशिकाओं का सही ढंग से कार्य न करना होता है।
2. थैलेसीमिया के मुख्य प्रकार कौन से हैं?
अल्फा थैलेसीमिया (अल्फा चेन कम होना) और बीटा थैलेसीमिया (बीटा चेन कम होना), जिनकी गंभीरता को ट्रेट, इंटरमीडिया या मेजर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
3. भारत को थैलेसीमिया के उच्च बोझ वाला देश क्यों माना जाता है?
भारत में लगभग 1,50,000 मरीज हैं, प्रतिवर्ष 12,000 नए मामले सामने आते हैं और 3–4% लोग बीटा थैलेसीमिया के वाहक हैं। यह अधिकतर जनजातीय और कुछ क्षेत्रीय आबादी में पाया जाता है।
सारांश
- झारखंड में पाँच थैलेसीमिया मरीजों में रक्त संक्रमण के माध्यम से हाल ही में HIV का पता चलना भारत में रक्त सुरक्षा प्रोटोकॉल की गंभीर असफलता को उजागर करता है।
- भारत थैलेसीमिया के मामले में ‘विश्व की राजधानी’ के रूप में भारी बोझ सहन करता है, जिसमें 1,50,000 से अधिक मरीज हैं, प्रतिवर्ष 12,000 नए मामले सामने आते हैं और 3–4% लोग वाहक हैं।
- सरकारी पहल में 2016 के हेमोग्लोबिनोपैथीज़ गाइडलाइन, NHM द्वारा अवसंरचना के लिये वित्त पोषण और ट्रांसप्लांट के लिये ₹10 लाख की TBSY योजना शामिल है।
- यह घटना नीति और क्रियान्वयन के बीच गंभीर अंतर को उजागर करती है, जिससे निगरानी तथा सुरक्षित रक्त हस्तांतरण प्रथाओं पर तात्कालिक कार्रवाई की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग टैटू गुदवाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है? (2013)
- चिकनगुनिया
- हेपेटाइटिस बी
- HIV-एड्स
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है? (2019)
(a) यकृतशोध B विषाणु HIV की तरह ही संचरित होता है।
(b) यकृतशोध C का टीका होता है, जबकि यकृतशोध B का कोई टीका नहीं होता।
(c) सार्वभौम रूप से यकृतशोध B और C विषाणुओं से संक्रमित व्यक्तियों की संख्या HIV से संक्रमित लोगों की संख्या से कई गुना अधिक है।
(d) यकृतशोध B और C विषाणुओं से संक्रमित कुछ व्यक्तियों में अनेक वर्षों तक इसके लक्षण दिखाई नहीं देते।
उत्तर: (b)
प्रश्न. मानव प्रतिरक्षा-हीनता विषाणु (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) के संचरण के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही नहीं है? (2010)
(a) स्त्री से पुरुष में संचरण की संभावना पुरुष से स्त्री में संचरण की तुलना में दुगुनी होती है।
(b) यदि व्यक्ति किसी अन्य यौन-संचारित रोग से भी पीड़ित है तो संचरण की संभावना बढ़ जाती है।
(c) संक्रमण-पीड़ित माँ अपने शिशु को गर्भावस्था के दौरान, प्रसूति के समय तथा स्तनपान से संक्रमण संचारित कर सकती है।
(d) दूषित सुई लगने की तुलना में संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने पर संक्रमण का जोखिम कहीं अधिक होता है।
उत्तर: (a)
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
- हैपेटाइटिस B, एचआईवी/एड्स की तुलना में कई गुना अधिक संक्रामक है।
- हैपेटाइटिस B यकृत कैंसर उत्पन्न कर सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से कथन सही है/हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
