सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: लाइसेंस प्राप्त स्टाम्प विक्रेता 'लोक सेवक' घोषित | 10 May 2025

स्रोत: द हिंदू

भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने दिल्ली उच्च न्यायालय के इस दृष्टिकोण को मान्यता दी कि लाइसेंस प्राप्त स्टाम्प विक्रेता भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत 'लोक सेवक' हैं, क्योंकि उनकी भूमिका कानूनी लेन-देन में महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले स्टाम्प पेपर की उपलब्धता सुनिश्चित करने से संबंधित है।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने उल्लेख किया कि लाइसेंस प्राप्त स्टाम्प विक्रेताओं को सरकार द्वारा कमीशन या छूट के माध्यम से पारिश्रमिक प्राप्त होता है, जो उन्हें लोक सेवा और राज्य द्वारा प्रदत्त वेतन से जोड़ता है।
  • लोक सेवक: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 2(c) के तहत ‘लोक सेवक’ वह व्यक्ति होता है जो सरकार की सेवा में हो या उससे वेतन प्राप्त करता हो।
  • इसमें वे व्यक्ति भी शामिल होते हैं जिन्हें किसी सार्वजनिक कर्तव्य के निर्वहन के लिये सरकार द्वारा शुल्क या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक दिया जाता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ‘लोक सेवक’ शब्द की व्याख्या व्यापक और उद्देश्यपरक तरीके से की जानी चाहिये, ताकि भ्रष्टाचार निवारण कानून के उद्देश्यों की रक्षा हो सके।

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