स्मार्ट बैंडेज | 07 Jul 2023

हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में पहनने योग्य, तार रहित और यांत्रिक रूप से लचीले/फ्लेक्सिबल "स्मार्ट बैंडेज" के विकास पर प्रकाश डाला गया है, जिसकी सहायता से पुराने घावों को तेज़ी से भरा जा सकता है।

स्मार्ट बैंडेज: 

  • परिचय: 
    • कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Caltech) के शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित इस स्मार्ट बैंडेज में बायोसेंसर, ड्रग-लोडेड हाइड्रोजेल, इलेक्ट्रिकल स्टीमुलेशन मॉड्यूल और तार रहित संचार प्रणाली का उपयोग किया गया है।
    • यह एक मुलायम और फैलने योग्य (स्ट्रेचेबल) पॉलिमर से बना हुआ है जिसे त्वचा के साथ संपर्क बनाए रखने और चिपके रहने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • बैंडेज में बायोसेंसर लगा हुआ है जो घाव के बायोमार्कर की निगरानी करता है जिससे वास्तविक समय में घाव की स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है। 
    • बैंडेज द्वारा एकत्र किया गया डेटा स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों द्वारा समीक्षा के लिये वायरलेस तकनीक के माध्यम से स्मार्टफोन या टैबलेट पर साझा किया जाता है।
  • कार्यप्रणाली: 
    • बायोसेंसर घाव की रासायनिक संरचना में परिवर्तन को ट्रैक करता है जिससे उपचार प्रक्रिया की सही जानकारी मिलती है। 
    • इसके अतिरिक्त बायोसेंसर pH स्तर और तापमान की भी निगरानी करता है जो संक्रमण एवं सूजन के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है।
    • बैंडेज में इलेक्ट्रोड लगे हुए हैं जो हाइड्रोजेल परत से दवा को नियंत्रित करते हैं तथा ऊतकों के पुनर्जनन में सहायता करते हैं।
    • डेटा के वायरलेस ट्रांसमिशन से भारी उपकरण और वायर्ड कनेक्शन की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिससे सुविधा एवं उपयोगिता बढ़ जाती है।
  • शोध के निष्कर्ष: 
    • इलेक्ट्रिकल स्टीमुलेशन ने त्वचा कोशिका अध्ययन में ऊतक पुनर्जनन को बढ़ाया।
    • बैंडेज ने मधुमेह वाले चूहों में संक्रमण, सूजन और चयापचय की स्थिति की सटीक निगरानी की। 
    • दवाओं और इलेक्ट्रिकल स्टीमुलेशन से उपचारित मधुमेह वाले चूहों के घाव तेज़ी से भर गए तथा निशान भी कम देखे गए।
  • सीमाएँ और भविष्य की दिशा: 
    • रासायनिक मिश्रण के कारण बायोसेंसर ने प्रतिक्रिया में देरी की थी।
    • बायोसेंसर सुरक्षा और मैन्युफैक्चरिंग स्केलिंग में सुधार की आवश्यकता है।
  • निहितार्थ और चुनौतियाँ:
    • पुराने घाव में प्रभावी उपचार की आवश्यकता होती है और यह स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर बोझ डालता है।
    • स्मार्ट बैंडेज, निरंतर निगरानी, लक्षित दवा वितरण और अस्पताल जाने की आवश्यकता को कम करता है।
    • निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग के लोगों के लिये वहनीयता और पहुँच संबंधी चुनौतियाँ
    • सरकारी पहल और बीमा योजनाएँ व्यापक उपलब्धता को सुविधाजनक बना सकती हैं।
  • पुराने घाव वे होते हैं जो अपेक्षित समय-सीमा के अंतर्गत ठीक नहीं होते हैं और अव्यवस्थित उपचार प्रक्रिया प्रदर्शित करते हैं।
  • वे प्रायः मधुमेह, अपर्याप्त रक्त आपूर्ति, तंत्रिका क्षति या प्रतिरक्षा प्रणाली की शिथिलता जैसी अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों से संबद्ध होते हैं। पुराने घावों में मधुमेह अल्सर, दबाव अल्सर, शिरापरक अल्सर और ठीक न होने वाले सर्जिकल घाव शामिल हैं।

स्रोत: द हिंदू