सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य की विधायी शक्ति की पुष्टि | 07 Jul 2025

स्रोत: द हिंदू

नंदिनी सुंदर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य 2012 मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे में राज्य विधायिकाओं की भूमिका और न्यायिक आदेशों के साथ उनके संबंध को स्पष्ट करता है।

नंदिनी सुंदर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामला, 2012

  • परिचय: वर्ष 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को माओवाद-विरोधी अभियानों में विशेष पुलिस अधिकारियों (SPO) के उपयोग को रोकने का निर्देश दिया था, क्योंकि न्यायालय ने कहा था कि विशेष पुलिस अधिकारियों को अपर्याप्त प्रशिक्षण दिया गया है तथा ये संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है।
    • इन निर्देशों के बावजूद, छत्तीसगढ़ सरकार ने बाद में छत्तीसगढ़ सहायक सशस्त्र पुलिस बल अधिनियम, 2011 लागू किया, जिससे पूर्ववर्ती सलवा जुडूम और कोया कमांडो के समान एक सहायक बल का गठन संभव हो गया। 
    • याचिकाकर्त्ताओं ने अवमानना ​​याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यह नया विधान सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2011 के आदेश का उल्लंघन करता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: सर्वोच्च न्यायालय ने अवमानना ​​याचिका को खारिज करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ ने उसके वर्ष 2011 के निर्देशों का अनुपालन किया है और अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसने कहा कि राज्य विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार है, जब तक कि वे असंवैधानिक या अधिकार-विहीन न हों।
    • शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत की पुष्टि करते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि विधायी कार्यों को केवल संवैधानिक वैधता या विधायी क्षमता के आधार पर ही चुनौती दी जा सकती है। 
    • इसने इस बात पर बल दिया कि विधायिका अपने संवैधानिक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नए कानून बना सकती है, किसी निर्णय के आधार को हटा सकती है, या निरस्त किये गए कानूनों को वैध बना सकती है।
  • समान न्यायिक निर्णय: इंडियन एल्युमिनियम कंपनी बनाम केरल राज्य (1996) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने किसी निर्णय को सीधे खारिज किये बिना उसके आधार को हटाने के लिये कानून में संशोधन करने या पूर्वव्यापी कानून बनाने की विधायिका की शक्ति को बरकरार रखा है।

सलवा जुडूम और कोया कमांडो

  • सलवा जुडूम का गठन छत्तीसगढ़ में वर्ष 2005 में नक्सलियों के विरुद्ध एक राज्य प्रायोजित निगरानी आंदोलन के रूप में किया गया था। यह ग्रामीण भारत के कुछ राज्यों में माओवादी विचारधारा वाला एक गैर-वामपंथी आंदोलन है, जिसे सरकार ने अपनी हिंसक गतिविधियों के कारण आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
  • कोया कमांडो मुख्य रूप से कोया जनजाति के जनजाति के युवा थे, जिन्हें नक्सल विरोधी अभियानों में सहायता के लिये सलवा जुडूम आंदोलन के तहत छत्तीसगढ़ में विशेष पुलिस अधिकारी (SPO) के रूप में भर्ती किया गया था।

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