रौमारी-डोंडुवा वेटलैंड कॉम्प्लेक्स | 04 Nov 2025
चर्चा में क्यों?
असम में रौमारी-डोंडुवा वेटलैंड कॉम्प्लेक्स को इसकी उल्लेखनीय जैवविविधता और पारिस्थितिक महत्त्व को मान्यता देते हुए रामसर स्थल के रूप में शामिल करने की मांग की जा रही है।
रौमारी-डोंडुवा वेटलैंड कॉम्प्लेक्स क्या है?
- स्थान: यह असम के काज़ीरंगा बाघ अभयारण्य के एक भाग, लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य (WLS) में स्थित है। यह लगभग 2.5 से 3 वर्ग किलोमीटर में फैला एक बाढ़-मैदान-दलदल क्षेत्र है।
- जैवविविधता: पूर्वोत्तर भारत के दो मौजूदा रामसर स्थलों - दीपोर बील (असम) और लोकटक झील (मणिपुर) की तुलना में यहाँ पक्षी प्रजातियों की विविधता अधिक है।
- वर्ष 2025 की काज़ीरंगा आर्द्रभूमि पक्षी जनगणना में 75-88 प्रजातियों के 47,000 से अधिक पक्षी दर्ज किये गए, जिनमें नॉब-बिल्ड डक, ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क और फेरुजिनस पोचार्ड शामिल हैं।
- रामसर स्थल नामांकन: समृद्ध पक्षी जीवन, विविध आवासों और मज़बूत पारिस्थितिक संबंधों वाला रौमारी–डोंडुवा आर्द्रभूमि परिसर रामसर स्थल के रूप में नामांकन के लिये एक आदर्श उम्मीदवार है।
रामसर कन्वेंशन क्या है?
- रामसर कन्वेंशन: वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में हस्ताक्षरित रामसर कन्वेंशन, आर्द्रभूमि के संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय और वैश्विक सहयोग के माध्यम से आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा करना है।
- भारत और रामसर: वर्ष 1982 से सदस्य भारत के पास 94 रामसर स्थल हैं (नवंबर 2025 तक), जो एशिया में सबसे अधिक है, जो जैवविविधता और आजीविका को बढ़ावा देते हैं।
- भारत में पहला रामसर स्थल के रूप में वर्ष 1981 में ओडिशा की चिल्का झील को नामित किया गया था।
- वर्तमान में, तमिलनाडु सबसे अधिक रामसर स्थलों के साथ शीर्ष पर है, उसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है।
- भारत के कुल आर्द्रभूमि क्षेत्र का लगभग 10% वर्तमान में रामसर स्थल के अंतर्गत नामित है।
- रामसर स्थल निर्धारण के मानदंड: रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों की पहचान के लिये 9 मानदंड हैं। इनमें से महतत्त्वपूर्ण मानदंड ये हैं:
- पारिस्थितिक विशिष्टता और जैवविविधता: एक दुर्लभ आर्द्रभूमि प्रकार का प्रतिनिधित्व करता है और प्रमुख या संकटग्रस्त प्रजातियों का पोषण करता है।
- जीवन चक्र सहायता और आश्रय: महत्त्वपूर्ण चरणों के दौरान आवास प्रदान करता है या प्रतिकूल परिस्थितियों में आश्रय प्रदान करता है।
- पक्षी महत्त्व: 20,000 से अधिक जलपक्षियों या कुल जलपक्षी आबादी के 1% का आवास प्रदान करता है।
- जलीय महत्त्व: विविध मछली प्रजातियों को पोषण प्रदान करता है, प्रजनन, नर्सरी या प्रवास स्थल के रूप में कार्य करता है।
- पारिस्थितिक विशिष्टता और जैवविविधता: यह एक दुर्लभ आर्द्रभूमि प्रकार का प्रतिनिधित्व करता है और महत्त्वपूर्ण तथा संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण में सहायक है।
- जीवन चक्र समर्थन और आश्रय: यह विभिन्न प्रजातियों को उनके जीवन चक्र के महत्त्वपूर्ण चरणों में आवास उपलब्ध कराता है और प्रतिकूल परिस्थितियों में सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है।
- पक्षी महत्त्व: यह 20,000 से अधिक जलपक्षियों या किसी प्रजाति की वैश्विक आबादी के लगभग 1% को आश्रय प्रदान करना है।
- जलीय महत्त्व: यह विविध मत्स्य प्रजातियों के लिये प्रजनन, नर्सरी और प्रवास स्थल के रूप में कार्य करते हुए उन्हें पोषण एवं पारिस्थितिक सहयोग प्रदान करता है।
लाओखोवा और बुरहाचापोरी WLS
- स्थान: काज़ीरंगा (पूर्व), ओरंग (पश्चिम) और पोबितोरा (पश्चिम) के बीच स्थित, यह परिसर काज़ीरंगा एवं ओरंग राष्ट्रीय उद्यानों के बीच एक महत्त्वपूर्ण प्रवास गलियारा बनाता है।
- यह काज़ीरंगा बाघ अभयारण्य के एक बफर ज़ोन के रूप में कार्य करता है, जहाँ ब्रह्मपुत्र नदी इसकी उत्तरी सीमा बनाती है तथा विविध नदी द्वीपों (चार) का निर्माण करती है।
- जैवविविधता: भारत का एक-सींग वाला गैंडा, रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी और एशियाई जल भैंस जैसे लुप्तप्राय स्तनधारियों के साथ-साथ ऊदबिलाव तथा पैंगोलिन का निवास स्थान है।
- बंगाल फ्लोरिकन, ग्रेटर और लेसर एडजुटेंट एवं काली गर्दन वाले सारस सहित पक्षियों से समृद्ध; ब्रह्मपुत्र नदी गंगा नदी डॉल्फिन का पोषण करती है।
- पारिस्थितिकी तंत्र: इसमें घास के मैदान, वनभूमि, आर्द्रभूमि और नदी द्वीप समूह का विविध मिश्रण है।
काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय: वर्ष 1908 में स्थापित यह उद्यान असम के गोलाघाट और नागाँव ज़िलों में स्थित है। इसे वर्ष 1974 में राष्ट्रीय उद्यान, 1985 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और वर्ष 2006 में बाघ अभयारण्य (टाइगर रिज़र्व) के रूप में घोषित किया गया।
- जीव-जंतु: यह उद्यान भारतीय एक-सींग वाले गैंडों की 2,200 से अधिक आबादी का निवास स्थान है, जो विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई है। इसके अलावा यहाँ बाघ, हाथी, जंगली जल भैंसे (Wild Water Buffalo) और भालू जैसी कई अन्य प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
- यह लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फिन सहित समृद्ध जलीय जीवन का आश्रय है तथा स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण शरणस्थली के रूप में कार्य करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. रौमारी-डोंडुवा आर्द्रभूमि परिसर क्या है?
रौमारी-डोंडुवा परिसर, काज़ीरंगा परिदृश्य के एक भाग, लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य के भीतर 2.5-3 वर्ग किमी. का बाढ़ का मैदान-दलदल है, यह 120 से अधिक पक्षी प्रजातियों और उच्च पक्षी संख्या का आश्रय प्रदान करता है, जो इसे पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण बनाता है तथा रामसर नामाकन के लिये एक प्रबल दावेदार बनाता है।
2. लाओखोवा-बुरहाचापोरी असम में वन्यजीव संरक्षण में कैसे योगदान देता है?
लाओखोवा-बुरहाचापोरी काज़ीरंगा को आस-पास के संरक्षित क्षेत्रों से जोड़ने वाले एक बफर और गलियारे के रूप में कार्य करता है, जो बड़े स्तनधारियों (गैंडा, हाथी, बाघ), प्रवासी पक्षियों के लिये आर्द्रभूमि तथा गंगा डॉल्फिन जैसी नदी प्रजातियों का आश्रय प्रदान करता है।
3. काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की वैश्विक संरक्षण स्थिति को क्या अलग बनाता है?
यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और बाघ अभयारण्य है, जिसमें लुप्तप्राय भारतीय एक सींग वाले गैंडों की विश्व की सबसे बड़ी आबादी निवास करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स
प्रश्न1. निम्नलिखित जोड़ियों पर विचार कीजिये: (2013)
| राष्ट्रीय उद्यान | उद्यान से होकर बहने वाली नदी |
| 1. कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान | गंगा काज़ीरंगा |
| 2. राष्ट्रीय उद्यान | मानस साइलेंट |
| 3. वैली राष्ट्रीय उद्यान | कावेरी |
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1 और 3
(d) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: (d)
प्रश्न.2 निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्रों में "क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)" के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020)
(a) कॉर्बेट
(b) रणथंभौर
(c) नागार्जुनसागर-श्रीसैलम
(d) सुंदरबन
उत्तर: C
