वर्ष 1987 की INF संधि से अलग हुआ रूस | 07 Aug 2025
रूस ने औपचारिक रूप से मध्यम दूरी परमाणु शक्ति (Intermediate-Range Nuclear Forces- INF) संधि 1987 से स्वयं को अलग कर लिया है।
- INF संधि (1987) के बारे में: अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा हस्ताक्षरित इस संधि ने 500-5,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली सभी ज़मीनी बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसका उद्देश्य परमाणु खतरे को कम करना तथा वैश्विक हथियार नियंत्रण को बढ़ावा देना था।
- अमेरिका ने वर्ष 2019 में INF संधि से बाहर निकलने का निर्णय लिया, यह आरोप लगाते हुए कि रूस इस संधि का उल्लंघन कर रहा है, जिससे संधि की प्रासंगिकता पहले ही कमज़ोर हो चुकी थी।
- रूस के संधि से अलग होने का कारण: रूस ने दावा किया है कि संधि की शर्तें अब अस्तित्व में नहीं हैं तथा उसने फिलीपींस में अमेरिका द्वारा टायफॉन मिसाइल प्रणालियों की तैनाती और ऑस्ट्रेलिया में हुए मिसाइल अभ्यास (टैलिसमैन सेबर अभ्यास) को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये प्रत्यक्ष खतरा बताया।
- वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव: इससे परमाणु हथियारों की होड़ फिर से शुरू होने की आशंका बढ़ जाएगी तथा वैश्विक अप्रसार एवं हथियार नियंत्रण प्रयास कमज़ोर हो जाएंगे।
- अन्य प्रमुख परमाणु हथियार नियंत्रण संधियाँ:
- परमाणु अप्रसार संधि (NPT) (1970): यह परमाणु प्रसार को रोकती है, यह वैश्विक निरस्त्रीकरण के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्य करती है। (भारत इसका सदस्य नहीं है)।
- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) (1996): यह सभी परमाणु हथियार परीक्षण विस्फोटों या किसी भी अन्य परमाणु विस्फोट पर प्रतिबंध लगाती है। इस संधि पर जिनेवा में निरस्त्रीकरण सम्मेलन के दौरान सहमति बनी थी। (भारत ने CTBT पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं)।
- नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (न्यू स्टार्ट) (2010): इसने "स्टार्ट ट्रीटी" का स्थान लिया है, यह अमेरिका और रूस दोनों द्वारा तैनात किये गए सामरिक परमाणु हथियारों तथा लॉन्चरों के लिये सत्यापन योग्य सीमाएँ निर्धारित करता है।