सेनकाकू द्वीप समूह | 18 Nov 2025

स्रोत: TH

चीन की कोस्ट गार्ड ने जापान के प्रशासन वाले सेनकाकू द्वीपों के निकट “अधिकार प्रवर्तन गश्त” (Rights Enforcement Patrol) की। यह कार्रवाई उस बयान के बाद की गई है जिसमें जापानी प्रधानमंत्री ने संकेत दिया था कि ताइवान पर चीन का कोई भी हमला टोक्यो को सैन्य कदम उठाने के लिये मज़बूर कर सकता है।

  • सेनकाकू द्वीप समूह चीन और जापान के बीच लंबे समय से चला आ रहा क्षेत्रीय विवाद है।
  • सेनकाकू द्वीप समूह: जापान, चीन और ताइवान इन द्वीपों को क्रमशः ‘सेनकाकू’, ‘दियाओयू (Diaoyu)’ और ‘दियाओयुताई (Diaoyutai)’ कहते हैं तथा इनका प्रशासन जापान के पास है।
    • ये द्वीप पूर्वी चीन सागर में, तीनों देशों के निकट स्थित हैं तथा इनमें पाँच छोटे निर्जन द्वीप और कुछ चट्टानें शामिल हैं, जिनमें सबसे बड़ा उओत्सुरी (Uotsuri), केवल 1.4 वर्ग मील में फैला है।
  • सामरिक महत्त्व: वर्ष 1969 की एक संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट, जिसमें सेनकाकू द्वीप समूह के अंतर्गत संभावित हाइड्रोकार्बन भंडारों का संकेत दिया गया था, ने उनके सामरिक महत्त्व को बढ़ा दिया और संप्रभुता विवादों को तीव्र कर दिया।
  • विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: प्रथम चीन-जापान युद्ध जीतने के बाद जापान ने वर्ष 1895 में ताइवान और सेनकाकू द्वीपों पर नियंत्रण कर लिया। चीन का तर्क है कि युद्ध के बाद जापान ने इन द्वीपों पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया था।

    • वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद, अमेरिका ने वर्ष 1951 की शांति संधि के तहत द्वीपों का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।
    • वर्ष 1971 में अमेरिका और जापान ने ओकिनावा प्रत्यावर्तन समझौते पर हस्ताक्षर किये और ओकिनावा और सेनकाकू द्वीप जापान को वापस कर दिये।
    • चीन और ताइवान ने इस हस्तांतरण का तुरंत विरोध किया, लेकिन जापान का कहना है कि उनके दावे संभावित हाइड्रोकार्बन की खोज के बाद ही सामने आए।

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