Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 अगस्त, 2020 | 27 Aug 2020

उड़ान योजना

सरकार ने क्षेत्रीय संपर्क योजना-उड़ान के अंतर्गत 78 नए मार्गों को मंज़ूरी दे दी है। नागरिक विमानन मंत्रालय ने कहा है कि इन नये मार्गों में पूर्वोत्‍तर के पर्वतीय क्षेत्रों, पहाड़ी राज्यों और द्वीपों को प्राथमिकता दी गई है। मंत्रालय ने कहा है कि इन मार्गों के लिये 29 चालू, 8 बंद पड़े और दो बहुत कम इस्‍तेमाल किये जाने वाले हवाई अड्डों का उपयोग किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि उड़े देश का आम नागरिक यानी उड़ान योजना के तहत अब तक कुल 766 मार्गों को मंज़ूरी दी गई है। मंत्रालय के अनुसार अब तक उसने 274 उड़ान मार्गों को चालू किया है, जिसमें 45 हवाई अड्डे और तीन हेलीपोर्ट जुड़े हैं। उड़ान देश में क्षेत्रीय विमानन बाज़ार को विकसित करने की दिशा में एक नवोन्मेषी कदम है। क्षेत्रीय संयोजकता योजना ‘उड़ान’ 15 जून, 2016 को नागर विमानन मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय नागर विमानन नीति (National Civil Aviation Policy- NCAP) का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। यह वैश्विक स्तर पर अपनी तरह की पहली योजना है जो क्षेत्रीय मार्गों पर सस्ती, आर्थिक रूप से व्यवहार्य एवं लाभप्रद उड़ानों को बढ़ावा देती है ताकि आम आदमी वहनीय कीमत पर हवाई यात्रा कर सके।

मानसिक स्वास्थ्य हेतु हेल्पलाइन नंबर

केंद्र सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास के लिये ‘किरण’ हेल्पलाइन सेवा शुरू की है। देशभर के जिन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश है, ‘किरण’ हेल्पलाइन के माध्यम से इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। यह एक फ्री हेल्पलाइन है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय व इसके सहयोगियों द्वारा तैयार हेल्पलाइन 1800-599-0019 का उद्देश्य प्राथमिक जाँच, प्राथमिक उपचार, मनोवैज्ञानिक समर्थन, तनाव प्रबंधन, मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी, विचलित व्यवहार के रोकथाम और मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में संकट प्रबंधन को उपलब्ध कराना है। मानसिक स्वास्थ्य पुर्नसुधार संबंधी सेवाएँ उपलब्ध कराने के साथ ही हेल्पलाइन का उद्देश्य तनाव, चिंता, डिप्रेशन, पैनिक अटैक, एडजस्टमेंट डिस्ऑर्डर, पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर, सब्सटेंस एब्यूज, सुसाइडल थॉट्स, महामारी के चलते पैदा हुए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी आपातकालीन सेवाएँ उपलब्ध कराना है।

सीरो-सर्वेक्षण

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने लोगों में कोरोना वायरस एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाने के लिये सीरो-सर्वेक्षण करने की सिफारिश की है। महानगरों में किये गए इस तरह के सर्वेक्षण कोरोना वायरस की गतिविधियों और उसकी संरचना को समझने के लिये लाभदायक साबित हुए हैं। सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जाँच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं। सीरो-निगरानी सर्वेक्षण इसलिये किया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि दिल्ली की कुल आबादी में से कितने अनुपात में लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हैं और प्रत्येक ज़िले से लिये गए नमूनों की संख्या उस क्षेत्र की जनसंख्या के अनुपात में थी। यह शरीर में सक्रिय संक्रमण का पता लगाने में काम नहीं आता है बल्कि यह पूर्व में हुए संक्रमण (जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर वार करता है) को इंगित करता है।