सरस फूड फेस्टिवल-2022 | 31 Oct 2022

हाल ही में स्वयं सहायता समूहों (SHG) की महिलाओं द्वारा तैयार किये गए पारंपरिक और घर में बने हस्तशिल्प, पेंटिंग, खिलौने आदि को बढ़ावा देने के लिये नई दिल्ली में सरस फूड फेस्टिवल, 2022 का आयोजन किया गया।

सरस फूड फेस्टिवल:

  • यह बड़े पैमाने पर महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयास के रूप में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक पहल है।
  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम 'राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन' के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ इस उत्सव में भाग ले रही हैं।
  • यह आयोजन महिला स्वयं सहायता समूहों को भोजन बनाने के क्षेत्र में अपने कौशल का प्रदर्शन करने और लोगों को हमारे देश की खाद्य संस्कृति से परिचित कराने का अवसर प्रदान करेगा।
    • ये एसएचजी महिलाएँ ग्रामीण उत्पाद बनाने और अपने राज्यों के पारंपरिक व्यंजन तैयार करने में कुशल हैं।
  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा तैयार सरस उत्पादों के बेहतर और अधिक प्रभावी विपणन के लिये ई-कॉमर्स पोर्टल भी लॉन्च किया।
    • लगभग 8 करोड़ 62 लाख महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों की सदस्य हैं। 97 प्रतिशत ब्लॉकों में उनकी उपस्थिति है, जबकि उनमें से 85 प्रतिशत सीधे मंत्रालय के नेटवर्क से जुड़े हैं।
  • ई-कॉमर्स पोर्टल के ज़रिये सालाना करीब 25 प्रतिशत बिक्री महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा किये जाने का प्रयास किया जा रहा है।
  • यह मंत्रालय विपणन की पहुँच बढ़ाने के लिये सभी राज्यों की राजधानियों, प्रमुख शहरों और महानगरों, हवाई अड्डों तथा रेलवे स्टेशनों में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा सरस स्टॉल स्थापित करने के लिये आवश्यक कदम उठाएगा।

स्वयं सहायता समूह (SHGs):

  • परिचय:
    • स्वयं सहायता समूह (SHG) कुछ ऐसे लोगों का एक अनौपचारिक संघ होता है जो अपने रहन-सहन की परिस्थितियों में सुधार करने के लिये स्वेच्छा से एक साथ आते हैं।
    • सामान्यतः एक ही सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों का ऐसा स्वैच्छिक संगठन स्वयं सहायता समूह (SHG) कहलाता है, जिसके सदस्य एक-दूसरे के सहयोग के माध्यम से अपनी साझा समस्याओं का समाधान करते हैं।
    • SHG स्वरोज़गार और गरीबी उन्मूलन को प्रोत्साहित करने के लिये "स्वयं सहायता" (Self-Employment) की धारणा पर भरोसा करता है।
  • उद्देश्य:
    • रोज़गार और आय सृजन गतिविधियों के क्षेत्र में गरीबों तथा हाशिये पर पड़े लोगों की कार्यात्मक क्षमता का निर्माण करना।
    • सामूहिक नेतृत्व और आपसी चर्चा के माध्यम से संघर्षों को हल करना।
    • बाज़ार संचालित दरों पर समूह द्वारा तय की गई शर्तों के साथ संपार्श्विक मुक्त ऋण (Collateral Free Loans) प्रदान करना।
    • संगठित स्रोतों से उधार लेने का प्रस्ताव रखने वाले सदस्यों के लिये सामूहिक गारंटी प्रणाली के रूप में कार्य करना।
      • गरीब लोग अपनी बचत को बैंकों में जमा करते हैं। बदले में उन्हें अपनी सूक्ष्म इकाई उद्यम शुरू करने हेतु कम ब्याज़ दर के साथ ऋण तक आसान पहुंँच प्राप्त होती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्रामीण गरीबों की आजीविका के विकल्पों में कैसे सुधार करता है? (2012)

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग और कृषि व्यवसाय केंद्र तथा बड़ी संख्या में नए विनिर्माण स्थापित कर।
  2. 'स्वयं सहायता समूहों' को मज़बूती प्रदान कर तथा कौशल विकास द्वारा।
  3. बीज, उर्वरक, डीज़ल पंप-सेट की आपूर्ति करके और किसानों को सूक्ष्म सिंचाई उपकरण नि:शुल्क प्रदान कर।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक गरीबी उन्मूलन परियोजना है। यह योजना स्वरोज़गार को बढ़ावा देने और ग्रामीण गरीबों के संगठन पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम के पीछे मूल विचार गरीबों को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) में संगठित करना और उन्हें स्वरोज़गार के लिये सक्षम बनाना है।
  • NRLM के स्तंभ:
    • गरीबों हेतु मौजूदा आजीविका विकल्पों को बढ़ाना और उनका विस्तार करना,
    • साथ ही नौकरी के लिये कौशल का निर्माण करना,
    • स्वरोज़गार और उद्यमियों का पोषण करना। अत: कथन 2 सही है।
  • मिशन न तो बड़ी संख्या में नए विनिर्माण उद्योगों की स्थापना, न ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि व्यवसाय केंद्र पर ध्यान केंद्रित करता है। इसका उद्देश्य बीज, उर्वरक, डीज़ल पंप-सेट एवं सूक्ष्म सिंचाई उपकरण की आपूर्ति करना नहीं है। अतः कथन 1 और 3 सही नहीं हैं।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.