विशेष उर्वरक | 07 Nov 2025
भारत महत्त्वपूर्ण रबी फसल सीजन से पहले उर्वरक की कीमतों में वृद्धि के लिये तैयार हो रहा है, जो चीन द्वारा यूरिया और विशेष उर्वरक के निर्यात पर रोक लगाने के कारण है।
विशेष उर्वरक (Speciality Fertilisers)
- परिचय: विशेष उर्वरक मूलभूत NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम और सल्फर) से आगे की उन्नत संरचनाएँ होती हैं। इनमें जल में घुलनशील उर्वरक, धीमी या नियंत्रित-रिलीज़ वाले उर्वरक और सूक्ष्म पोषक तत्त्व-आधारित उत्पाद शामिल हैं, जो पोषकतत्त्वों की दक्षता तथा फसल-विशिष्ट उत्पादकता को बढ़ाते हैं।
- उदाहरण: चेलेटेड सूक्ष्म पोषकतत्त्व (Fe-EDTA, Zn-EDTA, Fe-EDDHA), जल में घुलनशील उर्वरक (WSF) जैसे मोनोअमोनियम फॉस्फेट (MAP) और पोटेशियम नाइट्रेट (KNO₃) तथा यूरेज़ इनहिबिटर(NBPT) के साथ स्थिर नाइट्रोजन उर्वरक।
- उपयोग:
- उच्च मूल्य वाली फसलों (फल, सब्ज़ियाँ, फूल) और बागवानी के लिये।
- विशेष पोषक तत्त्वों की कमी वाली मृदा या सूक्ष्म पोषक तत्त्व (जैसे जिंक, बोरॉन आदि) की कमी वाले क्षेत्रों में।
- परिशुद्ध कृषि और पोषक तत्त्वों के कुशल उपयोग में सुधार के लिये।
- भारत और विशेष उर्वरक:
- भारत वर्तमान में अपने लगभग 95% विशेष उर्वरक मुख्यतः जल में घुलनशील एवं उन्नत संरचनाएँ आयात करता है, क्योंकि देश में सीमित अनुसंधान एवं विकास (R&D), कच्चे माल की कमी और चीन का बाज़ार पर वर्चस्व है।
- हाल ही में भारत ने अपना पहला स्वदेशी जल में घुलनशील उर्वरक उत्पादन शुरू किया है और रूस, जॉर्डन, इज़राइल तथा मोरक्को के साथ आपूर्ति अनुबंध किये हैं ताकि चीन पर अत्यधिक निर्भरता को कम किया जा सके।
- बाज़ार का आकार: वैश्विक विशेष उर्वरक बाज़ार का अनुमान है कि यह वर्ष 2035 तक 63 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा, जबकि भारत का बाज़ार वर्ष 2030 तक 5-6 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है, जो संधारणीय कृषि प्रथाओं द्वारा समर्थित है।
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