संरक्षण रणनीति के रूप में राइनो डीहॉर्निंग | 25 Dec 2025
साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन दर्शाता है कि अफ्रीकी अभयारण्यों में राइनो डीहॉर्निंग (गैंडों के सींग काटकर हटा दिये जाते है) अवैध शिकार में उल्लेखनीय कमी आई है। यह तेज़ी से बढ़ते अवैध वन्यजीव व्यापार के बीच साक्ष्य-आधारित वन्यजीव संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- राइनो हॉर्न: राइनो हॉर्न केराटिन से बने होते हैं, हड्डी से नहीं और इनमें वैज्ञानिक रूप से सिद्ध कोई औषधीय गुण नहीं पाए गए हैं। इसके बावजूद, एशिया के कुछ हिस्सों में इन्हें प्रतिष्ठा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है।
- यह मांग एक लाभकारी अवैध बाज़ार को बढ़ावा देती है, जिसने वर्ष 2012 से 2022 के बीच USD 874 मिलियन से USD 1.13 बिलियन तक का कारोबार किया। इस अवधि में हॉर्न की कीमतें USD 3,382 से USD 22,257 प्रति किलोग्राम के बीच रहीं।
- राइनो डीहॉर्निंग की प्रभावशीलता: डीहॉर्निंग से अवैध शिकार में 78% की कमी आई, जबकि इसमें कुल एंटी-पोचिंग बजट का केवल 1.2% ही खर्च हुआ। व्यक्तिगत स्तर पर डीहॉर्न किये गए गैंडों में अवैध शिकार का जोखिम 95% कम पाया गया।
- राइनो संरक्षण का भारतीय मॉडल: असम का काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, जिसे ‘राइनो कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड’ कहा जाता है और जहाँ एक-सींग वाले गैंडे की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है, ने पिछले तीन वर्षों में केवल 1–2 राइनो की ही हानि दर्ज की है।
- यह सफलता इंडियन राइनो विज़न 2005, स्मार्ट पेट्रोलिंग, समुदाय की भागीदारी तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रभावी प्रबंधन से उपजी है। इसी कारण विशेषज्ञों का तर्क है कि मज़बूत संरक्षण शासन के चलते भारत में डीहॉर्निंग की आवश्यकता नहीं है।
- राइनो DNA इंडेक्स सिस्टम (RhODIS): यह DNA आधारित फॉरेंसिक डेटाबेस है, जिसे राइनो के DNA (सींग, गोबर) से विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य अवैध व्यापार को ट्रैक करना तथा फॉरेंसिक साक्ष्यों के माध्यम से ज़ब्त सींग और किसी खास शिकार किये गए राइनो के बीच सीधा संबंध स्थापित करना है ताकि अपराध की जाँच व अभियोजन की कार्यवाही सुदृढ़ रूप से हो सके।
- RhODIS का मूल विकास दक्षिण अफ्रीका में हुआ था, जिसे बाद में भारत में अनुकूलित और लागू किया गया।
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