स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी | 23 Jun 2025

स्रोत: द हिंदू

भारत में पहली बार, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) के लिये SMN1 जीन म्यूटेशन वाले एक नवजात शिशु को लक्षण प्रकट होने से पहले ही उपचार (प्रीसिम्प्टोमैटिक ट्रीटमेंट) दिया जा रहा है। इस उपचार में रिसडिप्लाम (Risdiplam) नामक एक दुर्लभ रोग-संशोधित दवा का उपयोग किया जा रहा है, जो मोटर न्यूरॉन्स के क्षरण को रोकने में सहायता करती है।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी

  • परिचय: यह एक आनुवंशिक विकार है जो SMN1 जीन म्यूटेशन और प्रोटीन की कमी के कारण होता हैइससे मोटर न्यूरॉन्स को नुकसान पहुँचता है, जिसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों का धीरे-धीरे कमज़ोर होना (प्रोग्रेसिव मसल डिजनरेशन) होता है।
    • ये आनुवंशिक विकार जीन या गुणसूत्रों (क्रोमोसोम्स) में असामान्यताओं के कारण होते हैं, जो या तो वंशानुगत होते हैं या फिर DNA में स्वतः होने वाले म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
  • घटनाशीलता: यह प्रत्येक 10,000 जन्मों में से 1 शिशु को प्रभावित करता है और शिशु एवं बाल मृत्यु दर का एक प्रमुख आनुवंशिक कारण है।
  • जीन स्थानांतरण: SMN तब होता है जब दोनों माता-पिता से SMN1 जीन का म्यूटेटेड (उत्परिवर्तित) संस्करण संतान को मिलता है। हालाँकि, माता-पिता आमतौर पर वाहक (carriers) होते हैं और उनमें कोई लक्षण दिखाई नहीं देते।
  • प्रभाव: यह मुख्य रूप से उन मांसपेशियों को प्रभावित करता है जो तंत्रिका कोशिकाओं (नर्व सेल्स) से संकेत प्राप्त करने में विफल हो जाती हैं।
  • लक्षण: इससे कंधे, कूल्हे एवं जांघ जैसी स्वैच्छिक मांसपेशियों/वॉलंटरी मसल्स में कमज़ोरी आती है, साथ ही सांस लेने तथा निगलने में कठिनाई होती है, जबकि अनैच्छिक मांसपेशियां/इनवॉलंटरी मसल्स (हृदय, रक्त वाहिकाएँ, पाचन तंत्र) अप्रभावित रहती हैं।

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