सिंगापुर ने शुरू किया विश्व का पहला ग्रीन फ्यूल लेवी | 13 Nov 2025
सिंगापुर विश्व का पहला देश बन गया है जिसने अगले वर्ष से देश से प्रस्थान करने वाले हवाई यात्रियों पर ग्रीन फ्यूल लेवी लागू करना शुरू कर दिया है।
- इससे प्राप्त राजस्व का उपयोग सतत् विमानन ईंधन (SAF) की केंद्रीकृत खरीद के लिये किया जाएगा, जिससे विमानन उद्योग को उत्सर्जन में कटौती करने में मदद मिलेगी।
- विमानन क्षेत्र वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 1.2% उत्पन्न करता है, फिर भी SAF, एक वादा होने के बावजूद, महंगा और दुर्लभ बना हुआ है, जो 2024 में वैश्विक जेट ईंधन का केवल 0.3% ही होगा।
सतत् विमानन ईंधन (SAF)
- परिचय: SAF पारंपरिक जेट ईंधन का एक विकल्प है, जो कृषि अपशिष्ट, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, वानिकी अवशेष और अपशिष्ट तेलों जैसे गैर-पेट्रोलियम फीडस्टॉक्स से उत्पादित होता है।
- इसे विमान इंजन या मौजूदा हवाई अड्डे के बुनियादी ढाँचे में संशोधन किये बिना विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) के साथ मिश्रित (10-50%) किया जा सकता है
- SAF का महत्त्व
- उत्सर्जन में कमी: SAF ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 80% तक कम कर सकता है, जो प्रयुक्त फीडस्टॉक और प्रौद्योगिकी पर निर्भर करता है
- अनुकूलता: मौजूदा विमान इंजन और ईंधन भरने के बुनियादी ढाँचे के साथ पूरी तरह से अनुकूल
- नवीकरणीय और लचीला: विभिन्न नवीकरणीय फीडस्टॉक्स से प्राप्त किया जा सकता है, जिससे ईंधन विविधीकरण संभव हो सकेगा
- वैश्विक प्रभाव: पेरिस समझौते के अनुरूप, वैश्विक विमानन को वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य CO₂ तक पहुँचने के लिये आवश्यक उत्सर्जन में 65% तक की कमी SAF द्वारा की जा सकती है।
भारत का SAF रोडमैप
- राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति ने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिये सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) के मिश्रण के लक्ष्य निर्धारित किये हैं —वर्ष 2027 तक 1%, वर्ष 2028 तक 2%, और वर्ष 2030 तक 5%।
-
मई 2023 में एयर एशिया ने पुणे–दिल्ली मार्ग पर देश में स्वदेशी रूप से निर्मित SAF-मिश्रित एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) का उपयोग करते हुए पहली वाणिज्यिक यात्री उड़ान सफलतापूर्वक संचालित की।
यह पहल भारत को वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य हासिल करने में सहायता करेगी।
| और पढ़ें: सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) |