रिसिन विषाक्तता | 11 Nov 2025
गुजरात एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) ने सीमा-पार उग्रवादी नेटवर्क से जुड़े तीन व्यक्तियों की गिरफ्तारी के साथ रिसिन, जो एक अत्यंत घातक जैविक विष है, को निकालने और उपयोग करने के संदिग्ध प्रयास का खुलासा किया है।
- रिसिन: यह एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट-बाइंडिंग प्रोटीन है, जो एरंडी (Ricinus Communis) के बीजों में पाया जाता है तथा इसी पौधे से कैस्टर ऑयल तैयार किया जाता है।
- साँस लेने, निगलने या इंजेक्शन लगाने पर यह ज़हरीला होता है। राइसिन कोशिकाओं को जीवित रहने के लिये आवश्यक प्रोटीन बनाने से रोकता है। इन प्रोटीनों के बिना, कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और अंततः नष्ट हो जाती हैं।
- सुरक्षा के संदर्भ में रिसिन: यह अत्यंत खतरनाक है, क्योंकि इसकी थोड़ी सी मात्रा भी घातक हो सकती है, इसका कोई इलाज नहीं है तथा इसका शीघ्र पता लगाना कठिन है।
- चूँकि इसे बनाने के लिये उपयोग किये जाने वाले अरंडी के बीज व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, इसलिये इस विष को सामान्य कृषि सामग्री से भी उत्पादित किया जा सकता है।
- इसकी बहुत अधिक विषाक्तता और दुरुपयोग की उच्च संभावना के कारण, रिसिन को केमिकल वेपन्स कन्वेंशन (CWC) के तहत शेड्यूल-1 एजेंट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- रासायनिक हथियार अभिसमय (CWC): यह एक वैश्विक, गैर-भेदभावपूर्ण निरस्त्रीकरण संधि है जो रासायनिक हथियारों के विकास, उत्पादन, भंडारण, अधिग्रहण, हस्तांतरण और उपयोग पर प्रतिबंध लगाती है।
- यह मौजूदा भंडारों के पूर्ण, सत्यापन योग्य विनाश और दोहरे उपयोग वाले रसायनों के उपयोग में पारदर्शिता को भी अनिवार्य बनाता है।
- रासायनिक हथियार निषेध संगठन (CWC) की देख-रेख रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) द्वारा की जाती है।
- भारत ने वर्ष 1996 में CWC का अनुसमर्थन किया और इसके प्रावधानों को लागू करने के लिये रासायनिक हथियार अभिसमय अधिनियम, 2000 को अधिनियमित किया।
- CWC के तहत, भारत को संबंधित रासायनिक सुविधाओं की घोषणा करनी होगी और OPCW निरीक्षण की अनुमति देनी होगी। राष्ट्रीय रासायनिक हथियार अभिसमय प्राधिकरण (NACWC) इसके कार्यान्वयन की देखरेख करता है।
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