दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष योजना | 04 Oct 2022

हाल ही में सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (USOF) ने दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (TTDF) योजना की शुरुआत की।

  • सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (USOF) दूरसंचार विभाग (DoT) के तहत ग्रामीण एवं दूरस्थ डिजिटल कनेक्टिविटी के वित्तपोषण हेतु एक निकाय है।
  • केंद्र ने दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे में कहा है कि 1885 के भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के तहत बनाए गए USOF को "दूरसंचार विकास कोष" के रूप में संदर्भित किया जाएगा।

दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (TTDF) योजना:

  • TTDF का उद्देश्य ग्रामीण-विशेष संचार प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में अनुसंधान एवं विकास हेतु वित्तपोषित करना, दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण तथा विकास के लिये अकादमिक, स्टार्टअप, अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के बीच तालमेल स्थापित करना है।
  • इस योजना का उद्देश्य प्रौद्योगिकी स्वामित्व और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी सह-नवाचार की संस्कृति बनाना, आयात को कम करना, निर्यात के अवसरों को बढ़ावा देना तथा बौद्धिक संपदा का निर्माण करना है।
  • इस योजना के तहत USOF देशव्यापी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु मानकों को विकसित करने और अनुसंधान, डिज़ाइन, प्रोटोटाइप, उपयोग के मामलों, पायलटों और परीक्षण के प्रमाण के लिये पारिस्थितिकी तंत्र निर्माण को भी लक्षित कर रहा है।
  • यह योजना घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिये स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन और उन्हें शामिल करने के लिये भारतीय संस्थाओं को अनुदान उपलब्ध कराने पर ज़ो र देती है।

भारत के दूरसंचार क्षेत्र की वर्तमान स्थिति:

  • भारत में दूरसंचार उद्योग वर्ष 2022 तक 1.17 बिलियन ग्राहकों के साथ दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है। भारत की कुल टेलीडेंसिटी (एक क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक सौ व्यक्तियों के लिये टेलीफोन कनेक्शन की संख्या) 85.11 प्रतिशत है।
  • पिछले कुछ वर्षों में उद्योग की घातीय वृद्धि मुख्य रूप से किफायती टैरिफ, व्यापक उपलब्धता, मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) के रोलआउट, 3G और 4G कवरेज का विस्तार एवं ग्राहकों के उपभोग प्रतिरूप को विकसित करने की वजह से प्रेरित है।
  • FDI प्रवाह के मामले में दूरसंचार क्षेत्र तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो कुल FDI प्रवाह में 6.44% योगदान देता है और प्रत्यक्ष रूप से 2.2 मिलियन रोज़गार एवं अप्रत्यक्ष रूप से 1.8 मिलियन रोज़गार प्रदान करता है।
  • वर्ष 2014 से 2021 के बीच दूरसंचार क्षेत्र में FDI प्रवाह 150% बढ़कर 20.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जो वर्ष 2002-2014 के दौरान 8.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • टेलीकॉम सेक्टर में अब ऑटोमैटिक रूट के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दे दी गई है।
  • भारत वर्ष 2025 तक लगभग 1 बिलियन स्थापित उपकरणों के साथ विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाज़ार बनने की राह पर है और वर्ष 2025 तक 920 मिलियन मोबाइल ग्राहक होने की उम्मीद है जिसमें 88 मिलियन 5G कनेक्शन शामिल होंगे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs )  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से कौन दूरसंचार, बीमा, बिजली आदि क्षेत्रों में स्वतंत्र नियामकों की समीक्षा करता है? (2019)

  1. संसद द्वारा गठित तदर्थ समितियाँ
  2. संसदीय विभाग से संबंधित स्थायी समितियाँ
  3. वित्त आयोग
  4. वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग
  5. नीति आयोग

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 3, 4 और 5
(d) केवल 2 और 5

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं- स्थायी समितियाँ और तदर्थ समितियाँ। स्थायी समितियों का गठन हर साल या समय-समय पर किया जाता है तथा उनका काम कमोबेश निरंतरता के आधार पर चलता रहता है। तदर्थ समितियोँ का गठन आवश्यकता पड़ने पर तदर्थ आधार पर किया जाता है एवं जैसे ही वे उन्हें सौंपे गए कार्य को पूरा करती हैं, उनका अस्तित्त्व समाप्त हो जाता है। अतः कथन 2 सही है।
  • भारत में विभाग संबंधित 24 स्थायी समितियाँ हैं जिनमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल हैं। ये समितियाँ मंत्रालय विशिष्ट हैं और अपने संबंधित विभागों के भीतर नियामकों के कामकाज की समीक्षा कर सकती हैं। उदाहरण के लिये अगस्त 2012 में ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति ने 'केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग' के कामकाज पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। अतः कथन 1 सही है।
  • संसद द्वारा गठित तदर्थ समितियाँ नियामकों के कामकाज की जाँच कर सकती हैं। उदाहरण के लिये 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की संदर्भ शर्तों में स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण और दूरसंचार लाइसेंस प्रदान करने पर नीति की समीक्षा शामिल है। वित्त आयोग एवं नीति आयोग की भूमिका सलाहकार प्रकृति की है तथा वे स्वतंत्र नियामकों की समीक्षा नहीं करते हैं। अत: 3 और 5 सही नहीं हैं।
  • वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग (FSLRC) का गठन मार्च 2011 में वित्त मंत्रालय द्वारा भारत की वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करने वाले कानूनों की व्यापक समीक्षा एवं पुनर्रचना के लिये किया गया था। स्वतंत्र नियामकों की समीक्षा करने में इसकी कोई भूमिका नहीं है। अत: 4 सही नहीं है

अतः विकल्प (a) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.