Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 अक्तूबर, 2020 | 26 Oct 2020

दिल्ली के प्रदूषण हेतु स्थायी निकाय

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है कि वह जल्द ही राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण और आस-पास के राज्यों में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिये कानून के माध्यम से एक स्थायी निकाय का गठन करेगी। केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्त्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि केंद्र ने इस मामले पर ‘समग्र दृष्टिकोण’ अपनाया है तथा जल्द ही राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिये प्रस्तावित कानून का मसौदा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबडे के नेतृत्त्व में सर्वोच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने तीन राज्यों (हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश) में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम के लिये सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर (Madan B Lokur) की एक सदस्यीय समिति का गठन किया था, किंतु अब केंद्र सरकार की घोषणा के बाद इस एक-सदस्यीय समिति को निलंबित कर दिया गया है। राजधानी दिल्ली में इस वर्ष प्रदूषण चिंता का एक विषय इसलिये भी है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण के कारण कोरोना वायरस संक्रमण की दर में वृद्धि हो सकती है। अक्तूबर माह की शुरुआत में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि नई दिल्ली में सर्दियों के मौसम में प्रति दिन 12,000 से 15,000 संक्रमण के मामले देखने को मिल सकते हैं।

थार रेगिस्तान में ‘लुप्त’ नदी के साक्ष्य

शोधकर्त्ताओं ने थार रेगिस्तान से होकर बहने वाली लगभग 1,72,000 वर्ष पुरानी एक ‘लुप्त’ नदी के साक्ष्यों की खोज की है। जर्मनी के ‘द मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर द साइंस ऑफ ह्यूमन हिस्ट्री’ (The Max Planck Institute for the Science of Human History), तमिलनाडु की अन्ना यूनिवर्सिटी और आईआईएसईआर कोलकाता (IISER Kolkata) के शोधकर्त्ताओं द्वारा किया गया अध्ययन इस तथ्य को इंगित करता है कि पाषाण युग की आबादी आज की तुलना में एक अलग परिदृश्य में निवास करती थी। थार रेगिस्तान में प्रागैतिहासिक काल का एक समृद्ध इतिहास मौजूद है, और अब तक उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि थार रेगिस्तान में रहने वाले पाषाण युग के लोग न केवल जीवित रहे बल्कि उन्होंने एक समृद्ध जीवन भी विकसित किया। इस अध्ययन के माध्यम से शोधकर्त्ता, नदी के विकास और थार रेगिस्तान में मानव जाति के विकास के साथ इसके संबंध को समझने का प्रयास कर रहे हैं। 

सैन्य कैंटीन में आयात पर प्रतिबंध

केंद्र सरकार ने अपनी 4000 सैन्य कैंटीनों में किसी भी प्रकार के विदेशी सामान के आयात पर रोक लगा दी है। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंतरिक आदेश के मुताबिक, भविष्य में सैन्य कैंटीन्स के लिये प्रत्यक्ष आयातित वस्तुएँ नहीं खरीदी जाएंगी। मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान के एक अध्ययन के अनुसार, भारत की सभी 4000 सैन्य कैंटीनों में कुल बिक्री मूल्य का लगभग 6-7 प्रतिशत आयात किया जाता है। भारतीय सेना की कैंटीनों में इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य और अन्य सामानों को रियायती मूल्य पर सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को बेचा जाता हैं। ध्यातव्य है कि सैन्य कैंटीनों में तकरीबन 2 बिलियन से अधिक की वार्षिक बिक्री की जाती है, जिसके कारण यह भारत में सबसे बड़ी खुदरा शृंखलाओं (Retail Chains) में से एक है।

ली कुन-ही

सैमसंग समूह के चेयरमैन ली कुन-ही (Lee Kun-hee) का 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उल्लेखनीय है कि ली कुन-ही के नेतृत्त्व में ही सैमसंग कंपनी, स्मार्टफोन और मेमोरी चिप्स के उत्पादन में विश्व की सबसे बड़ी कंपनी बनी थी और वर्तमान में कंपनी का कुल कारोबार दक्षिण कोरिया के सकल घरेलू उत्पाद के पाँचवें हिस्से के बराबर है। ली कुन-ही ने अपने पिता के एक छोटे से व्यवसाय को एक बड़ी टेक कंपनी और आर्थिक पावरहाउस के रूप में विकसित किया और कंपनी के कारोबार को बीमा और शिपिंग जैसे क्षेत्रों तक लेकर गए। सैमसंग समूह की स्थापना ली कुन-ही के पिता ली ब्यूंग-चुल द्वारा वर्ष 1938 में की गई थी, ली कुन-ही वर्ष 1968 में कंपनी में शामिल हुए और वर्ष 1987 में अपने पिता की मृत्यु के बाद कंपनी के चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभाला। उस समय, सैमसंग कंपनी को सस्ते और निम्न-गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्माता के रूप में देखा जाता था, लेकिन ली कुन-ही के नेतृत्त्व में कंपनी में काफी कई महत्त्वपूर्ण सुधार किये गए और वर्तमान में सैमसंग कंपनी विश्व की सुप्रसिद्ध टेक कंपनियों में से एक है।