विषाणुओं का पुनर्संयोजन | 22 Mar 2022

हाल ही में नेचर माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में विषाणुओं/वायरस में उत्परिवर्तन (Mutation), बढ़ती अनुकूलता/अनुरूपता (Increased Fitness) और विषाणुओं के पुनर्संयोजन (Recombination Of Viruses) के बारे में कुछ बातें सामने आईं है।

प्रमुख बिंदु: 

शोध के प्रमुख बिंदु: 

  • शोध के अनुसार डीएनए वायरस (RNA Viruses) की तुलना में आरएनए वायरस (RNA Viruses) में उत्परिवर्तन की दर अधिक होती है।
    • हालांँकि अन्य आरएनए वायरस के विपरीत कोरोनावायरस में कम उत्परिवर्तन होते हैं।
  • ऐसा इसलिये है क्योंकि कोरोनावायरस में आनुवंशिक रूप से एक "प्रूफरीडिंग मेकनिज़्म" (Proofreading Mechanism) पाई जाती है जो प्रतिकृति/रिप्लीकेशन (Replication) के दौरान की गई कुछ त्रुटियों को ठीक करती है।
  • यह SARS-CoV-2 वायरस पर भी लागू होती है।
  • परिणामस्वरूप SARS-CoV-2 वायरस में अन्य एकल-असहाय RNA वायरस की तुलना में अधिक स्वस्थ्य और स्थायी उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) होते हैं।
  • वायरस की अनुकूलता/अनुरूपता में वृद्धि का मतलब है वायरस की संक्रामकता में वृद्धि और उत्परिवर्तन की क्षमता वायरस की रोग प्रतिरोधक क्षमता से बचाव करती है।
  • इस तरह केउ त्परिवर्तन जो वायरस की अनुकूलता में वृद्धि करते हैं, उनसे इनकी संख्या में वृद्धि होती है तथा ये एक प्रभावी स्ट्रेन या वेरिएंट (Strain or Variant) में  परिवर्तित हो जाते हैं।
  • इसके अलावा जब कोई व्यक्ति एक साथ दो अलग-अलग SARS-CoV-2 के वेरिएंटस से संक्रमित होता है, तो एक वेरिएंट के आनुवंशिक पदार्थ दूसरे वेरिएंट के साथ मिश्रित हो सकते हैं। इसे पुनर्संयोजन (Recombination) कहते हैं।
    • उदाहरण के लिये डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट का पुनर्संयोजन।

उत्परिवर्तन:

  • उत्परिवर्तन (Mutation) का आशय एक जीवित जीव या किसी वायरस की कोशिका के आनुवंशिक पदार्थ (जीनोम) में परिवर्तन से है जो अधिकांशत: स्थायी होता है तथा कोशिका या वायरस के वंशजों में प्रसारित/संचारित होता है। 
  • जीवों के सभी जीनोम डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid- DNA) से बने होते हैं, जबकि वायरस के जीनोम DNA या फिर राइबोन्यूक्लिक एसिड (Ribo Nucleic Acid- RNA) से निर्मित हो सकते हैं। 

स्रोत: द हिंदू