‘स्नैपबैक मैकेनिज़्म’ और ईरान परमाणु समझौता (JCPOA) | 18 Sep 2025
ईरान के विदेश मंत्री देश के परमाणु कार्यक्रम पर ब्रिटेन, फ्राँस और जर्मनी के साथ चर्चा करने वाले हैं, ताकि 'स्नैपबैक मैकेनिज़्म' के तहत अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को फिर से लागू होने से रोका जा सके, जिन्हें वर्ष 2015 संयुक्त व्यापक कार्ययोजना/ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) के तहत हटा लिया गया था।
- E3 (ब्रिटेन, फ्राँस, जर्मनी) ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को पुनः लागू करने के लिये 30-दिवसीय स्नैपबैक तंत्र का आह्वान किया है, जब तक कि ईरान अपने परमाणु स्थलों तक संयुक्त राष्ट्र परमाणु निरीक्षक की पहुँच बहाल नहीं कर देता और अमेरिका के साथ पुनः संपर्क स्थापित नहीं कर लेता।
- स्नैपबैक मैकेनिज़्म: यह संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के किसी भी भागीदार को ईरान द्वारा “महत्त्वपूर्ण गैर-निष्पादन” किये जाने पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को पुनः लागू करने की अनुमति देता है।
- ऐसे मामले में इस मुद्दे को यूरोपीय संघ (EU) द्वारा समन्वित JCPOA संयुक्त आयोग को भेजा जा सकता है तथा इसके विवाद निवारण तंत्र (DRM) के माध्यम से इसका समाधान किया जा सकता है।
- IAEA के साथ ईरान का सहयोग: इससे पहले, ईरान ने परमाणु स्थल निरीक्षण सहित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की थी, जून में तनावपूर्ण अवधि के बाद जब ईरानी सुविधाओं पर इज़रायल और अमेरिकी हमलों के कारण सुरक्षा चिंताओं के कारण निरीक्षण को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था।
संयुक्त व्यापक कार्ययोजना (JCPOA)
- ईरान परमाणु समझौता (औपचारिक रूप से ‘संयुक्त व्यापक कार्ययोजना’ के रूप में जाना जाता है), जुलाई 2015 में ईरान और P5+1 (चीन, फ्राँस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी) के बीच हस्ताक्षरित हुआ।
- इसके तहत ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम का अधिकांश हिस्सा समाप्त करना था तथा प्रतिबंधों में राहत के बदले में व्यापक अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण की अनुमति देनी थी।
- ईरान द्वारा समझौते का अनुपालन करने के बावजूद, अमेरिका मई 2018 में राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में JCPOA से हट गया।
- ट्रंप प्रशासन की 'अधिकतम दबाव' नीति का उद्देश्य ईरान को समझौते पर पुनः बातचीत करने के लिये मजबूर करना था, लेकिन ईरान ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
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