डंक रहित मधुमक्खियाँ | 14 Jun 2025

स्रोत: डी.टी.ई.

नगालैंड में शोधकर्त्ताओं ने देशी डंक रहित मधुमक्खियों टेट्रागोनुला इरिडिपेनिस और लेपिडोट्रिगोना आर्किफेरा को सुरक्षित एवं प्रभावी परागणकर्त्ता पाया है, जो फसल उत्पादन में वृद्धि करती हैं तथा औषधीय शहद का उत्पादन करती हैं। ये पूर्वोत्तर भारत के लिये उपयुक्त हैं और पारंपरिक मधुमक्खियों की तुलना में अधिक सुरक्षित मानी जाती हैं।

  • डंक रहित मधुमक्खी: ये छोटे, यूसोशल कीट हैं, जो एपिडे (Apidae) कुल के मेलिपोनीनी (Meliponini) जनजाति से संबंधित हैं और सामान्यतः उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  • पहचान संबंधी विशेषताएँ: डंक रहित मधुमक्खियाँ छोटी, काली या गहरे रंग की शरीर वाली तथा पीले धब्बे वाली होती हैं। 
    • इनके दो जोड़ी पंख होते हैं, छोटी ऐंटीना, बड़े अंडाकार नेत्र, अंडाकार चेहरा और ठुड्डी नुकीली होती है।
  • आवास और घोंसल: ये पेड़ों के तनों, दीमकों के टीले, दीवारों की दरारों या लकड़ी के बक्सों में घोंसला बनाती हैं।
    • घोंसले राल, मिट्टी और मोम से बने होते हैं, जिनमें शहद के पात्र तथा ब्रूड सेल सर्पिल या अनियमित रूप में व्यवस्थित रहते हैं।
  • आहार: इनका आहार अमृत और पराग होता है। पराग का उपयोग प्रोटीन बॉल बनाने में किया जाता है, जो लार्वा की वृद्धि के लिये आवश्यक होते हैं। कुछ प्रजातियाँ सड़े हुए फलों या मृत जीवों को भी खाती हैं।
  • प्रजनन और जीवन चक्र: रानी मधुमक्खी केवल एक बार संभोग करती है। निषेचित अंडों से पोषण के आधार पर श्रमिक या रानी मधुमक्खियाँ विकसित होती हैं, जबकि अनिषेचित अंडे ड्रोन बन जाते हैं। लार्वा सीलबंद मोमयुक्त कोशिकाओं के भीतर प्यूपा में परिवर्तित होते हैं।
  • रक्षा तंत्र: इनमें कार्यात्मक डंक नहीं होता, लेकिन ये जबड़ों से काटती हैं। कुछ प्रजातियाँ, जैसे ट्राइगोना, काटने के माध्यम से विष भी प्रविष्ट कर सकती हैं।
  • परागण में भूमिका: डंक रहित मधुमक्खियाँ भिनभिनाने वाली परागणकर्त्ता होती हैं, जो उष्णकटिबंधीय पौधों और फसलों के परागण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं तथा पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य एवं कृषि में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।

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