कश्मीर में यूरेशियन ओटर | 16 Jun 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

यूरेशियन ओटर (सामान्यतः ओटर, जिसे स्थानीय तौर पर वुडर के नाम से जाना जाता है) को 25-30 वर्ष बाद कश्मीर में देखा गया है। यह ऐतिहासिक रूप से दाचीगाम, डल झील की सहायक नदियों, रंबियारा धारा और लिद्दर नदी (पहलगाम में) में पाया गया है।

यूरेशियन ओटर (Lutra lutra)

  • परिचय: यह यूरेशिया का मूल निवासी एक अर्द्ध-जलीय मांसाहारी स्तनपायी है।
    • यह नदी पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्त्वपूर्ण प्रजाति है क्योंकि इसकी उपस्थिति स्वच्छ जल और स्वस्थ जलीय जैवविविधता का सूचक है।
    • भारत में पाई जाने वाली अन्य प्रजातियों में स्मूथ-कोटेड ओटर्स (संपूर्ण भारत में) और छोटे पंजे वाले ओटर/ ऊदबिलाव (हिमालय और दक्षिणी भारत में) शामिल हैं। 
  • वर्गीकरण: यह लूट्रा वंश, लूट्रिनी कुल, कार्निवोरा गण से संबंधित है।
  • आहार: मुख्य रूप से मछली, क्रस्टेशियन और उभयचरों पर भोजन करता है और कभी-कभी सरीसृप, पक्षी, अंडे, कीड़े और कृमि का सेवन करता है।
  • आवास एवं व्यवहार:
    • हिमालय, पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी घाट में पाया जाता है। 
    • यह नदियों, झीलों, झरनों और आर्द्रभूमि जैसे स्वच्छ लवणीय जल के पारिस्थितिकी तंत्रों को पसंद करता है और तटीय क्षेत्रों में भी पाया जाता है। 
    • यह मुख्य रूप से रात्रिचर (रात में सक्रिय) होता है, जल स्रोतों के पास बिल (जिसे होल्ट्स कहा जाता है) बनाता है और अधिकतर अकेला ही रहता है, हालाँकि कभी-कभी मादाएँ अपने शावकों के साथ देखी जाती हैं।
  • संरक्षण की स्थिति:

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