सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टॉरपीडो | 14 Dec 2021

हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) द्वारा विकसित सुपरसोनिक मिसाइल असिस्‍टेड टॉरपीडो सिस्‍टम/प्रणाली (Supersonic Missile Assisted Torpedo System- SMART) को ओडिशा के व्‍हीलर द्वीप से सफलतापूर्वक लॉन्‍च किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टॉरपीडो:

    • यह एंटी-सबमरीन वारफेयर संचालन हेतु ‘लाइट एंटी-सबमरीन टॉरपीडो सिस्टम’ की मिसाइल असिस्टेड रिलीज़ टॉरपीडो है। यह एक कनस्तर आधारित मिसाइल प्रणाली है।
    • यह प्रणाली अगली पी‍ढ़ी की मिसाइल आधारित स्‍टैंड ऑफ टॉरपीडो डिलीवरी प्रणाली है।
    • यह प्रणाली टॉर‍पीडो की पारंपरिक सीमा से कही अधिक एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता बढ़ाने के लिये डिज़ाइन की गई है।
  • कार्यप्रणाली:

    • जब एक युद्धपोत या ट्रक-आधारित तटीय बैटरी से लॉन्च किया जाता है तो स्मार्ट एक नियमित सुपरसोनिक मिसाइल की तरह उड़ान भरता है।
    • यह कम ऊँचाई पर हवा में अपनी अधिकांश उड़ान को युद्धपोत या एक हवाई पनडुब्बी लक्ष्य पहचान प्रणाली से दो-तरफा डेटा लिंक के साथ कवर करता है और अपने उड़ान पथ को बीच में सही करने के लिये शत्रु पनडुब्बी की सटीक स्थिति की सूचना प्राप्त करता है।
    • जैसे ही यह जलमग्न पनडुब्बी के काफी करीब पहुँचेगा, मिसाइल जल में टारपीडो प्रणाली को बाहर निकाल देगी और ऑटोमेटेड टारपीडो पनडुब्बी को बाहर निकालने के लिये अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना शुरू कर देगी।
      • टॉरपीडो एक सिगार के आकार का स्व-चालित जल के नीचे का हथियार है, जिसे पनडुब्बी, सतह के जहाज़ या हवाई जहाज़ से लॉन्च किया जाता है और सतह के जहाजों और पनडुब्बियों में विस्फोट के लिये डिज़ाइन किया गया है।
      • वरुणास्त्र पहला स्वदेशी हैवीवेट जहाज़ है, जिससे पनडुब्बी रोधी इलेक्ट्रिक टारपीडो लॉन्च किया गया है।
  • महत्त्व:

    • यह भारतीय नौसेना की रणनीतिक क्षमता को और अधिक मज़बूती प्रदान करेगी।
    • यह पनडुब्बी रोधी युद्ध में स्टैंड ऑफ क्षमता की दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि है।
      • वर्ष 2003 में स्वीकृत प्रोजेक्ट 28, वर्तमान में भारतीय नौसेना के साथ सेवारत पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों का एक वर्ग है। इसमें आईएनएस कमोर्ता, आईएनएस कदमत, आईएनएस किल्टन और आईएनएस कवरत्ती शामिल हैं।
      • प्रोजेक्ट 75 भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है जिसमें छह स्कॉर्पीन-क्लास अटैक पनडुब्बियों (कलवरी, खांदेरी, करंज, वेला, वागीर और वाग्शीर) का निर्माण शामिल है।
        • प्रोजेक्ट 75 इंडिया में अत्याधुनिक एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम से लैस पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसकी अनुमानित लागत 43,000 करोड़ रुपए है।