Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 मार्च, 2023 | 16 Mar 2023

अनुसूचित जनजाति की सूची में समुदायों को शामिल करने की प्रक्रिया 

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने संसद में इस बात पर बल देकर कहा है कि अनुसूचित जनजातियों की सूची में समुदायों को शामिल करने के लिये लोकुर समिति द्वारा निर्धारित मानदंड उपयुक्त हैं और इसमें संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है। जनजातियों को ST की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया संबंधित राज्य सरकारों की सिफारिश से शुरू होती है, जिसे बाद में जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा जाता है, जो समीक्षा करता है और अनुमोदन के लिये भारत के महापंजीयक को इसे प्रेषित करता है। इसके बाद संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में उपयुक्त संशोधन के लिये कैबिनेट को सूची भेजने से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की मंज़ूरी लेनी होती है। लोकुर समिति द्वारा निर्धारित मानदंडों में निम्नलिखित शामिल हैं: आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव, बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ जुड़ने में हिचक और पिछड़ापन। बीते समय में वर्ष 2014 में स्थापित एक सरकारी कार्य समिति ने सूची शामिल किये जाने के मानदंड और प्रक्रिया को काफी पुराने होने और सकारात्मक कार्रवाई के साथ असंगत होने की आलोचना करते हुए दावा किया कि इसी कारण समुदायों का बहिष्कार हुआ और उन्हें शामिल किये जाने में देरी हुई। करीब आठ वर्षों तक विचाराधीन रहने के कारण इसमें संशोधन किये जाने का प्रस्ताव स्थगित कर दिया गया था।

मनरेगा बजट कटौती पर संसदीय स्थायी समिति ने उठाए सवाल

संसदीय स्थायी समिति ने वित्तीय वर्ष 2023-24 हेतु महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) के बजट में 29,400 करोड़ रुपए की कटौती पर चिंता व्यक्त की है। समिति की रिपोर्ट में मनरेगा हेतु निधि में कमी के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया गया और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये पुनर्विचार की सिफारिश की गई। राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली के संबंध में वास्तविक समय उपस्थिति कैप्चरिंग एप की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए समिति ने यह भी कहा कि लाभार्थियों को स्मार्ट फोन की कमी, खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी एवं "इन" और "आउट" उपस्थिति दोनों हेतु मनरेगा कर्मचारियों की उपस्थिति के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। समिति ने सिफारिश की कि सरकार मनरेगा मज़दूरी दरों को एक उपयुक्त मूल्य निर्धारण सूचकांक से जोड़कर बढ़ाए एवं गारंटीकृत कार्य दिवसों को 100 दिनों से अधिक करे।

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IMD ने UMANG मोबाइल एप पर 7 सेवाएँ शुरू कीं

हाल ही में IMD ने जनता के उपयोग के लिये 'UMANG' मोबाइल एप के साथ अपनी सात सेवाओं (वर्तमान मौसम, नाउकास्ट, शहर के मौसम का पूर्वानुमान, वर्षा की जानकारी, पर्यटन पूर्वानुमान, चेतावनी और चक्रवात) की शुरुआत की है। इससे पहले वर्ष 2020 में IMD ने मौसम की भविष्यवाणी के लिये मोबाइल एप 'मौसम', कृषि मौसम सलाह के प्रसार हेतु 'मेघदूत' और बिजली गिरने की चेतावनी के लिये 'दामिनी' एप विकसित किया था। IMD एकीकृत पूर्वानुमान रणनीति का अनुसरण करता है। लंबे समय के पूर्वानुमान (पूरे मौसम के लिये), चार सप्ताह की अवधि के साथ गुरुवार को विस्तारित रेंज का पूर्वानुमान, इसके बाद अगले दो दिनों के दृष्टिकोण के साथ अगले पाँच दिनों तक दैनिक व लघु से मध्यम श्रेणी तक का पूर्वानुमान तथा चेतावनियाँ जारी की जाती हैं, इसके बाद तीन घंटे तक खराब मौसम का बहुत कम अवधि का पूर्वानुमान जारी किया जाता है (नाउकास्ट: हर 3 घंटे में अपडेट किया जाता है)। हाल के वर्षों में की गई पहलों में नियमित आधार पर ई-मेल, व्हाट्सएप समूहों और सोशल मीडिया द्वारा उपयोगकर्त्ताओं को जानकारी का प्रसार और SMS के माध्यम से पंजीकृत उपयोगकर्त्ताओं को खराब मौसम के बारे में नाउकास्ट शामिल है। 

ओ-स्मार्ट (O-SMART) योजना 

सरकार ने 5 वर्ष की अवधि यानी 2021-22 से 2025-26 के दौरान 'महासागरीय सेवाओं, प्रौद्योगिकी, निगरानी, संसाधन प्रतिरूपण और विज्ञान (O-SMART)' योजना के कार्यान्वयन के लिये 2177 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की। इसके अलावा योजना के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं: एर्गो फ्लोट्स, XBT/XCTD, वेव राइडर ब्वॉय, स्वचालित मौसम स्टेशन, ड्रिफ्टर्स, मूरेड ब्वॉय, टाइड गेज़, ध्वनिक डॉपलर धारा प्रोफाइलर सहित विभिन्न महासागर अवलोकन प्लेटफॉर्म तैनात किये गए। डेटा का उपयोग करके सूनामी की प्रारंभिक चेतावनी, तीव्र तूफान, संभावित मत्स्य ग्रहण क्षेत्र, महासागरीय स्थिति का पूर्वानुमान, हानिकारक शैवाल वृद्धि, प्रवाल भित्ति, बहु-जोखिम भेद्यता, तटीय भेद्यता सूचकांक, हाई वेव अलर्ट, तेल रिसाव, खोज एवं बचाव अभियान आदि का उपयोग कर उत्पन्न की गई। मॉडल इन हाउस परिचालित होते हैं और विभिन्न हितधारकों तथा अंतिम उपयोगकर्त्ताओं को प्रतिदिन के आधार पर डेटा प्रदान किये जाते हैं। प्रौद्योगिकी और नीतियों का प्रसार करने के लिये नियमित आधार पर तटीय सर्वेक्षण तथा गहरे समुद्र में परिभ्रमण व जन जागरूकता अभियान एवं संबंधित गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।